अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस – क्या है और क्यों जरूरी?

हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत, नेपाल, बांग्लादेश जैसे देशों में बाघ के अस्तित्व को बचाने की याद दिलाता है। आप अक्सर पूछते हैं, बाघ का संरक्षण इतना जरूरी क्यों? जवाब आसान है – बाघ हमारे जंगलों का रक्षक है और उसकी गिनती कम होने से पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ता है।

बाघ दिवस की कहानी

1996 में भारत ने पहला राष्ट्रीय बाघ संरक्षण योजना शुरू किया, फिर 2000 के दशक में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजुट हुए। 29 जुलाई को तय करने का कारण था कि इस दिन कई प्रमुख बाघ अभयारण्यों में बड़े‑बड़े कार्यक्रम होते हैं और मीडिया का ध्यान भी इधर जाता है। तब से हर साल वन विभाग, NGOs और आम जनता मिलकर जागरूकता फैलाते आते हैं।

बाघ बचाव के आसान कदम

आप घर से ही बाघ संरक्षण में मदद कर सकते हैं। सबसे पहले, कागज या प्लास्टिक का उपयोग कम करें – यह जंगलों में प्रदूषण कम करता है। दूसरा, स्थानीय वन्यजीव संगठनों को दान दें या स्वयंसेवा बनें; छोटे योगदान भी बड़े बदलाव लाते हैं। तीसरा, सोशल मीडिया पर सही जानकारी शेयर करके अफवाहें रोकें और लोगों को सचेत करें।

अगर आप कहीं यात्रा कर रहे हों तो बाघ अभयारण्य में गाइड के नियमों का पालन करना याद रखें। तेज़ आवाज़, कचरा फेंकना या वन्यजीवों को परेशान करना सख्त मना है। इन छोटे‑छोटे व्यवहार से बाघ की सुरक्षा आसान हो जाती है और भविष्य में भी बच्चे बाघ देख सकेंगे।

बाघ दिवस पर स्कूलों में अक्सर प्रतियोगिताएँ, पोस्टर बनाना और नाट्य मंचन होते हैं। आप अपने बच्चों को इस अवसर पर शामिल कर सकते हैं – इससे वे बचपन से ही पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनते हैं। साथ ही, बाघ की तस्वीरें या वीडियो देखकर हम उनकी सुंदरता का सम्मान सीखते हैं, जिससे संरक्षण की इच्छा बढ़ती है।

अंत में यह कहा जा सकता है कि अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक संदेश है – हमें अपने जंगलों को बचाना है। आप चाहे छोटा या बड़ा योगदान दें, हर कदम मायने रखता है। तो इस 29 जुलाई को कुछ नया सीखें, शेयर करें और बाघ के लिए अपनी आवाज़ उठाएँ।

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024: मिथकों का पर्दाफाश और तथ्य

अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024: मिथकों का पर्दाफाश और तथ्य

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अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024 पर वाइल्डलाइफ एसओएस बाघों से संबंधित आम भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास कर रहा है। इस लेख में पांच प्रमुख मिथकों का पर्दाफाश किया गया है। बाघों को मानवखाऊ नहीं माना जाता है; मानव-बाघ संघर्ष अक्सर बाघ की चोट, बुढ़ापे या आवास की कमी से उत्पन्न होते हैं। इसके अलावा, बाघ पानी से नहीं डरते और दिन के समय भी सक्रिय रहते हैं।

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