जब महर्षि वाल्मीकि की जयंती 2025 आई, तो उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश की सरकारों ने तुरंत ही सार्वजनिक अवकाश का आदेश जारी किया। यह फैसला 7 अक्टूबर 2025 (मंगलवार) को लागू होगा और इन राज्यों के सभी सरकारी एवं निजी स्कूल‑कॉलेज बंद रहेंगे। छात्रों, अभिभावकों और शिक्षकों के लिए यह सूचना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे उनकी छुट्टियों की योजना पहले से ही बन सकेगी।
पृष्ठभूमि और ऐतिहासिक महत्व
वाल्मीकि जयंती का उत्सव हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस तिथि पर रामायण के रचनाकार महर्षि वाल्मीकि की स्मृति में पूजा‑पाठ, श्लोक वाचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं। रामायण को भारत की सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है; यही कारण है कि इस जयंती को कई राज्यों में विशेष मान्यता मिलती है। अक्सर इस दिन को ‘आदिकवि दिवस’ कहा जाता है, क्योंकि वाल्मीकि को पहली बार संस्कृत महाकाव्य लिखने वाला माना जाता है।
इतिहासकार डॉ. अजय कुमार (ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय, भारत) के अनुसार, “वाल्मीकि जयंती का धार्मिक महत्व के साथ‑साथ सामाजिक और शैक्षिक पहलू भी है। बड़ी‑बड़ी विद्यालयों में इस दिन विशेष शास्त्र‑वाचन और नैतिक शिक्षा के सत्र आयोजित किए जाते हैं।”
वाल्मीकि जयंती 2025 की घोषणा
उत्तर प्रदेश सरकार ने 3 अक्टूबर 2025 को एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की, जिसमें कहा गया कि ‘सभी शैक्षणिक संस्थानों में क्लास‑1 से क्लास‑12 तक की पढ़ाई 7 अक्टूबर को बंद रहेगी।’ इसी प्रकार दिल्ली सरकार ने 4 अक्टूबर को घोषणा का समर्थन किया, और मध्य प्रदेश सरकार ने भी समान नियोजन किया। इन आदेशों में यह स्पष्ट किया गया कि निजी‑वित्तीय संस्थान भी इस अवकाश में कार्यशील नहीं होंगे, सिवाय उन कैडियो‑जूनियर स्कूलों के जो परीक्षा‑सत्र के अंतिम दिनों में हैं।
वित्तीय वर्ष 2025‑26 के अनुसार, ऐसी राज्य‑स्तरीय छुट्टियों से शैक्षणिक कैलेंडर में औसत 2‑3 दिन की कमी आएगी, जो अक्सर मौसमी त्यौहारों की श्रृंखला के साथ मिलकर ‘छुट्टी‑जोड़ी’ बनाती है। उदाहरण के तौर पर, इस साल दीपावली 15 अक्टूबर को पड़ रही है, जिससे शैक्षणिक बोर्डों ने अतिरिक्त परीक्षा‑समीक्षा समय प्रदान किया है।
प्रभावित विद्यालय और शैक्षणिक संस्थान
राज्य‑स्तरीय आदेश के अनुसार, वाल्मीकि जयंती पर सभी सरकारी, अनुदानित और निजी विद्यालय बंद रहेंगे। दिल्ली में 2,350 अधिक निजी स्कूल और 1,400 सरकारी स्कूल इस छुट्टी से लाभान्वित होंगे। उत्तर प्रदेश में लगभग 15,000 स्कूल, जिसमें ग्रामीण स्कूल और प्रमुख शहरी स्कूल शामिल हैं, इस दिन बंद घोषणा के तहत आएंगे। मध्य प्रदेश में 6,800 स्कूल प्रभावित हुए।
शिक्षक संघ ने इस निर्णय का समर्थन किया, क्योंकि “हमें भी अपने बच्चों के साथ धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने का मौका मिलना चाहिए।” वहीं, कुछ निजी संस्थानों ने अपने छात्रों को वैकल्पिक ऑनलाइन कक्षा आयोजित करने का विकल्प दिया, जिससे शिक्षण में कोई रोक‑टोक न रहे।
समाज और सांस्कृतिक कार्यक्रम
छात्र और शिक्षकों के अलावा आम जनता भी इस जयंती को बड़े जोश के साथ मनाती है। दिल्ली में काउंटली टेम्पल के सामने बड़ी शोभायात्रा निकली, जहाँ रामायण के प्रमुख अंश गाए एवं नाट्य रूप में प्रस्तुत किए गए। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में शरद शर्मा (स्थानीय इतिहासकार) के नेतृत्व में ‘वाल्मीकि स्मृति मंच’ का आयोजन हुआ, जिसमें वाल्मीकि के जीवन पर व्याख्यान और श्लोक पाठ के साथ रंग‑मंच नाटक दिखाया गया।
