व्रत और पूजा विधि: कैसे रखें सही रीति‑रिवाज़

अगर आप अक्सर व्रत रखते हैं या विशेष अवसरों पर पूजन करते हैं, तो सही तरीका जानना बहुत ज़रूरी है। बिना झंझट के, सरल शब्दों में हम आपको बताने वाले हैं कि कौन सी तिथि कब आती है, किन चीज़ों की जरूरत पड़ती है और पूजा का क्रम कैसे होना चाहिए। चलिए, कदम‑दर‑कदम समझते हैं ताकि आपके रिवाज़ हमेशा सही रहें।

प्रमुख व्रतों की तिथियां और उनका महत्व

हिंदू कैलेंडर में कई ऐसे दिन होते हैं जब लोग उपवास रखते हैं – एकादशी, अष्टमी, नवरात्रि आदि। सबसे लोकप्रिय है कामिका एकादशी, जो हर साल जुलाई के मध्य में आती है (2025 में 21 जुलाई)। इस दिन विष्णु पूजा और व्रत से पवित्रता मिलती है, साथ ही मन की शांति भी बढ़ती है। इसी तरह मकर संक्रांति, गणेश चतुर्थी आदि के लिए अलग‑अलग नियम होते हैं – कुछ दिन फल‑साबुत भोजन से दूर रहना होता है, तो कभी केवल पानी ही पीते हैं। तिथि याद रखने में मदद चाहिए? कैलेंडर या मोबाइल ऐप पर नोट कर लें; यही सबसे आसान तरीका है।

पूजा का क्रम और आवश्यक सामग्री

पूजन शुरू करने से पहले जगह साफ़ करें, फिर एक छोटा पवित्र स्थान बनाएं जहाँ आप चंदन, धूप और दीप रख सकें। मुख्य वस्तुएँ हैं: पानी, नारियल, फलों की थाली, मिठाई (जैसे लड्डू), हवन के लिये लकड़ी या कुंडली, और अगर कोई विशेष देवता है तो उसकी मूर्ति/चित्र। अब चरण:

  • पहले दो बार हाथ धोएँ, फिर अपने आप को शुद्ध मन से तैयार करें।
  • दीपक जलाएँ और धूप पकड़ें; तीन बार घुमाते हुए भगवान का नाम जपें।
  • आसन में बैठकर गंगाजल या पवित्र पानी से स्नान कर लें, फिर नारियल तोड़ें – यह शुद्धि का प्रतीक है।
  • फलों और मिठाई की थाली को सामने रखें, साथ ही अगर कोई विशेष मंत्र हो तो वह पढ़ें (जैसे "ॐ नमो भगवते वासुदेवे")।
  • हवन या आरती के बाद प्रसाद को बाँटें; यह सब आपके मन में शांति और संतोष लाता है।

ध्यान रखें – पूजा का समय दिन के उजाले में होना चाहिए, खासकर सूर्योदय या सूर्यास्त के करीब, क्योंकि उस समय ऊर्जा अधिक मानते हैं। अगर आप काम या पढ़ाई में व्यस्त हैं तो भी सुबह 5‑6 बजे छोटा सा संक्षिप्त पूजन कर सकते हैं; निरंतरता सबसे बड़ी शक्ति है।

एक छोटी सी टिप: यदि घर में बच्चे हों, उन्हें भी छोटे‑छोटे कार्यों (जैसे दीपक लगाना या फूल चढ़ाना) में शामिल करें। इससे वे धार्मिक भावना को समझेंगे और आप का समय भी थोड़ा कम लगेगा।

व्रत के दौरान खाने‑पीने की बात करें तो हल्का खाना बेहतर है – खिचड़ी, दही, फल, नारियल पानी आदि रखें। तैलीय या मसालेदार भोजन से बचें, क्योंकि यह पेट पर दबाव डाल सकता है और व्रत का प्रभाव कम कर देता है। अगर आप डॉक्टर के पास हैं तो उनके निर्देशों को भी मानें; स्वास्थ्य पहले आता है।

अंत में याद रखें: पूजा सिर्फ बाहरी क्रिया नहीं, बल्कि आन्तरिक शांति का स्रोत है। सही क्रम, सच्ची निष्ठा और सरल सामग्री से आप हर व्रत और पूजन को सफल बना सकते हैं। तो अगली बार जब भी कोई विशेष तिथि आए, इन आसान कदमों को अपनाएँ और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव करें।

देवशयनी एकादशी 2024: आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी का महत्व और पूजा विधि

देवशयनी एकादशी 2024: आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी का महत्व और पूजा विधि

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देवशयनी एकादशी 17 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी और यह चातुर्मास की शुरुआत को दर्शाती है। इस अवधि में भगवान विष्णु विश्राम करते हैं और दिवाली पर जागते हैं। व्रती सूर्योदय से उपवास रखकर अगले दिन परण करते हैं। इस व्रत का महत्व आध्यात्मिक विकास और आशीर्वाद के लिए बहुत अधिक है और इस समय कोई भी शुभ कार्य शुरू नहीं किया जाता।

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