उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार के लिए सरकार की पहल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह स्पष्ट किया है कि भारतीय सरकार भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली को शोध-उन्मुख और अधिक उन्नत बनाने के लिए जी-जान से प्रयासरत है। उन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन के अवसर पर इस दिशा में सरकार की योजनाओं और उद्देश्यों को विस्तार से साझा किया। इस आयोजन में उन्होंने छात्रों के जीवन में शिक्षा और शोध के महत्व पर भी जोर दिया।
नालंदा विश्वविद्यालय का नया परिसर न केवल भारतीय शिक्षा प्रणाली के सुधार का एक प्रतीक है, बल्कि यह इतिहास की उन गौरवपूर्ण धरोहरों में से एक है जिसे संवारने और संरक्षित करने का महत्वपूर्ण प्रयास है। प्रधानमंत्री मोदी ने नालंदा विश्वविद्यालय के उद्घाटन के मौके पर कहा कि छात्रों को हमेशा जिज्ञासु और साहसी बने रहना चाहिए।
नालंदा विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना पांचवीं सदी में हुई थी और इसे आठ सौ सालों तक वैश्विक ख्याति प्राप्त थी। यहां दुनिया भर से छात्र अध्ययन के लिए आते थे। इस विश्वविद्यालय की प्राचीन धरोहर आज भी उच्च शिक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के लिए अद्वितीय मानी जाती है। बारहवीं सदी में इसका विनाश हुआ, लेकिन अब सरकार इसकी गरिमा वापस लाने के लिए प्रयासरत है।
प्रधानमंत्री मोदी ने नालंदा महाविहार, जो कि यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, का दौरा भी किया और वहां की व्यवस्था देखकर उस धरोहर के पुनर्निर्माण और संरक्षण पर जोर दिया। उन्होंने यहां के इतिहास और संस्कृति को संरक्षित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।
भारत को ग्लोबल हब बनाने की दिशा में कदम
प्रधानमंत्री मोदी की दृष्टि के अनुसार, भारत को ज्ञान और शिक्षा का वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने विश्वास जताया कि भारतीय युवा वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने में अग्रणी साबित होंगे।
पिछले दस वर्षों में, औसतन हर सप्ताह एक नए विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। यह सरकार के उच्च शिक्षा के क्षेत्र में किए गए प्रयासों का प्रत्यक्ष उदाहरण है। मोदी ने छात्रों को हमेशा सीखने की प्रवृत्ति बनाए रखने और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण अपनाने के लिए प्रेरित किया।
शोध और नवाचार की दिशा में भारत
शोध और नवाचार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से, सरकार कई नई पहलों को लागू कर रही है। इनमें से एक प्रमुख पहल है उच्च शिक्षा को शोध-उन्मुख बनाना। नई शिक्षा नीति के तहत, अनुसंधान को शिक्षा का अभिन्न अंग बनाया जा रहा है।
शिक्षा नीति के अंतर्गत विश्वविद्यालयों में शोध प्रयोगशालाओं और संसाधनों को बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। छात्रों को शोध कार्यों में भागीदारी करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत शोध और नवाचार के लिए वित्तीय सहायता भी दी जा रही है।
आईआईटी, आईआईएम और अन्य प्रमुख संस्थानों में भी शोध-संबंधी कोर्स और कार्यक्रमों को बढ़ावा दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में यह भी उल्लेख किया कि नालंदा विश्वविद्यालय में अब छात्रों को वैश्विक मानकों पर आधारित शिक्षा और शोध के अवसर मिलेंगे।
युवाओं के लिए नई उम्मीदें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवा पीढ़ी को देश का भविष्य बताते हुए कहा कि वे ही आगे के भारत का निर्माण करेंगे। उनके विचार में, शिक्षित और शोध-उन्मुख युवा भारत को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाएंगे।
उन्होंने इसे छात्रों की जिज्ञासा और साहस के साथ जोड़ते हुए कहा कि युवा पीढ़ी को हमेशा नए विचारों और संभावनाओं की खोज में लगे रहना चाहिए। इसके लिए उन्हें प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि असफलताओं से डरने की बजाय उनसे सीखना चाहिए।
भावी योजनाएं
आने वाले समय में, सरकार और अधिक योजनाओं और पहलों के माध्यम से उच्च शिक्षा को उन्नत करने के लिए तत्पर है। इस दिशा में सभी संबंधित पक्षों - शैक्षणिक संस्थान, शिक्षक, छात्र और समाज - की सक्रिय भूमिका महत्वपूर्ण होगी।
नालंदा विश्वविद्यालय का नवीन परिसर इस दिशा में एक बड़ा कदम है और इससे अन्य शिक्षण संस्थानों को भी प्रेरणा मिलेगी।
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