ड्रोन पायलट – क्या चाहिए, कैसे बनें, और क्या कर सकते हैं

जब आप ड्रोन पायलट, वह व्यक्ति जो बिना पायलट लाइसेंस के नियंत्रित उड़ान वाले ड्रोन (UAV) को सुरक्षित रूप से संचालित करता है. Also known as UAV पायलट की बात सुनते हैं, तो सोचते हैं कि बस रोबोट को रिमोट से चलाना है। लेकिन असली दुनिया में यह काम कई नियम, तकनीकी समझ और लगातार अभ्यास की मांग करता है। एक ड्रोन पायलट को न सिर्फ़ ड्रोन को हवा में स्थिर रखना आता है, बल्कि दूरी, बैटरी, मौसम और डेटा सुरक्षा का भी पूरा ख़्याल रखना पड़ता है। इसलिए इस पेशे को अपनाने से पहले आपको उसके पूरे परिप्रेक्ष्य को देखना ज़रूरी है।

ड्रोन पायलट बनने के लिए सबसे पहले ड्रोन टेक्नोलॉजी, सेन्सर, GPS, इमेज प्रोसेसिंग और मोटर कंट्रोल सिस्टम का समुच्चय है जो उड़ान को संभव बनाता है को समझना आवश्यक है। यह तकनीक ही तय करती है कि ड्रोन कितनी ऊंचाई पर जा सकता है, कितना समय उड़ान रख सकता है और कौन‑सी तस्वीरें या वीडियो कैप्चर कर सकता है। जब आप टेक्नोलॉजी को गहराई से जानते हैं, तो आप अपने ड्रोन को विभिन्न एप्लिकेशन—जैसे कृषि सर्वे, मैपिंग या एम्बुलेंस सपोर्ट—में ठीक‑ठाक ढंग से इस्तेमाल कर सकते हैं। तकनीकी ज्ञान और व्यावहारिक कौशल का यह मेल ही ड्रोन पायलट को अलग बनाता है।

तकनीक के बाद सीधे विमानन नियम, देश‑व्यापी गाइडलाइन हैं जो ड्रोन के ऑपरेशन, ऊँचाई, वज़न और नो‑फ़्लाइट ज़ोन्स को नियंत्रित करती हैं आते हैं। भारत में सिविल एविएशन ऑथोरिटी (CAA) के नियमों के तहत हर ड्रोन को रजिस्टर कराना, ऑपरेटर लाइसेंस लेना और फ्लाइट प्लान जमा करना अनिवार्य है। नियमों की पालना न केवल कानूनी जोखिम को घटाती है, बल्कि दुर्घटना की संभावना को भी कम करती है। इसलिए कोई भी ड्रोन पायलट अपने काम की शुरुआत में ही इन नियमों को पढ़े‑समझे और हर उड़ान से पहले उनका पालन करे।

अब बात करते हैं UAV, या अनमैन्ड एरियोनॉटिक वेहिकल, जो कि ड्रोन का आधिकारिक नाम है और अंतरराष्ट्रीय मानकों में इस शब्द का प्रयोग होता है का। UAV की विभिन्न श्रेणियाँ—माइक्रो, छोटी, मध्यम और भारी—हर एक की अलग‑अलग क्षमता और उपयोग होते हैं। एक शुरुआती ड्रोन पायलट छोटे क्वाडकॉप्टर से शुरू कर सकता है, जबकि प्रोफेशनल स्तर पर भारी‑वज़न वाले फिक्स्ड‑विंग ड्रोन चलाते हैं जो लंबी दूरी और उच्च‑ऊँचाई पर काम करते हैं। प्रत्येक वर्ग में अलग‑अलग प्रमाणपत्र आवश्यक होते हैं, और यही कारण है कि UAV को समझना ड्रोन पायलट के करियर की दिशा तय करता है।

ड्रोन को नियंत्रित करने का मुख्य उपकरण रिमोट कंट्रोल, हैंडहेल्ड गेजेट या मोबाइल एप्लिकेशन है जो पायलट को रीयल‑टाइम में कमांड भेजने की सुविधा देता है है। रिमोट कंट्रोल के दो मुख्य मोड होते हैं—मैनुअल और ऑटोमैटिक। मैनुअल मोड में पायलट सारी कमांड खुद देता है, जबकि ऑटोमैटिक मोड में प्री‑सेट वेज़ और GPS‑गाइडेड फंक्शन काम करते हैं। दोनों मोड्स में माहिर होना जरूरी है क्योंकि अचानक मौसम में बदलाव या बाधा आने पर तुरंत मैनुअल मोड में स्विच करके ड्रोन को सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित की जा सकती है।

सुरक्षा को नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए; यही कारण है कि ड्रोन पायलट को नियमित रूप से फ्लाइट सिमुलेशन और बेस्ट प्रैक्टिसेज़ का अभ्यास करना चाहिए। यह अभ्यास न केवल तकनीकी दक्षता बढ़ाता है बल्कि आपातकालीन स्थितियों में तेज़ निर्णय लेने की क्षमता भी विकसित करता है। अंत में, इस पेज पर मिलने वाले लेखों में आप ड्रोन पायलट से जुड़ी नवीनतम खबरें, प्रशिक्षण टिप्स, नियम समझौते और कुछ दिलचस्प केस स्टडीज़ पाएँगे, जो आपके करियर को दिशा देंगे और शौक को प्रोफ़ेशन में बदलने में मदद करेंगे।

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