भारतीय रिजर्व बैंक के नए गवर्नरः संजय मल्होत्रा का परिचय
संजय मल्होत्रा का नाम अब उन प्रमुख नामों में शुमार हो गया है जिन्होंने भारतीय वित्त व्यवस्था के शीर्ष पदों में से एक को संभाला है। 1990 बैच के राजस्थान कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी, मल्होत्रा को दिसंबर 2024 से तीन वर्षीय अवधि के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया है। इस पद पर उन्हें शक्तिकांत दास की जगह लेने का अवसर मिला है, जिनका कार्यकाल दिसंबर 2018 में शुरू हुआ था और दिसंबर 2024 में समाप्त होगा।
शैक्षणिक योग्यता और पेशागत अनुभव
संजय मल्होत्रा ने अपनी शुरूआती पढ़ाई इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में आईआईटी कानपुर से की थी। इसके बाद, उन्होंने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से सार्वजनिक नीति में मास्टर डिग्री प्राप्त की। उन्होंने कई वर्षों तक सरकारी सिस्टम में काम किया है, जिसमें पावर, वित्त और कर भवन, सूचना प्रौद्योगिकी, और खनिज जैसे क्षेत्रों में उनकी सेवाएं शामिल हैं। यह नियुक्ति भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के प्रति सरकार की सीमिति को दर्शाती है, जो सिस्टम के भीतर कार्य करने और मौद्रिक और वित्तीय नीतियों पर सरकार के साथ समन्वय प्रदान करने की क्षमता रखते हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था की चुनौतियां
रिजर्व बैंक की जिम्मेदारियों का प्रमुख हिस्सा एक सशक्त मौद्रिक नीति का प्रबंधन करना है, बतौर गवर्नर संजय मल्होत्रा को कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। भारत में महंगाई दर अभी भी एक प्रमुख चिंता का विषय है, विशेष रूप से खाद्य महंगाई के चलते सितंबर और अक्टूबर के लिए शीर्षक महंगाई दर भी ऊंचाई पर रही है। आरबीआई ने 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) महंगाई दर 4.8% पर रखने का अनुमान लगाया है।
भारी चुनौतियां और संभावनाएं
योग्यता और अनुभव का समृद्ध मिश्रण रखने वाले मल्होत्रा के लिए अपनी भूमिका के तहत कुछ प्रमुख आर्थिक समन्वय की आवश्यकता पड़ेगी। उनका कार्यकाल राजनीति और आर्थिक रक्षा से जुड़ी बाहरी कारकों के साथ-साथ घरेलू आर्थिक डेटा द्वारा उत्पन्न चुनौतियों से जूझने का भी होगा। भारतीय रुपए की गिरती कीमत और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा निरंतर बिक्री से उत्पन्न विषम स्थितियों पर immediate action आवश्यक होगी।
भविष्य की उम्मीदें और नई योजनाएं
मल्होत्रा को फरवरी में मौद्रिक नीति के अपने पहले बैठक की अध्यक्षता करने का अवसर मिलेगा, जिसमें अधिकतर बाजार विशेषज्ञ अपेक्षाएं जता रहे हैं कि पिछली तिमाही के विकास में गिरावट और शिखर महंगाई के पीछे आने के कारण दर में कटौती की संभावनाएं मजबूत होंगी। हाल ही में संपन्न मौद्रिक नीति बैठक में, आरबीआई की छह-सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने पॉलिसी रेपो रेट को 6.5% पर रखा, लेकिन तरलता बढ़ाने के लिए नकद आरक्षित अनुपात में 50 आधार अंश कटौती की गई।
मल्होत्रा के लिए आरबीआई की अहम योजनाएं
आरबीआई की मौजूदा स्थिति में, कुछ शीर्ष प्राथमिकताओं में परियोजना वित्त, नकद कवरेज अनुपात (LCR), अपेक्षित क्रेडिट हानि (ECL), और बैंक निवेशकों के निर्देशांक को अंतिम रूप देना शामिल है। इन विषयों पर ड्राफ्ट नॉर्म्स तैयार करना उनके लिए एक बड़ा कार्य होगा। मौद्रिक नीति और आर्थिक सुधारों के संतुलन के साथ-साथ नवाचार की दिशा में आर्थिक प्रगति के लिए नई योजनाओं को कार्यान्वित करने की जरूरत होगी।
Neel Shah - 10 दिसंबर 2024
ये सब नियुक्तियाँ तो बस एक नए चेहरे का नाम बदलना है... असली समस्या तो वो है जो बैंक के बाहर है। और हाँ, आरबीआई का रेपो रेट 6.5% है? अरे भाई, जब तक खाद्य महंगाई नहीं ठीक होगी, ये सब नंबर बस फ़िल्म की डायलॉग हैं। 😩💸
shweta zingade - 12 दिसंबर 2024
संजय मल्होत्रा को बधाई! 🎉 इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से शुरू करके प्रिंसटन तक... ये जरूरी है कि आरबीआई के गवर्नर के पास टेक्निकल बैकग्राउंड हो। मैंने अपने दोस्त को एक बार बताया था - जब आप बैंकिंग को टेक्नोलॉजी से जोड़ते हैं, तो बचत बढ़ती है। अब वो देखोगे, डिजिटल रुपए और एआई-आधारित रिस्क मॉडल्स आएंगे। 💪🧠
Pooja Nagraj - 13 दिसंबर 2024
एक आईएएस अधिकारी को आरबीआई का गवर्नर बनाना... यह तो एक अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण घटना है। जब एक व्यक्ति ने बस सरकारी दफ्तरों में फाइलें घुमाई हैं, तो वह मौद्रिक नीति के गहरे सिद्धांतों को कैसे समझ सकता है? यह तो जैसे एक रेडियो इंजीनियर को ऑर्केस्ट्रा की दिशा देना हो। 🎻📉 इस नियुक्ति में भारतीय अर्थव्यवस्था की आत्मा की गहरी बेचैनी झलकती है।
Anuja Kadam - 14 दिसंबर 2024
kya ye sach mei hai? kya ye insaan actually princeton se masters kiya? ya phir sirf resume mein likh diya? 😅 RBI ke saamne ek aur naya naam... aur hum sabko phir se inflation ka khel khelna hoga. bhai, koi bhi naya governor aaye, inflation toh same rahega. bas naam badal jayega.
