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अक्तू॰ 1 2024 - समाचार
अगर आप सोच रहे हैं कि इस साल गुरु पूर्णिमा कौन‑से दिन पड़ती है, तो पढ़िए यह लेख। हर साल शरद ऋतु में ज्यों ही चंद्रमा पूर्णिमापर पहुँचा, वैसे ही गुरु पौराणिक ज्ञान के प्रतीक गुरुओं को सम्मानित करने का मौका मिलता है। 2025 में यह त्यौहार 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन लोग अपने गुरुजनों की कृतज्ञता दिखाते हैं और ज्ञान के महत्व को याद करते हैं।
गुरु पौर्णिमां का जड़ें वैदिक संस्कृति में हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने अपने 12वें स्वरूप (महादेव) को अर्द्धनारीश्वर के रूप में प्रकट किया और ब्रह्मा, विष्णु और इंद्र को उपदेश दिया। इसलिए इसे ‘गुरु’ यानी शिक्षक का त्यौहार कहा गया। पुराणों में लिखा है कि इस दिन शिष्यों ने अपने गुरु को सम्मानित करने के लिए फूल और अक्षर‑अभ्यास अर्पित किया था। आज भी कई लोग इस दिन गुरुओं की शिक्षाओं को याद करके उनका आशीर्वाद लेते हैं।
अगर आप पहली बार गुरु पौर्णिमां मना रहे हैं, तो नीचे दी गई आसान स्टेप्स फॉलो करें:
इन चरणों में कोई जटिल रिवाज नहीं है, बस दिल से किया गया सम्मान ही महत्वपूर्ण है। अगर आप छात्र हैं तो अपने गुरु के प्रति कृतज्ञता लिखकर एक छोटा पत्र भी दे सकते हैं। यह भावनात्मक जुड़ाव को और गहरा बनाता है।
गुरु पौर्णिमां के दिन कई शहरों में विशेष कार्यक्रम होते हैं—भजन‑कीर्तन, धार्मिक प्रवचन और शास्त्र पाठ। अगर आप भाग लेना चाहते हैं तो अपने नजदीकी मंदिर या संस्कृति केंद्र से समय की जानकारी ले लीजिए।
ध्यान रहे कि इस त्यौहार का असली मकसद ज्ञान को बढ़ावा देना है, इसलिए केवल बाहरी रीति‑रिवाजों पर नहीं, बल्कि स्वयं में सुधार करने के प्रयास पर ध्यान दें। पढ़ाई, नई स्किल सीखना या जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना भी गुरु पौर्णिमां की सच्ची भावना है।
अंत में एक बात याद रखें—गुरु केवल स्कूल‑कॉलेज के प्रोफेसर नहीं होते, वे हमारे परिवार, मित्र और अनुभवों से भी मिलते हैं। इस 23 अक्टूबर को आप अपने जीवन में ऐसे सभी ‘गुरुओं’ को सम्मान दें जो आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। शुभ गुरु पौर्णिमां!
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