मार्केट कपलिंग: आसान भाषा में पूरी जानकारी

आपने शायद ‘मार्केट कपलिंग’ शब्द सुना होगा, पर इसका मतलब आपके लिए क्या है? संक्षेप में कहें तो यह विभिन्न बिजली बाजारों को आपस में जोड़कर कीमतों और सप्लाई को संतुलित करने का तरीका है। जब अलग‑अलग देशों या क्षेत्रों के ग्रिड जुड़े होते हैं, तो एक जगह की अतिरिक्त ऊर्जा दूसरे स्थान पर इस्तेमाल हो सकती है, जिससे सबको सस्ता और स्थिर बिजली मिलती है.

मार्केट कपलिंग क्या है?

इसे समझने का सबसे आसान तरीका यह है – कल्पना करें कि आपके पड़ोसी के पास ज्यादा सूरज की रोशनी से उत्पन्न ऊर्जा है, जबकि आपके घर में बिजली की कमी है। अगर दोनों के बीच कनेक्शन हो तो आप अपने पड़ोसी से सस्ती बिजली ले सकते हैं और वह अपना बचे हुए पावर बेच सकता है. यही सिद्धांत यूरोप में कई देशों ने अपनाया है। इससे दो मुख्य फायदा मिलता है:

  • कीमतों की स्थिरता – जब एक बाजार में कीमत बहुत बढ़ जाती है, तो दूसरे बाजार की सस्ती बिजली मदद करती है.
  • ऊर्जा का बेहतर उपयोग – अतिरिक्त पावर को न फेंके, बल्कि जरूरत वाले क्षेत्र तक पहुँचाया जाता है.

यूरोप ने पहले ये मॉडल अपनाया और आज कई देशों में यह सिस्टम चल रहा है. इस कारण उन्होंने ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाई और CO₂ उत्सर्जन कम किया।

भारत में संभावित लाभ

भारत की बिजली व्यवस्था अभी भी कई चुनौतियों से जूझ रही है – हाई पावर कट, कीमतों का उतार‑चढ़ाव और नवीकरणीय ऊर्जा के बड़े पैमाने पर उपयोग को लेकर अनिश्चितता। मार्केट कपलिंग इन समस्याओं का समाधान दे सकता है:

  1. किफायती बिजली: उत्तर में पवन और सौर क्षमता अधिक है, जबकि दक्षिण में मांग ज्यादा है. कनेक्शन से दोनों के बीच ऊर्जा संतुलित होगी.
  2. ग्रिड स्थिरता: एक क्षेत्र की अतिरिक्त उत्पादन को दूसरे में भेजने से ग्रिड पर दबाव कम होगा, जिससे ब्लैकआउट की संभावना घटेगी.
  3. नवीकरणीय लक्ष्य आसान: अगर सौर और पवन ऊर्जा आसानी से ट्रांसफर हो सके तो भारत के 2030 तक 450 GW नवीकरणीय लक्ष्य को हासिल करना सरल रहेगा.

पर यह सब तभी संभव है जब तकनीकी, नियामक और आर्थिक चुनौतियों को सही ढंग से हल किया जाए। उदाहरण के तौर पर ट्रांसमिशन लाइनों की अपग्रेड, समान्य मूल्य निर्धारण नियम, और क्रॉस‑बॉर्डर एग्रीमेंट्स जरूरी हैं.

अगर आप एक ऊर्जा उद्यमी या निवेशक हैं तो मार्केट कपलिंग को नजरअंदाज़ नहीं करना चाहिए. यह न केवल नई व्यापारिक अवसर लाता है, बल्कि लंबे समय में स्थिर रिटर्न भी देता है। छोटे स्तर पर यदि आप सौर पैनल लगाते हैं, तो भविष्य में बड़े ग्रिड से जुड़कर अतिरिक्त बिजली बेचने का मौका मिल सकता है.

अंत में याद रखें – मार्केट कपलिंग कोई जटिल सिद्धांत नहीं, बल्कि एक प्रैक्टिकल तरीका है जो ऊर्जा को कम कीमत पर और अधिक भरोसेमंद बनाता है. यदि भारत इस मॉडल को अपनाएगा तो बिजली की महंगाई घटेगी, कटौती कम होगी और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा. अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर इस बदलाव के लिए समर्थन दें.

IEX शेयरों में 12% की भारी गिरावट: FY25 तक मार्केट कपलिंग लागू करने की केंद्र की योजना

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भारतीय ऊर्जा एक्सचेंज (IEX) के शेयर में तेज गिरावट दर्ज की गई है, जब एक खबर से यह पता चला कि केंद्र सरकार FY25 तक बिजली एक्सचेंज के लिए मार्केट कपलिंग लागू करने की योजना बना रही है। मार्केट कपलिंग का मतलब है कि भारत के सभी बिजली एक्सचेंज से खरीद और बिक्री बिड्स को समग्रित कर एक समान बाजार मूल्य तय किया जाएगा।

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