Pradeep Yellumahanti - 16 दिसंबर 2024
इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से प्रिंसटन... और फिर आरबीआई का गवर्नर? ये तो वही है जब एक लड़का जिसने बाइक की मरम्मत सीखी है, उसे एयरबस बनाने का निर्देश दे दिया जाए। नहीं भाई, ये सब नियुक्तियाँ बस एक बड़ी राजनीतिक नाटक हैं। आरबीआई का असली काम तो बैंकों के बाहर चल रहा है।
Shalini Thakrar - 16 दिसंबर 2024
मल्होत्रा के पास टेक्निकल एक्सपर्टाइज़ और पब्लिक पॉलिसी एक्सपीरियंस दोनों हैं - ये एक न्यूरो-इकोनॉमिक फ्यूजन है। जब आपके पास एक इंजीनियरिंग बैकग्राउंड है और फिर आप नीति डिजाइन करते हैं, तो आपकी निर्णय लेने की प्रक्रिया में डेटा-ड्रिवन लॉजिक और सामाजिक इम्पैक्ट का एक अद्भुत सिंबियोसिस बनता है। ये एक नया युग है। 🌐📈
pk McVicker - 16 दिसंबर 2024
फिर से एक आईएएस। बस इतना ही।
Laura Balparamar - 18 दिसंबर 2024
ये सब नाम बदलने का खेल बंद करो। जब तक हम रिजर्व बैंक को अपनी राजनीति से अलग नहीं करेंगे, तब तक ये सब नया गवर्नर, पुराना गवर्नर - बस एक नाम बदल जाएगा। अगर आरबीआई को सच में स्वतंत्रता चाहिए, तो इसका नियुक्ति प्रक्रिया बदलो। नहीं तो ये सब नाटक है।
Shivam Singh - 20 दिसंबर 2024
princeton ki degree hai toh badi baat hai... lekin kya usne kabhi kisi chhoti dukaan ke dukaandar ko loan diya? kya usne dekha hai ki 1000 rupaye ki chawal ki dukaan kaise chalti hai? ye sabhi 'experts' sirf data dekhte hain... real india toh unke radar par nahi hai 😔
Piyush Raina - 21 दिसंबर 2024
इस नियुक्ति के बाद क्या आरबीआई के बाहर के लोग भी अपनी बात बोलने लगेंगे? मैंने देखा है कि जब कोई नया गवर्नर आता है, तो बैंकों के अधिकारी बस एक नए बाहरी चेहरे को देखकर उसके साथ बातचीत करने की कोशिश करते हैं। लेकिन असली बदलाव तो उस दिन होगा जब एक छोटे व्यापारी को बैंक से लोन मिलेगा बिना किसी ब्यूरोक्रेसी के।
Srinath Mittapelli - 21 दिसंबर 2024
दोस्तों, ये नियुक्ति एक नई शुरुआत है। अगर हम इसे एक नए नेतृत्व के रूप में देखें तो इसका मतलब ये हो सकता है कि हम अब एक ऐसी नीति की ओर बढ़ रहे हैं जो बस नंबरों के बारे में नहीं, बल्कि लोगों के बारे में है। मल्होत्रा के पास वो सब कुछ है जो एक गवर्नर को चाहिए - तकनीकी ज्ञान, सरकारी अनुभव, और अब ये देखना है कि क्या वो बाजार के भीतर और बाहर दोनों की आवाज़ सुन सकते हैं। बस एक बात - अगर वो छोटे व्यापारियों की आवाज़ भी सुन पाते हैं, तो ये वाकई एक नया युग होगा।
Vineet Tripathi - 22 दिसंबर 2024
बस एक बात - जब तक हम आरबीआई के गवर्नर को बैंकों के बाहर भी जाने देंगे, तब तक ये सब नया गवर्नर, पुराना गवर्नर बना रहेगा। असली बदलाव तो उस दिन होगा जब कोई गवर्नर बाजार में जाएगा और एक चाय की दुकान पर बैठकर बात करेगा। वो जानेगा कि चाय की कीमत क्यों बढ़ी है।