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जुल॰ 14 2024 - खेल
हर साल 5 जून को ग्रीन डे मनाया जाता है. यह दिन दुनिया भर में पर्यावरण बचाव की जरूरत पर ज़ोर देता है. भारत में भी लोग इसे स्कूल‑सत्र से लेकर ऑफिस तक हर जगह अपनाते हैं. आप सोच रहे होंगे, सिर्फ एक दिन क्यों? क्योंकि इस दिन हम छोटी‑छोटी आदतों को बदल कर बड़ा असर डाल सकते हैं.
सबसे पहले अपने घर के रूटीन को देखें. अगर आप रोज़ प्लास्टिक बैग की जगह कपड़े का बैग इस्तेमाल करेंगे तो साल भर में सैकड़ों किलोग्राम प्लास्टिक बचा सकते हैं. बर्तन धोते समय टपकती नल से पानी बचाने के लिए दो‑तीन बाल्टी का उपयोग करें, इससे बिल भी कम आएगा और जल संरक्षण भी होगा.
डायट बदलना भी बड़ा कदम है. मांस की जगह दाल‑चावल या पनीर जैसे प्रोटीन स्रोत चुनें. शोध बताता है कि शाकाहारी आहार कार्बन फुटप्रिंट को 50% तक घटा सकता है. साथ ही, घर में कंपोस्ट बनाकर बिखरे हुए सब्ज़ी के टुकड़े और फलों की छिलके कूड़ेदान से हटाएँ – यह मिट्टी को उपजाऊ रखता है.
शिक्षा संस्थानों में पेपरलेस क्लासरूम अपनाना शुरू करें. अध्यापक व छात्र दोनों डिजिटल नोट्स का इस्तेमाल कर सकते हैं. अगर प्रिंटिंग जरूरी हो तो दो‑तरफ़ा कागज चुनें, इससे पेपर की खपत आधी होगी.
ऑफिस में एसी की तापमान सेटिंग 24°C रखें, लाइट को LED में बदलें और अनावश्यक पावर स्ट्रिप्स को ऑफ़ कर दें. एक छोटी‑सी रूटीन से ऊर्जा बिल घटता है और कंपनी का कार्बन इम्पैक्ट कम होता है.
ग्रीन डे पर प्लांटिंग ड्राइव भी लोकप्रिय हैं. स्थानीय स्कूल या पड़ोस में पेड़ लगाना न सिर्फ हरा-भरा बनाता है, बल्कि हवा की गुणवत्ता सुधरती है. आप खुद भी छोटे पॉट्स में तुलसी, नींबू या ग्रीन टी के पौधे लगा सकते हैं – ये घर को ताज़ा रखेंगे.
आख़िरकार, जागरूकता फैलाना सबसे आसान कदम है. सोशल मीडिया पर #GreenDay2025 जैसे हेशटैग से पोस्ट करके अपने दोस्तों को भी प्रेरित करें. छोटे‑छोटे वीडियो या फोटो दिखाएँ कि आप कैसे पानी बचा रहे हैं, प्लास्टिक कम कर रहे हैं या पेड़ लगा रहे हैं.
तो इस ग्रीन डे पर केवल एक दिन नहीं, बल्कि दीर्घकालिक बदलाव का संकल्प लें. अगर हर व्यक्ति रोज़ 5 मिनट पर्यावरण के लिए करे, तो भारत की धरती को हरा‑भरा रखने में बड़ी मदद मिलेगी.
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