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पश्चिमी व्यवधान से उत्तर‑पश्चिम भारत में तेज़ बारिश और ठंड – 5‑6 अक्टूबर 2025

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पश्चिमी व्यवधान से उत्तर‑पश्चिम भारत में तेज़ बारिश और ठंड – 5‑6 अक्टूबर 2025
Shifa khatun Shifa khatun
  • 13

जब भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 5 अक्टूबर 2025 को विशेष मौसम बुलेटिन जारी किया, तो पूरे उत्तर‑पश्चिम भारत में तेज़ बदलाव की आशंका पैदा हो गई। विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नरेश कुमार (वैज्ञानिक‑F) और डॉ. अखिल श्रीवास्तव (वैज्ञानिक‑D) ने कहा कि एक तीव्र पश्चिमी व्यवधान 5‑6 अक्टूबर को उत्तरी भारत के कई हिस्सों में भारी वर्षा, ओले और तापमान में गिरावट लेकर आएगा। यह खबर इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसका असर दैनिक जीवन, कृषि और जल संसाधन प्रबंधन पर सीधे पड़ेगा।

विस्तृत मौसम पूर्वानुमान और प्रमुख आँकड़े

बुलेटिन के अनुसार, 5 अक्टूबर को बादल छाए रहेंगे, शाम‑संध्या तक बिखराव बढ़ेगा और हल्की‑से‑हलक़ी बारिश के साथ गड़गड़ाहट की संभावना रहेगी। विशेष रूप से, हिमाचल प्रदेश और जम्मू‑कश्मीर में ओलों की चेतावनी जारी की गई; पंजाब में 5‑6 अक्टूबर दोनों दिन ओले संभव हैं, जबकि हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान में केवल 6 अक्टूबर को ओले पड़ सकते हैं।

  • डेल्टा तापमान गिरावट: उत्तर‑पश्चिम में न्यूनतम तापमान 4‑5 °C तक नीचे गिरने की संभावना (8‑10 अक्टूबर)
  • दिल्ली में अधिकतम तापमान: 34.1 °C (5 अक्टूबर) से 28 °C (6 अक्टूबर) तक
  • दिल्ली में न्यूनतम तापमान: 24.2 °C से 20 °C (8 अक्टूबर) तक
  • दिल्ली‑सफदरजुंग स्टेशन ने पहले पाँच दिनों में 51.8 mm बारिश दर्ज की (औसत 15.1 mm से >3 गुना)

राज्य‑वार चेतावनियों का विस्तृत विवरण

हिमाचल प्रदेश और जम्मू‑कश्मीर में 5 अक्टूबर को बर्फ‑बारी के साथ ओले आएंगे, जिससे पहाड़ी क्षेत्रों में बाढ़ का जोखिम बढ़ता है। पंजाब में दो‑दिन तक हल्की‑से‑हलक़ी बारिश के साथ गड़गड़ाहट सुनाई देगी; कृषि क्षेत्रों में फसल को जल‑संकट से बचाने के लिए जनरल सूचना जारी है। अगले दिन हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान को केवल 6 अक्टूबर को ओले की आशंका है। इन क्षेत्रों में शहरी जल निकासी प्रणाली पर दबाव बढ़ेगा, इसलिए स्थानीय प्रशासन ने जल‑संकट प्रबंधन के लिए अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती का आदेश दिया।

दिल्ली‑एनसीआर की विशेष स्थितियाँ

दिल्ली में 5 अक्टूबर को अधिकतम तापमान 34.1 °C तक पहुंचा, पर 6 अक्टूबर को वही तापमान 28 °C तक गिर गया – यह इस मौसम में सबसे तीव्र गिरावट में से एक है। न्यूनतम तापमान भी 24.2 °C से घटकर 20 °C (8 अक्टूबर) होगा, जिससे सुहावना ठंडा माहौल बन जाएगा। मौसम विभाग ने 6‑7 अक्टूबर के लिए पीला चेतावनी जारी किया, जिसमें आवासीय क्षेत्र में अंतराल बरसात और ठंडी हवाओं की संभावना बताई गई।

