क्या रोकी जा सकती थी कल्लाकुरिची शराब त्रासदी? एमके स्टालिन सरकार की आलोचना

क्या रोकी जा सकती थी कल्लाकुरिची शराब त्रासदी? एमके स्टालिन सरकार की आलोचना

कल्लाकुरिची शराब त्रासदी: क्या इसे टाला जा सकता था?

तमिलनाडु के कल्लाकुरिची जिले में हाल ही में हुई शराब त्रासदी में 37 लोगों की मौत ने राज्यव्यापी आक्रोश और राजनीतिक उथल-पुथल को जन्म दिया है। इस त्रासदी का मुख्य कारण अवैध रूप से बनी शराब को माना जा रहा है, जिसे गरीब श्रमिकों ने पीकर अपनी जान गंवाई। आलोचकों का मानना है कि इस त्रासदी को टाला जा सकता था, अगर सरकार और कानून एवं व्यवस्था तंत्र ने अपनी भूमिका सही तरीके से निभाई होती।

आर्थिक प्रतिबंध और गरीब जनता

श्रमिकों की दैनिक मजदूरी पर आश्रित ये लोग अत्यधिक महंगी भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) नहीं खरीद पाते थे। इसलिए, इन लोगों ने सस्ती अवैध शराब का सहारा लिया, जिसे मात्र 50 रुपये में बेचा जा रहा था। इस शराब की गुणवत्ता और सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया गया, जिसके चलते यह त्रासदी घटित हुई।

यह घटना न केवल सरकार की नाकामी को दर्शाती है, बल्कि इस समाज में व्याप्त गहरी आर्थिक असमानता को भी उजागर करती है। वंचित वर्ग की जरूरतें और इच्छाएं अक्सर नजरअंदाज कर दी जाती हैं, जिससे वे इस प्रकार के खतरनाक विकल्पों की ओर आकर्षित होते हैं।

राजनीतिक आरोप और प्रत्यारोप

AIADMK के नेता एडापड्डी पलानीस्वामी ने वर्तमान मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से इस्तीफे की मांग की है। उनका आरोप है कि राज्य सरकार ने अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने में असफल रही है, जिससे यह त्रासदी घटित हुई। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है, और इसे प्रशासनिक असफलता का परिणाम बताया है।

शराब पर प्रतिबंध और उसकी प्रभावशीलता

वसींटन किझान जिलों के सांसद डी रविकुमार ने इस अवसर पर शराब पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग की। उनका मानना है कि अवैध शराब निर्माताओं, विक्रेताओं और पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई आवश्यक है। साथ ही, समाज की आर्थिक स्थितियों और शिक्षा व्यवस्था में सुधार भी अति आवश्यक है।

हालांकि, दलित लेखिका शालिन मारिया लॉरेंस इस मांग से असहमत हैं। उनका कहना है कि शराब के सेवन का मुख्य कारण समाज के आर्थिक और सामाजिक दबाव हैं। बिना इन स्थितियों के सुधार के शराब पर प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं हो सकता।

विशेषज्ञों की राय

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि शराब पर प्रतिबंध न केवल अप्रभावी होता है, बल्कि इससे अवैध शराब निर्माताओं को भी फायदा होता है। शराबबंदी के कारण काले बाजार का विस्तार होता है और इस प्रकार की दुर्घटनाओं की संभावना और बढ़ जाती है।

समाधान की दिशा में कदम

निर्देशक पी रंजीत ने सभी जिलों में नशामुक्ति केंद्रों की स्थापना की मांग की है। उनका कहना है कि शराब की लत एक गंभीर समस्या है, और इसे जड़ से मिटाने के लिए सरकारी और सामाजिक स्तर पर एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए।

इन त्रासदी से यह स्पष्ट होता है कि तमिलनाडु में अवैध शराब पर नियंत्रण हेतु ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। पुलिस और प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता और जिम्मेदारी में सुधार अत्यावश्यक हैं। साथ ही, समाज के आर्थिक और सामाजिक दबावों को कम करने के लिए व्यापक सुधार लागू किए जाने चाहिए। सरकार को गरीबों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उनके लिए सुरक्षित और सस्ती विकल्प उपलब्ध कराने चाहिए ताकि ऐसी त्रासदियों को पुनः होने से रोका जा सके।

