अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024: बाघों से जुड़े मिथकों का पर्दाफाश
वाइल्डलाइफ एसओएस ने इस अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 2024 पर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो बाघों से संबंधित आम भ्रांतियों को दूर करने का प्रयास कर रहा है। उनके इस प्रयास से हमें न केवल बाघों के बारे में सही जानकारी प्राप्त होती है, बल्कि वन्यजीवों के प्रति हमारी संवेदनशीलता और संरक्षण मानसिकता भी बढ़ती है।
मिथक 1: सभी बाघ मानवखाऊ होते हैं
यह एक सबसे प्रचलित मिथक है जिसे हमें समझना आवश्यक है। बाघों को मानवखाऊ मानने का मुख्य कारण उनके मानवों के साथ टकराव के मामलों से उत्पन्न होता है। वास्तविकता यह है कि अधिकतर बाघ मानवखाऊ नहीं होते हैं। मानव-बाघ टकराव अथवा संघर्ष ज्यादातर बाघ की चोट, उनके बुढ़ापे या उनके प्राकृतिक आवास की कमी के कारण होते हैं। जब बाघ घायल होते हैं या शिकार करने में सक्षम नहीं होते, तो वे खाने के लिए छोटे जानवरों और कभी-कभी इंसानों की ओर भी आकर्षित होते हैं।
मिथक 2: बाघ पानी से डरते हैं
एक और बेहद आम मिथक यह है कि बाघ पानी से डरते हैं। तथ्य इसके उलट है। बाघों को पानी से प्यार है और वे बहुत अच्छे तैराक होते हैं। गर्मियों के दिनों में वे शरीर को ठंडा रखने के लिए जलाशयों में जाकर तैरते हैं और नहाते हैं। यह उनके लिए एक सामान्य व्यवहार है। वे पानी में जाकर शिकार भी कर सकते हैं और अपनी भूख को शांत कर सकते हैं। इस प्रकार, यह मिथक पूरी तरह से गलत है कि बाघ पानी से डरते हैं।
मिथक 3: बाघ सूरज की रोशनी में नहीं चलते
बहुत से लोग ऐसा भी मानते हैं कि बाघ केवल रात में ही चलते हैं और वे दिन में या सूरज की रोशनी में नहीं चलते। यह भी एक मिथक है। बाघों के चलने का समय उनके भोजन की आवश्यकता और समय पर निर्भर करता है। यदि वे भूखे होते हैं, तो किसी भी समय वे शिकार पर निकल सकते हैं। हालांकि, बाघ ज्यादातर रात में सक्रिय रहते हैं, लेकिन यह नहीं कहा जा सकता कि वे दिन में बिलकुल नहीं चलते। यह पूरी तरह से सिचुएशन पर निर्भर करता है।
मिथक 4: बाघ एकाकी प्राणी होते हैं
कई लोग ये भी मानते हैं कि बाघ हमेशा अकेले ही रहना पसंद करते हैं और वे अन्य बाघों से मिलने या सामूहिक जीवन में विश्वास नहीं रखते हैं। जबकि, बाघों के सामूहिक रूप से रहने के उदाहरण भी मौजूद हैं। जब एक बाघिन अपने बच्चों के साथ रहती है, तो यह एक प्रकार का सामाजिक समीकरण ही होता है। वयस्क बाघ आम तौर पर अकेले होते हैं, लेकिन फिर भी उनके बीच सामाजिक संपर्क होते हैं, खासकर प्रजनन काल में।
मिथक 5: बाघ रूढ़िवादी शिकारी होते हैं
अंतिम मिथक है कि बाघ रूढ़िवादी शिकारी होते हैं और केवल जंगल में ही शिकार करते हैं। वे शिकार के संदर्भ में रूढ़िवादी नहीं होते हैं। वे अपनी भूख शांत करने के लिए किसी भी क्षेत्र में जा सकते हैं, चाहे वह जंगल हो या बस्ती। प्रायः बाघ शिकार के लिए अपने क्षेत्र से बाहर भी जाते हैं। इसके अलावा, उनकी शिकार की तरीकों में भी विविधता होती है। वे छिपकर हमला करने से लेकर शिकार का पीछा करने तक, विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करते हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर यह जानना महत्वपूर्ण है कि वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर बाघों को सही रूप में समझा जाए। बाघ संरक्षण और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है, ताकि हम इन्हें बचा सकें और हमारे वन्यजीव तंत्र को संतुलित बना सकें।