पूर्वोत्तर भारत में अत्यधिक वर्षा

पूर्वोत्तर भारत में अत्यधिक वर्षा

पश्चिमी व्यवधान का प्रभाव सिर्फ उत्तर‑पश्चिम तक सीमित नहीं है; पूर्वोत्तर भारत में भी भारी वर्षा और दुष्ट बाढ़ की संभावना है। अरुणाचल प्रदेश में 5‑6 और 10 अक्टूबर को अल्प‑से‑मध्यम बारिश, जबकि 5 अक्टूबर को अत्यधिक बरसात की अपेक्षा है। असम, मेघालय और नागालैंड में 5‑10 अक्टूबर तक लगातार बारिश होगी; मेघालय को 5 अक्टूबर को ‘अत्यधिक भारी वर्षा’ की चेतावनी मिली है। मणिपुर में 8‑9 अक्टूबर को भारी बारिश, मिजोराम में 8 अक्टूबर को समान स्थिति, और तमिलनाडु में 5‑9 अक्टूबर तक बिछी हुई भारी बारिश की संभावना है।

विशेषज्ञों की राय और आगे की संभावनाएँ

डॉ. नरेश कुमार ने कहा, “पश्चिमी व्यवधान की तीव्र गति और नमी का संगम इस सप्ताह उत्तर‑पश्चिम में असामान्य मौसम लाएगा। विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में जल‑संकट और बाढ़ से बचाव के लिए शीघ्र कार्य आवश्यक है।” दूसरी ओर, जलवायु वैज्ञानिक डॉ. रीता सिंह (इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ़ क्लाइमेट रिसर्च) ने बताया कि इस प्रकार के व्यवधानों की आवृत्ति पिचली‑सर्दियों में बढ़ रही है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष प्रभाव को दर्शाती है। विभाग ने अगले दो-तीन दिनों में व्यवधान की तीव्रता में धीरे‑धीरे कमी की संभावना जताई है, पर सतर्कता बरकरार रखनी चाहिए।

समाप्ति और भविष्य की निगरानी

समाप्ति और भविष्य की निगरानी

स्पेशल बुलेटिन नंबर 3 (6 अक्टूबर) ने स्पष्ट किया कि अगले दो दिनों में भारी‑से‑बहुत‑भारी बारिश और ओले का ख़तरा अधिकतम रहेगा, पर 7 अक्टूबर से पाए जाने वाले संकेत हल्के होते जाएंगे। विभाग ने नागरिकों को “अत्यावश्यक” स्थितियों में स्थानीय प्रशासन के निर्देशों का पालन करने, जल‑संकट बचाव उपकरण तैयार रखने और आवश्यक दवाइयों का स्टॉक रख‑रखाव करने की सलाह दी। इस वर्ष के शुरुआती अक्टूबर में देखी गई अचानक बारिश, विशेषकर दिल्ली‑सफदरजुंग स्टेशन के 51.8 mm आंकड़े, यह दर्शाता है कि जल‑संकट के लिये तैयारियाँ अब केवल मौसमी नहीं बल्कि साल भर की नीति बननी चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

यह पश्चिमी व्यवधान किन राज्यों को सबसे अधिक प्रभावित करेगा?

हिमाचल प्रदेश, जम्मू‑कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान को ओलों और भारी बारिश की सबसे अधिक चेतावनी मिली है। इन क्षेत्रों में पहाड़ी बाढ़ और शहरी जल निकासी पर दबाव बढ़ेगा, इसलिए स्थानीय प्रशासन ने अतिरिक्त राहत टीमों की तैनाती कर दी है।

दिल्ली में तापमान में इतनी बड़ा गिरावट क्यों आया?

पश्चिमी व्यवधान के साथ ठंडी उत्तर‑पश्चिमी हवाओं का प्रवेश हुआ, जिससे धुंध और ठंडी हवाएँ चलने लगीं। इससे 5 अक्टूबर का अधिकतम 34.1 °C अचानक 6 अक्टूबर को 28 °C तक गिर गया, और न्यूनतम तापमान भी दो‑तीन दिन में 20 °C तक पहुँच गया।

पूर्वोत्तर भारत में कौन‑से क्षेत्रों को सबसे भारी बारिश का सामना करना पड़ेगा?

