राहुल गांधी का अपील, समर्थकों से स्मृति ईरानी के खिलाफ अभद्र भाषा का उपयोग ना करने की अपील

राहुल गांधी का अपील, समर्थकों से स्मृति ईरानी के खिलाफ अभद्र भाषा का उपयोग ना करने की अपील

राहुल गांधी ने की समर्थन की अपील

राहुल गांधी, जो कि प्रतिपक्ष के नेता और रायबरेली के सांसद हैं, ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपने समर्थकों से अपील की है कि वे स्मृति ईरानी के खिलाफ अभद्र भाषा का उपयोग ना करें। यह अपील उस समय की गई है जब हाल ही में कांग्रेस उम्मीदवार किशोरी लाल शर्मा के हाथों अमेठी संसदीय सीट हारने के बाद स्मृति ईरानी को भारी आलोचना और मजाक झेलना पड़ा है।

राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि जीतना और हारना जीवन का एक हिस्सा है, और किसी को अपमानित करना ताकत का नहीं बल्कि कमजोरी का संकेत है। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार का असभ्य व्यवहार समाज पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और हमें एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। यह संवाद उनके उन समर्थकों के लिए था जो स्मृति ईरानी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे थे।

स्मृति ईरानी और राहुल गांधी के बीच की राजनीति

स्मृति ईरानी और राहुल गांधी के बीच की राजनीतिक प्रतिस्पर्धा कोई नई बात नहीं है। 2019 के संसदीय चुनावों में ईरानी ने अमेठी से राहुल गांधी को हराया था, जो कांग्रेस के गढ़ के रूप में जाना जाता है। इस जीत को भारतीय जनता पार्टी के लिए एक बहुत बड़ी सफलता माना गया था। परंतु इस बार कांग्रेस उम्मीदवार के हाथों हार के बाद, ईरानी को अपनी सरकारी बंगला 28 तुगलक क्रिसेंट को खाली करना पड़ा।

इस हार के बाद, स्मृति ईरानी को सोशल मीडिया और जनता के कुछ हिस्सों द्वारा मजाक और आलोचना का सामना करना पड़ा। राहुल गांधी ने इसे गलत बताया और कहा कि इसके प्रति कोई भी प्रकार की अभद्र भाषा और असभ्य व्यवहार सही नहीं है। उन्होंने इसके बजाय संयम और शिष्टाचार को अपनाने की सलाह दी।

राजनीतिक विरोधियों के बीच सम्मान की बात

राजनीतिक विरोधियों के बीच सम्मान की बात

राजनीति में विरोधियों के बीच व्यापक सम्मान का महत्व हमेशा से रहा है। राहुल गांधी और स्मृति ईरानी के बीच की राजनीति भी इससे अलग नहीं है। हालांकि इनके बीच राजनीतिक और वैचारिक मतभेद हमेशा से रहे हैं, परंतु व्यक्तिगत सम्मान का महत्व नहीं भूलना चाहिए। जीत और हार के बावजूद दोनों के समर्थकों को एक दूसरे के प्रति सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए।

राहुल गांधी की इस अपील को एक महत्वपूर्ण संदेश के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों को संयम बनाए रखने और अपने विरोधियों के खिलाफ अभद्र भाषा का उपयोग ना करने की सलाह दी है।

समाज पर ऐसे संदेशों का प्रभाव

ऐसे संदेश का समाज पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ता है। नेता जब सम्मान और शिष्टाचार की बात करते हैं, तो उनके समर्थक और आम जनता भी उनसे प्रेरणा लेते हैं। ऐसे संदेश हमारे समाज को अधिक सहनशील और सहिष्णु बनाने में मदद करते हैं। भले ही राजनीतिक प्रतिस्पर्धा होती है, परंतु शिष्टाचार और सम्मान हमेशा प्राथमिकता होनी चाहिए।

इस प्रकार की अपीलें सामाजिक संवाद के स्तर को ऊपर उठाने का काम करती हैं। राहुल गांधी का यह संदेश उनके समर्थकों के लिए एक मार्गदर्शक की तरह है, जो उन्हें नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारियों की याद दिलाता है।

शक्ति का सही अर्थ

शक्ति का सही अर्थ

राहुल गांधी ने अपने संदेश में बताया कि असली शक्ति शारीरिक या संख्या बल में नहीं, बल्कि संयम और आत्मनियंत्रण में होती है। अपनी अपील में उन्होंने यह स्पष्ट किया कि किसी को अपमानित करना या उसकी हार का मजाक बनाना असभ्यता का रूप है। इसके बजाय हमें एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए और राज्यों की वास्तविक समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए।