Abhishek Rathore - 30 जुलाई 2024
बाघ जल में तैरते हैं ये बात तो मैंने पहले नहीं सुनी थी। अब लगता है हम सबको इनके बारे में और जागरूक होना होगा।
Vijay Kumar - 31 जुलाई 2024
बाघ अकेले नहीं होते, बस दिखाई नहीं देते। ये जीवन का एक गहरा सबक है।
Shivakumar Kumar - 2 अगस्त 2024
मैंने राजस्थान के एक जंगल में एक बाघ को दिन में चलते हुए देखा था। उसने बिल्कुल शांति से एक नदी किनारे चलकर पानी पिया। लोग कहते हैं रात को ही चलते हैं, पर असलियत तो बहुत अलग होती है।
Jaya Bras - 3 अगस्त 2024
ये सब जानकारी तो बहुत अच्छी है पर बाघों के लिए जमीन तो नहीं बची अब बस लिखो लिखो
Rupesh Sharma - 4 अगस्त 2024
हर बाघ एक जीवित अद्भुत है। हमें उनके बारे में डरना नहीं, समझना चाहिए। अगर हम उनके घर बचाएंगे तो वो हमारे लिए भी सुरक्षित रहेंगे।
Harsha kumar Geddada - 6 अगस्त 2024
इस पोस्ट में जो मिथकों का पर्दाफाश किया गया है, वो सिर्फ बाघों के बारे में नहीं, बल्कि मानव मन के भय, अज्ञान और अहंकार के बारे में है। हम जो चीज़ें नहीं समझ पाते, उन्हें हम डरावना बना देते हैं। बाघ को मानवखाऊ कहना एक ऐसा ही अहंकार है जैसे कहना कि हम इस धरती के सबसे ऊपर के प्राणी हैं। असल में, हम उनके आवास को नष्ट कर रहे हैं, फिर भी उन्हें शिकारी बता रहे हैं। ये तो बस एक विकृत दर्पण है जिसमें हम अपने अपराध को उन पर छुपा रहे हैं।
saikiran bandari - 7 अगस्त 2024
बाघ पानी में तैरते हैं ये नया खबर है क्या
Vishakha Shelar - 7 अगस्त 2024
मैं तो बस ये कहना चाहती हूँ कि जब तक हमारे घरों के बाहर बाघ नहीं आएंगे तब तक हम इनके बारे में बात करेंगे और फिर भूल जाएंगे
Ravi Kant - 8 अगस्त 2024
मैं एक गाँव से हूँ जहाँ बाघों के बारे में बहुत सारे लोककथाएँ हैं। एक बार एक बूढ़े ने मुझे बताया था कि बाघ अगर दिन में दिखे तो वो किसी के भाग्य का बदलाव लाता है। शायद वो भी कोई वैज्ञानिक सत्य था।
charan j - 9 अगस्त 2024
फिर से बाघ की बात कर रहे हो तो बस रोको अब जंगल खत्म हो चुका है
Arun Sharma - 9 अगस्त 2024
इस पोस्ट में वैज्ञानिक तथ्यों को अत्यंत रूप से सरल बनाया गया है। यह एक उचित और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण है।
Ayush Sharma - 9 अगस्त 2024
मैंने एक बार नागार्जुन सागर में बाघ को तैरते हुए देखा था। वो बिल्कुल आराम से दूसरे किनारे पर जा रहा था। ये लोग अभी तक सोचते हैं बाघ पानी से डरते हैं।
sachin gupta - 9 अगस्त 2024
बाघ अकेले रहते हैं ये तो बहुत फैशनेबल बात है। लेकिन जब तक हम अपने शहरों को जंगल में बदल नहीं देते तब तक ये सब बातें बस एक इंस्टाग्राम पोस्ट है।
Rashmi Naik - 10 अगस्त 2024
बाघ के शिकार के तरीके वैरायटी वाले हैं जैसे रेस्टोरेंट में मेनू। इन्होंने एक्टिव डिस्ट्रबेंस और स्टैटिक प्रेडेशन को बहुत स्मार्टली एक्सप्लेन किया है।
Subham Dubey - 10 अगस्त 2024
ये सब जानकारी तो बहुत अच्छी है लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये सब एक वैश्विक नियंत्रण योजना है? बाघों के बारे में जागरूकता फैलाकर लोगों को वन्यजीव संरक्षण पर ध्यान देने के लिए मजबूर किया जा रहा है ताकि उनके जंगलों को निजी कंपनियों के हवाले कर दिया जा सके।
Rajeev Ramesh - 12 अगस्त 2024
इस पोस्ट के लेखक को बहुत बधाई। यह एक अत्यंत विवेकपूर्ण और विश्लेषणात्मक अप्रचलित जानकारी का प्रस्तुतीकरण है।