मध्य प्रदेश के इंदौर में ‘रामलीला महोत्सव’ के दौरान वाल्मीकि जयंती को विशेष रूप से उजागर किया गया; यहाँ शहर के युवा कलाकारों ने रामायण के प्रमुख दृश्यों को आधुनिक संगीत के साथ मिलाकर पेश किया। इस तरह के कार्यक्रम न केवल धार्मिक भावना को बढ़ाते हैं, बल्कि युवा वर्ग में साहित्यिक जागरूकता भी लाते हैं।

आगे की दिशा और संभावित प्रभाव
जैसे‑जैसे भारत में शैक्षणिक कैलेंडर में अतिरिक्त राज्य‑स्तरीय छुट्टियों की संख्या बढ़ रही है, शैक्षणिक नियोजन भी अधिक लचीला हो रहा है। शिक्षा विशेषज्ञ प्रा. सीमा वर्मा (दिल्ली विश्वविद्यालय) कहती हैं, “छुट्टियों के बीच ऑनलाइन लर्निंग मॉड्यूल को एकीकृत करने से छात्रों को न केवल बाधा नहीं झेलनी पड़ती, बल्कि वे विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं को भी समझ पाते हैं।”
भविष्य में, यदि और अधिक राज्यों ने वाल्मीकि जयंती को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया, तो राष्ट्रीय स्तर पर इस दिन को ‘सांस्कृतिक वैधानिक अवकाश’ की श्रेणी में लाने की संभावना बन सकती है। इस पर विचार-विमर्श अभी प्रारम्भिक चरण में है, लेकिन यह दिशा इस बात को दर्शाती है कि भारत में शैक्षणिक अवकाश का दायरा धीरे‑धीरे विस्तृत हो रहा है।
निष्कर्ष
सारांश में, 7 अक्टूबर 2025 को उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश में सभी स्कूल‑कॉलेज बंद रहने का आदेश न केवल छात्रों को आराम देगा, बल्कि वाल्मीकि जयंती के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व को भी उजागर करेगा। चाहे आप एक अभिभावक हों, शिक्षक हों या छात्र, इस दिन का सही लाभ उठाना आसान है—घर पर रामायण का पाठ करना, धार्मिक प्रवचन सुनना या अपने क्षेत्र में आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेना।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
कोई राज्य इस छुट्टी को लागू नहीं करता तो क्या होगा?
यदि कोई राज्य वाल्मीकि जयंती को सार्वजनिक अवकाश नहीं घोषित करता, तो उस राज्य के स्कूल सामान्य रूप से चलेंगे। छात्रों को स्थानीय स्कूल प्रशासन से पुष्टि करनी चाहिए, क्योंकि कई बार निजी संस्थानों में स्वयं ही अवकाश दिया जाता है।
छात्र ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले सकते हैं?
हां, कई निजी स्कूलों ने वैकल्पिक ऑनलाइन सेशन की पेशकश की है। यह विकल्प विशेष रूप से उन छात्रों के लिए है जो परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं और उन्हें कक्षा के दिनांक को नहीं खोना चाहते।
वाल्मीकि जयंती का राष्ट्रीय स्तर पर क्या महत्व है?
राष्ट्रीय स्तर पर वाल्मीकि जयंती को ‘सांस्कृतिक अवकाश’ की श्रेणी में माना जाता है, लेकिन यह अभी तक राष्ट्रीय सार्वजनिक अवकाश नहीं है। इसलिए प्रत्येक राज्य अपना निर्णय लेता है।
क्या इस छुट्टी से अध्ययन‑क्रम में कोई बदलाव आएगा?
अधिकांश बोर्ड ने इस छुट्टी को मौसमी त्यौहारों के साथ मिलाकर अतिरिक्त पुनरावृत्ति सत्र निर्धारित किए हैं, जिससे कुल पढ़ाई की अवधि में न्यूनतम बदलाव रहेगा।
वहां कौन‑से प्रमुख सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं?
दिल्ली में शरदाबादर में शोभायात्रा, उत्तर प्रदेश में लखनऊ में ‘वाल्मीकि स्मृति मंच’ और मध्य प्रदेश में इंदौर में ‘रामलीला महोत्सव’ प्रमुख कार्यक्रम हैं, जहाँ श्लोक पाठ, नाट्य प्रस्तुति और संगीत संयोजन होते हैं।
jyoti igobymyfirstname - 7 अक्तूबर 2025
अरे वाह! ये छुट्टी तो बिल्कुल सही टाइमिंग में पड़ी है, बच्चे अब बिना पढ़े‑पढ़े माँ‑बाबा के साथ रामायण सुन सकते हैं। इस दिन के लिए हम सब प्लान बनाते हैं, तो तय है बहुत मज़ा आएगा।