मेघालय को 5 अक्टूबर को ‘अत्यधिक भारी बारिश’ की चेतावनी मिली है, जबकि असम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश में लगातार हल्की‑से‑मध्यम बारिश होगी। मणिपुर, मिजोराम और तमिलनाडु में भी 8‑9 अक्टूबर के आसपास भारी वर्षा की संभावना है।

इस मौसम के दौरान किसान कैसे तैयारी कर सकते हैं?

कृषि विभाग ने किसानों को जल‑निकासी के लिए खेत के किनारों को ऊँचा करने, रबर‑ऑफ‑कोर्स को बेवस्थित करने और फसल‑संरक्षण हेतु प्रतिरक्षा कवच (फॉसिल) के उपयोग की सलाह दी है। साथ ही, तेज़ बारिश के दौरान बीज का डुबकी से बचाव और बीज‑भंडारण को सूखा रखने की सलाह दी गई है।

क्या इस व्यवधान से अगली दो‑तीन दिनों में मौसम सामान्य हो जाएगा?

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने बताया है कि 7 अक्टूबर के बाद व्यवधान की तीव्रता में कमी आएगी, परंतु हल्की‑से‑मध्यम बारिश और ठंडी हवाएं जारी रह सकती हैं। इसलिए सतर्कता बरकरार रखनी चाहिए और स्थानीय अलर्ट पर नजर रखनी चाहिए।

Shifa khatun

लेखक के बारे में

Shifa khatun

मैं एक स्वतंत्र पत्रकार हूँ जो भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लिखती हूँ। मुझे लेखन और रिपोर्टिंग में गहरी रुचि है। मेरा उद्देश लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है। मैंने कई प्रमुख समाचार पत्रों और वेबसाइट्स के लिए काम किया है।

टिप्पणि (13)

  1. Akhil Nagath

    Akhil Nagath - 6 अक्तूबर 2025

    बाजार की भाग‑दौड़ में अक्सर हम प्रकृति के प्रति अपना कर्तव्य भूल जाते हैं। इस अचानक आई बारिश को केवल असुविधा नहीं, बल्कि हमारे सामाजिक दायित्व का परीक्षण मानना चाहिए। हमें अपने पड़ोसियों की मदद के लिए तैयार रहना चाहिए, क्योंकि जल‑संकट में सामुदायिक सहयोग ही मुख्य बचाव है। सरकार की चेतवनी को गंभीरता से अपनाते हुए, हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। अंत में, प्रकृति का सम्मान ही हमारे भविष्य की सुरक्षा की कुंजी है। 😊

  2. vipin dhiman

    vipin dhiman - 7 अक्तूबर 2025

    इन्दिया की बाढ़ को रोको, बाहरी ताक़तों को नहीं।

  3. vijay jangra

    vijay jangra - 7 अक्तूबर 2025

    बारिश का प्रकोप विशेष रूप से धान के खेतों को नुकसान पहुँचा सकता है, इसलिए पूर्व तैयारी आवश्यक है। अपने नाली‑प्रवाह को साफ़ रखें और खेत के किनारे ऊँचा करके जल‑भराव को रोकें। अगर संभव हो तो बायो‑ड्रेन का उपयोग करके अतिरिक्त पानी को संग्रहित किया जा सकता है। साथ ही, स्थानीय जल‑संकट प्रबंधन टीम के साथ समन्वय बनाकर आपातकालीन सहायता प्राप्त की जा सकती है। आशा है कि इन सरल उपायों से फसल को न्यूनतम नुकसान होगा।

  4. Vidit Gupta

    Vidit Gupta - 8 अक्तूबर 2025

    बिलकुल सही कहा, नली‑सफ़ाई को प्राथमिकता देनी चाहिए; साथ ही, जल‑संरक्षण के लिए टैंक स्थापित करना न भूलें। यह कदम किसानों को बाढ़ के समय अतिरिक्त पानी उपलब्ध कराएगा, और सूखे के समय उपयोगी रहेगा।

