संजय राउत का बड़ा दावा: मोदी-शाह ने गडकरी की हार के लिए किया काम
शिवसेना नेता संजय राउत ने एक सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को लोकसभा चुनाव में हराने का प्रयास किया। राउत का दावा है कि मोदी और शाह ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर गडकरी को हराने की रणनीति बनाई। यह आरोप इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि नितिन गडकरी भाजपा के महत्वपूर्ण और वरिष्ठ नेता हैं, जो नागपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे थे।
संजय राउत ने यह भी कहा कि फडणवीस, जो गडकरी को बहुत पसंद नहीं करते, ने पार्टी के उच्च कमान के दबाव के कारण उनके लिए प्रचार किया। गडकरी की हार की साजिश रचने में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का भी नाम जुड़ा है। राउत ने आरोप लगाया कि शिंदे ने प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में ₹25-30 लाख का वितरण किया ताकि गडकरी की हार सुनिश्चित हो सके। राउत के इस बयान ने एक नया राजनीतिक तुफान खड़ा कर दिया है।
गडकरी की हार का पूरा मामला
नितिन गडकरी, जो बीजेपी के कद्दावर नेता माने जाते हैं, ने नागपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। इस सीट से उनका चुनाव लड़ना इसलिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण था क्योंकि नागपुर से ही बीजेपी के बड़े नेता देवेंद्र फडणवीस और संघ प्रमुख मोहन भागवत भी जुड़े हुए हैं। लेकिन राउत के मुताबिक, उनके विरोधियों ने ही उनके खिलाफ षड़यंत्र रचा।
राउत का यह भी दावा है कि अगर मोदी और शाह फिर से सत्ता में आते हैं, तो वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बदल देंगे। यह बयान इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि कुछ समय से योगी और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के बीच मतभेद की खबरें सुर्खियों में हैं।
हालांकि, महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने राउत के इन आरोपों को 'बेवुनियाद' बताया और कहा कि बीजेपी एक परिवार की तरह है, जहां आंतरिक मतभेद आम बात हैं। उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि यह सिर्फ राउत की राजनीतिक चाल है जो उनके असंतोष को दर्शाती है।
भाजपा के अंदरूनी संघर्ष
यह पहली बार नहीं है जब भाजपा के अंदरूनी संघर्ष की खबरें सामने आई हैं। इससे पहले भी कई बार पार्टी के अंदर मतभेद और व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा के मामले उठ चुके हैं। परंतु, पार्टी के वरिष्ठ नेता अक्सर इन्हें आंतरिक मामलों का हिस्सा बताते आए हैं और सार्वजनिक रूप से इनमें से कोई भी बात कबूल नहीं की गई है।
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ इस तरह की चालें चलते रहते हैं ताकि पार्टी के भीतर मतभेद उत्पन्न हो सके। चुनावी माहौल में इस तरह के आरोप-प्रत्यारोप अधिक जोर पकड़ते हैं।
भविष्य की राजनीति पर असर
अगर संजय राउत के आरोपों में सच्चाई है, तो यह भाजपा और उससे जुड़े विभिन्न नेताओं के बीच होने वाले भविष्य की राजनीति को प्रभावित कर सकता है। खासकर, अगर नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नेतृत्व वाली सरकार फिर से सत्ता में आती है तो पार्टी में नए प्रकार के समीकरण देखने को मिल सकते हैं।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का असर नितिन गडकरी के राजनीतिक करियर पर भी कितना और कैसा पड़ता है। गडकरी की प्रतिष्ठा और लोकप्रियता को लेकर पार्टी और उनके समर्थकों के बीच जो भी असर होगा, वह आगामी चुनावी परिणामों में जरूर नजर आएगा।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया
इस विवाद ने न केवल राजनीतिक हलकों में बल्कि आम जनताओं में भी हलचल मचा दी है। सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रकार के रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं। कुछ लोग राउत के दावों को सही मान रहे हैं, जबकि अन्य इसे केवल राजनीतिक हथकंडा मान रहे हैं।
इसके अलावा, शिवसेना और बीजेपी के बीच बढ़ते हुए अलगाव और आंतरिक संघर्ष के बीच यह आरोप भी व्यापक रूप से चर्चा में हैं। नितिन गडकरी के बीजेपी में महत्वपूर्ण स्थान को देखते हुए, ये आरोप पार्टी की आंतरिक स्थिरता और संगठन पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
समाप्ति
इन सभी घटनाओं के मद्देनजर यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और शिवसेना के बीच इस विवाद का आगे क्या परिणाम होता है। राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का खेल आम है, लेकिन इस बार के आरोप विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह सीधे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं।
इन घटनाओं के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आपको साथ बने रहना महत्वपूर्ण है। राजनीति में कभी-कभी असलियत सामने आने में वक्त लगता है, लेकिन यह तय है कि इन घटनाओं के पीछे की सच्चाई कभी न कभी जरूर सामने आएगी।
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