राजनीतिक परिदृश्य में ऐसे संदेश और अपीलें बेहद अहम होती हैं। यह हमें याद दिलाते हैं कि राजनीति सिर्फ सत्ता का खेल नहीं है, बल्कि समाज की भलाई के लिए की गई सेवा भी है। हमें एक दूसरे के प्रति आदर और सम्मान बनाए रखना चाहिए, चाहे हम किसी भी पार्टी के समर्थक क्यों न हों।

Shifa khatun

लेखक के बारे में

Shifa khatun

मैं एक स्वतंत्र पत्रकार हूँ जो भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लिखती हूँ। मुझे लेखन और रिपोर्टिंग में गहरी रुचि है। मेरा उद्देश लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है। मैंने कई प्रमुख समाचार पत्रों और वेबसाइट्स के लिए काम किया है।

टिप्पणि (6)

  1. Guru s20

    Guru s20 - 14 जुलाई 2024

    ये बात सच है कि हारने वाले को भी सम्मान देना चाहिए। राहुल गांधी ने अच्छा किया कि अपने ही लोगों को रोका। अभद्रता से कुछ नहीं मिलता, बस बदनामी बढ़ती है।

  2. Raj Kamal

    Raj Kamal - 15 जुलाई 2024

    अरे भाई, ये सब तो बहुत अच्छी बात है लेकिन अगर हम देखें तो राजनीति में तो हर कोई अपने विरोधी को नीचा दिखाने की कोशिश करता है, अब राहुल गांधी अचानक इतना संयम क्यों दिखा रहे हैं? क्या ये सिर्फ इमेजिंग का खेल है? क्योंकि जब वो जीत रहे थे तो ईरानी को जो टिप्पणियां मिलती थीं, उनमें से कोई भी शिष्टाचार का नाम नहीं ले रहा था। अब जब वो हार गए तो ये सब बातें शुरू हो गईं। इसका मतलब ये नहीं कि बात गलत है, बस ये अजीब लग रहा है।

  3. Rahul Raipurkar

    Rahul Raipurkar - 16 जुलाई 2024

    राहुल गांधी का ये संदेश एक उच्च स्तरीय नैतिकता का प्रतीक है, लेकिन ये भी सच है कि राजनीतिक विरोध का अर्थ अक्सर व्यक्तिगत अपमान तक सीमित हो जाता है। हम एक ऐसे समाज में रह रहे हैं जहां विचारों की बजाय व्यक्तित्व का विश्लेषण होता है। राहुल का ये बयान एक नियंत्रण के रूप में नहीं, बल्कि एक नैतिक विरासत के रूप में देखा जाना चाहिए। अगर हम राजनीति को एक सामाजिक अभ्यास के रूप में लें, तो शिष्टाचार न केवल एक व्यवहारिक आवश्यकता है, बल्कि एक अस्तित्व की आवश्यकता भी है।

  4. PK Bhardwaj

    PK Bhardwaj - 17 जुलाई 2024

    इस अपील को एक राजनीतिक जीत के रूप में नहीं, बल्कि एक सामाजिक विकास के रूप में देखना चाहिए। राहुल गांधी ने एक ऐसा संदेश दिया है जो न केवल अपने समर्थकों के लिए बल्कि पूरे राजनीतिक वातावरण के लिए एक नया मानक स्थापित करता है। जब एक नेता अपने विरोधी के खिलाफ अभद्रता के खिलाफ आवाज उठाता है, तो ये सिर्फ नैतिकता नहीं, बल्कि एक रणनीतिक निर्णय भी है। भविष्य के चुनावों में ये बात उनके लिए लंबे समय तक काम आएगी।

  5. Soumita Banerjee

    Soumita Banerjee - 18 जुलाई 2024

    ये सब बहुत नाटकीय है। असल में कोई भी नेता ऐसा नहीं करता जब उसकी जीत हो रही हो। बस अब जब हार गए, तो शिष्टाचार की बातें शुरू हो गईं। बस एक शो है।

  6. Navneet Raj

    Navneet Raj - 19 जुलाई 2024

    सोम्मिता बनर्जी के कमेंट को देखकर लगता है कि उन्हें इस बात का भी अहसास नहीं है कि राहुल गांधी की ये अपील सिर्फ एक नेता की नहीं, बल्कि एक समाज की जरूरत है। जब तक हम अपने विरोधियों को मानवता के बाहर नहीं रखेंगे, तब तक ये नैतिक अवनति जारी रहेगी। राहुल ने बस एक छोटा सा कदम उठाया है, लेकिन ये कदम बहुत बड़ा है।

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