  5. Gurkirat Gill

    Gurkirat Gill - 8 अक्तूबर 2025

    कृषि विभाग ने कहा है कि इस मौसम में फसल‑रक्षा के लिए रबर‑ऑफ़‑कोर्स को बेवस्थित करना चाहिए, जिससे पानी का बहाव नियंत्रित हो सके। खेत की निचली ओर छोटे‑छोटे जल‑नाली बनाकर निकलते पानी को संग्रहित किया जा सकता है। इसके अलावा, पौधों को घास‑बिच्छू जैसे रोगों से बचाने हेतु फसल‑संरक्षक उपाय अपनाएँ। तेज़ बारिश के दौरान फसल के क़रीब नहीं रहना चाहिए, ताकि नाजुक शाखाएँ न टूटें। इन टिप्स को अपनाने से फसल की सुरक्षा निश्चित रहेगी, और किसानों को आर्थिक नुकसान कम होगा।

  6. Sandeep Chavan

    Sandeep Chavan - 8 अक्तूबर 2025

    साथियों, ये उपाय अपनाएँ-जल‑नाली, रबर‑ऑफ़‑कोर्स, और फसल‑संरक्षक-और देखें कैसे आपके खेत का उत्पादन बढ़ता है! याद रखें, तैयारी में ही जीत है; देर न करें, अभी से कार्य शुरू करें! 🚜

  7. anushka agrahari

    anushka agrahari - 8 अक्तूबर 2025

    प्रकृति की इस अप्रत्याशित मार को देखते हुए, हम यह समझ सकते हैं कि मानव और जल के बीच संतुलन कितनी नाज़ुक है। जब बादल गहन होते हैं, तो हमारे भीतर भी गहरी विचारशीलता जागरित होती है-कि हम किस प्रकार के नायक बनेंगे, जो इस आपदा में सहयोगी बनें। हमारी जिम्मेदारी केवल व्यक्तिगत सुरक्षा नहीं, बल्कि सामाजिक सद्भावना को बनाए रखना है। इस कारण, प्रत्येक घर को जल‑संकट की तैयारी में सक्रिय रहना चाहिए, ताकि सामूहिक रूप से हम इस चुनौती को पार कर सकें।

  8. Mohammed Azharuddin Sayed

    Mohammed Azharuddin Sayed - 9 अक्तूबर 2025

    वास्तव में, इस प्रकार की मौसमी परिवर्तनों का अध्ययन हमें मौसम‑विज्ञान और जल‑प्रबंधन के बीच के जटिल संबंधों को समझने में मदद करता है। जब हम डेटा‑आधारित उपाय अपनाते हैं, तो न केवल तत्काल जोखिम घटता है, बल्कि दीर्घकालिक नियोजन भी सुदृढ़ होता है। इसलिए, स्थानीय अधिकारियों से नियमित अपडेट लेते रहें और अपने परिसर में उचित सुरक्षा उपाय लागू करें।

  9. Avadh Kakkad

    Avadh Kakkad - 9 अक्तूबर 2025

    जैसा कि आधिकारिक बुलेटिन में उल्लेख है, दिल्ली‑सफदरजुंग स्टेशन ने पिछले पाँच दिनों में 51.8 mm वर्षा दर्ज की, जो औसत से तीन गुना अधिक है, और यह आंकड़ा दर्शाता है कि इस वर्ष की पहली अक्टूबर में जल‑संकट की संभावनाएँ अत्यधिक बढ़ी हैं।

  10. KRISHNAMURTHY R

    KRISHNAMURTHY R - 9 अक्तूबर 2025

    भाइयो, इस मौसम में 'हेड‑ड्रॉप' जैसी तकनीक अपनाकर आप अपने घर की छत से जल‑संकलन कर सकते हैं। साथ ही, 'ड्रेन‑मैपिंग' द्वारा जल‑निकासी प्रणाली को अनुकूलित करना न भूलें; इससे बाढ़‑प्रवण इलाकों में जल‑स्तर नियंत्रित रहेगा। 🚰

