इजरायल इरान युद्ध: बढ़ते तनाव के बीच कूटनीतिक और रक्षात्मक उपाय
अग॰ 5 2024 - अंतरराष्ट्रीय
आजकल हर शहर की हवा धुएँ से भर गई है। कार‑बाइक, फैक्ट्री धुआँ और किचन के सिगरेट का धुँआ मिलकर वायु में हानिकारक पार्टिकल छोड़ते हैं। ये पार्टिकल हमारे फेफड़ों को सीधे नुकसान पहुंचाते हैं, खाँसी, सांस की तकलीफ़ या यहाँ तक कि एस्टमा जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ा देते हैं।
पहला बड़ा कारण है ट्रैफिक जाम। बड़े‑बड़े शहरों में रोज़ाना हजारों वाहन एक ही रास्ते से गुजरते हैं, जिससे कार्बन मोनोऑक्साइड और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड हवा में मिलती है। दूसरा कारण औद्योगिक उत्सर्जन है; कई फैक्ट्री बिना उचित फिल्टर के धुआँ बाहर छोड़ देती हैं। तीसरा अक्सर घर के अंदर का ही होता है – खाना पकाने में तेल की तेज़ी से जली हुई भुनी चीज़, सिगरेट और बायोमास (जैसे लकड़ी) जलाना। इन सबका मिलाजुला असर वायु को गंदा बना देता है।
जब हवा में PM2.5 या PM10 जैसे छोटे कण होते हैं, तो वे फेफड़ों के अंदर तक पहुँच जाते हैं और सूजन पैदा करते हैं। इससे बच्चों में अस्थमा का जोखिम बढ़ जाता है, बुज़ुर्गों को ब्रॉन्काइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। दिल की धड़कन भी प्रभावित होती है; कई अध्ययन बताते हैं कि प्रदूषित हवा में रहने से हृदय रोग का खतरा दो‑तीन गुना बढ़ सकता है। इसलिए रोज़ाना बाहर निकलने से पहले मौसम विभाग की AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) जांच लेना फायदेमंद रहता है।
अब बात करते हैं कि आप क्या कर सकते हैं। सबसे पहला कदम है घर के अंदर धुएँ को कम करना – किचन में एग्जॉस्ट फैन लगाएँ, तेल कम गर्म करें और तले हुए खाने को सीमित रखें। बाहर निकलते समय मास्क पहनें, खासकर सुबह-शाम जब ट्रैफिक का असर ज्यादा होता है।
सरकार भी कई पहल कर रही है – सौर ऊर्जा के प्रोजेक्ट बढ़ाना, इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी देना और हर साल ‘स्वच्छ वायु अभियान’ चलाते हैं। आप इन सरकारी स्कीमों को अपना सकते हैं, जैसे ई‑साइकल या EV खरीदने पर रियायती दरें।
हर व्यक्ति छोटी-छोटी आदत बदल कर बड़ी बदलाव ला सकता है। अगर हम सभी मिलकर कम कार चलाएँ, सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग बढ़ाएँ और पेड़ लगाएँ, तो वायु की गुणवत्ता धीरे‑धीरे सुधर जाएगी। याद रखें: साफ़ हवा सिर्फ एक सुविधा नहीं, बल्कि स्वस्थ जीवन का आधार है।
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