शासन और समाज दोनों को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि इस प्रकार की दुर्घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और समाज के सभी वर्गों को सुरक्षित और सम्मानपूर्ण जीवन जीने का अधिकार मिले।

Shifa khatun

लेखक के बारे में

Shifa khatun

मैं एक स्वतंत्र पत्रकार हूँ जो भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लिखती हूँ। मुझे लेखन और रिपोर्टिंग में गहरी रुचि है। मेरा उद्देश लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है। मैंने कई प्रमुख समाचार पत्रों और वेबसाइट्स के लिए काम किया है।

टिप्पणि (12)

  1. Navneet Raj

    Navneet Raj - 22 जून 2024

    इस त्रासदी का मूल कारण शराब नहीं, बल्कि गरीबी है। जब एक आदमी की दैनिक मजदूरी 300 रुपये हो, तो उसके लिए 50 रुपये की शराब एक एकमात्र राहत हो जाती है। सरकार को अवैध शराब को रोकने के बजाय, उनके लिए सस्ती और सुरक्षित विकल्प बनाने चाहिए।

    ये लोग शराब पी रहे हैं क्योंकि उनके पास कुछ और नहीं है।

  2. pk McVicker

    pk McVicker - 23 जून 2024

    शराब बंद कर दो। बस।

  3. Soumita Banerjee

    Soumita Banerjee - 23 जून 2024

    यह एक बेहद सामाजिक-आर्थिक असमानता का विकृत प्रतिबिंब है। निर्मूलीकरण के बजाय, नियंत्रण के तंत्र ने अवैध बाजार को निर्माण किया है। इसका एक जटिल अर्थशास्त्र है-जहां राजनीतिक लाभ के लिए जनता को असहाय बनाया जाता है।

    शराब बंदी एक प्रतीकात्मक नीति है, जो वास्तविक समस्या को छिपाती है। विकास के बिना, यह सिर्फ एक और नियंत्रण यंत्र है।

  4. Neel Shah

    Neel Shah - 25 जून 2024

    ओह अरे वाह!! फिर से शराब बंदी का मुद्दा?? 😅🤯

    क्या आपने कभी सोचा कि जब आप एक गरीब आदमी को उसकी एकमात्र आनंद की वस्तु छीन लें, तो वह अपने आप को खो देता है??

    और फिर सरकार बोलती है-‘हमने तो बंद कर दिया!’ 😂😂

    क्या आप जानते हैं कि अब ये लोग कितने जहरीले विकल्पों को चुन रहे हैं??

    अगर आपको लगता है कि बंदी समाधान है, तो आपको फिर से सोचना चाहिए। 🤔💣

  5. shweta zingade

    shweta zingade - 25 जून 2024

    मैं एक नशामुक्ति केंद्र में काम करती हूँ। ये लोग शराब पीते हैं क्योंकि उनके पास कोई आशा नहीं है।

    हर गांव में एक निःशुल्क मनोवैज्ञानिक सलाहकार चाहिए। न केवल डॉक्टर, बल्कि एक व्यक्ति जो उन्हें सुने।

    हम जब तक उनके दर्द को नहीं समझेंगे, तब तक ये त्रासदियां दोहराई जाएंगी।

    मैंने देखा है-एक बार जब लोगों को एक सुरक्षित जगह मिल जाती है, तो वे अकेले भी बदल सकते हैं।

    इसलिए, केंद्रों की जगह नहीं, उनकी गुणवत्ता और उपलब्धता का ध्यान रखें।

    ये लोग शराब नहीं, बल्कि सम्मान चाहते हैं।

  6. Anuja Kadam

    Anuja Kadam - 26 जून 2024

    sharaab band karo ya phir sarkar apne kanoon ko sahi se lagao... koi bhi option hai toh kyun nahi kare? yeh sab bolne wale toh bas baat kar rahe hai...

    aur haan, kuch log toh kehte hain ki yeh sab 'systemic issue' hai... bhai, log mar rahe hain, system ka kya?