  11. priyanka k

    priyanka k - 9 अक्तूबर 2025

    वाह! जैसे ही मौसम विभाग की चेतावनी आती है, फिर भी कुछ लोग सिर्फ सोशल‑मीडिया पर memes शेयर कर रहे हैं-जैसे यह सब दैनिक जीवन का हिस्सा ही हो! 🙄

  12. Shivansh Chawla

    Shivansh Chawla - 9 अक्तूबर 2025

    देश की सुरक्षा के लिए हमें ऐसे अहंकारी विचारधारा को हटाना चाहिए; मौसम के वैज्ञानिक डेटा को गंभीरता से लेना ही हमारी असली ताक़त है।

  13. aparna apu

    aparna apu - 9 अक्तूबर 2025

    इस बार की पश्चिमी व्यवधान ने हमें याद दिलाया है कि प्रकृति कभी भी अपने नियमों को नज़रअंदाज़ नहीं करवाती।
    एक क्षण में ही गर्मी के जलते सूरज से ठंडी हवाओं का झोंका हमारे शहरों में छा जाता है, और लोग अपनी रूटीन में अटके रहते हैं।
    लेकिन इस अनियंत्रित मौसम में हमारे सामाजिक बंधन की परीक्षा भी होती है; यह देखना रोमांचक है कि कैसे पड़ोस के लोग एक साथ मिलकर जल‑निकासी की समस्या को हल करने की कोशिश करते हैं।
    इस दौरान स्थानीय प्रशासन की तत्परता भी विशेष रूप से सराहनीय रही, क्योंकि उन्होंने अतिरिक्त कर्मियों की तैनाती कर सटीक मदद प्रदान की।
    कृषि क्षेत्र में भी कुछ किसान अपने खेतों को ऊँचा करने की प्रक्रिया में जुटे हैं, जिससे जल‑संकट कम हो सके।
    कई युवा स्वयंसेवक भी बाढ़‑प्रभावित क्षेत्रों में सहायता सामग्री वितरित करने में मदद कर रहे हैं।
    वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने संभावित जल‑जनित रोगों से बचाव के लिए टीकाकरण कैंप चलाए हैं, जिससे समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित हुई।
    यह सब मिलकर दिखाता है कि जब हम सामूहिक रूप से काम करते हैं, तो बड़ी चुनौती भी छोटी लगने लगती है।
    लेकिन एक बात है, ऐसे मौसम में कई लोग अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए संसाधनों का दुरुपयोग भी कर सकते हैं, जिससे सामाजिक असंतुलन पैदा हो सकता है।
    इसलिए, हमें सतर्क रहना चाहिए और नैतिक मूल्यों को बनाए रखना चाहिए।
    इस बाढ़ के बाद जल‑संरक्षण के लिए कई नई नीतियों की चर्चा भी चल रही है, जैसे कि टैक्टिकल जल‑संग्रहण प्रणाली का निर्माण।
    यह नीतियां दीर्घकालिक जल‑सुरक्षा को मजबूत करने में मददगार होंगी।
    साथ ही, इस तरह की आपदाओं के बाद मानसिक स्वास्थ्य के लिए काउंसलिंग सत्र भी आयोजित किए जा रहे हैं, जो बहुत आवश्यक है।
    स्कूलों में बच्चों को जल‑सुरक्षा के बारे में जागरूक करने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए गए हैं।
    सभी इस बात पर सहमत हैं कि इस मौसम के बाद हमें जल‑प्रबंधन के क्षेत्र में अधिक निवेश करना चाहिए।
    अंत में, मैं यही कहूँगा कि हम सभी को इस अनुभव से सीख लेकर भविष्य में बेहतर तैयारी करनी चाहिए, क्योंकि केवल तभी हम इस तरह की अप्रत्याशित मौसम की मार को सहन कर पाएँगे। 😊

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