  7. Pradeep Yellumahanti

    Pradeep Yellumahanti - 26 जून 2024

    हमारे यहां शराब पर प्रतिबंध लगाने का मतलब है-‘हम अपनी असफलता को बाहर धकेल देंगे’।

    क्या आपने कभी सोचा कि जब एक आदमी दिनभर इंश्योरेंस कार्यकर्ता के रूप में काम करता है और फिर 50 रुपये की शराब पीता है, तो वह बस अपने जीवन के लिए एक दरवाजा बंद कर रहा है?

    हम इसे नशा नहीं, बल्कि एक जीवन विकल्प के रूप में देखते हैं।

    और अब सरकार बोलती है-‘हमने बंद कर दिया’।

    सच तो यह है कि हम अपनी नीतियों के बजाय लोगों के दर्द को देखने के लिए तैयार नहीं हैं।

  8. Shalini Thakrar

    Shalini Thakrar - 26 जून 2024

    शराब बंदी एक सामाजिक अनुचितता का प्रतीक है।

    जब आप एक गरीब व्यक्ति को उसके एकमात्र शांति के स्रोत से वंचित करते हैं, तो आप उसकी आत्मा को नहीं, बल्कि उसकी इच्छा को नष्ट कर रहे हैं।

    यह एक विचारधारा है-जो नियंत्रण को नैतिकता के रूप में प्रस्तुत करती है।

    पर वास्तविकता यह है कि अगर आप लोगों को आर्थिक सुरक्षा नहीं देते, तो वे अपने लिए कुछ भी खोज लेंगे।

    शराब नहीं, असमानता इस त्रासदी की जड़ है।

    और हां, यह एक दर्द है जिसे आप अपने बिल्डिंग में छिपा सकते हैं, लेकिन यह अभी भी वहीं है।

  9. Laura Balparamar

    Laura Balparamar - 27 जून 2024

    हम यह नहीं कह सकते कि शराब बंद होनी चाहिए।

    हम यह कह सकते हैं कि गरीबों को रोज़ का खाना और एक दिन का आराम दिया जाए।

    शराब के बिना वे जी नहीं सकते-क्योंकि उनके पास कुछ भी नहीं है।

    ये बात समझो।

  10. Pooja Nagraj

    Pooja Nagraj - 28 जून 2024

    यह घटना एक अत्यंत जटिल सामाजिक-अर्थव्यवस्था के विकृत दर्पण के रूप में कार्य करती है, जहां राजनीतिक अभिव्यक्ति के अंतर्गत नागरिकों के अधिकारों का अवमूल्यन होता है।

    शराब बंदी एक नियंत्रण के उपकरण के रूप में कार्य करती है, जो असमानता को अंतर्निहित रूप से बढ़ावा देती है।

    एक न्यायपालिका के बजाय, हम एक प्रशासनिक नियंत्रण यंत्र को अपनाते हैं, जो वास्तविक समाधान के बजाय लोगों को अधिक असहाय बनाता है।

    इसलिए, शराब के बजाय, हमें सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क की नींव को मजबूत करने की आवश्यकता है।

    जब तक हम व्यक्ति के अस्तित्व को नहीं समझेंगे, तब तक यह त्रासदी दोहराई जाएगी।

  11. Piyush Raina

    Piyush Raina - 29 जून 2024

    क्या कोई जानता है कि इन लोगों के लिए शराब क्या है? यह एक जीवन रेखा है।

    उनके पास न तो घर है, न बच्चों के लिए खाना, न डॉक्टर।

    लेकिन एक बोतल है।

    और वह बोतल उन्हें एक घंटे के लिए यह महसूस कराती है कि वे जी रहे हैं।

    हम उन्हें उस बोतल को छीन लेते हैं, और फिर उन्हें बुरा बुलाते हैं।

    क्या यह न्याय है?

  12. Navneet Raj

    Navneet Raj - 29 जून 2024

    मैंने एक गांव में देखा था-एक आदमी जिसके पास एक दिन की मजदूरी थी। उसने कहा-‘मैं शराब नहीं पीता, मैं बस एक घंटे के लिए जीना चाहता हूं।’

    अगर हम उस घंटे को छीन लें, तो हम उसकी आत्मा को छीन लेते हैं।

    शराब बंदी नहीं, आशा बंदी यह त्रासदी का मूल कारण है।

एक टिप्पणी लिखें