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जून 21 2024 - राजनीति
कामिका एकादशी हिन्दू कैलेंडर में विशेष जगह रखती है। हर साल इस दिन भक्त कामिकेश्वर (विष्णु) को याद करके व्रत रखते हैं और मन की शुद्धि करते हैं। अगर आप पहली बार सुन रहे हैं, तो चिंता न करें – हम इसे आसान भाषा में समझाएंगे, ताकि आप बिना किसी उलझन के अपना उपवास कर सकें.
यह एकादशी शरद ऋतु में आती है, जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि कामिका (विष्णु) ने इस दिन अपने भक्तों को अनन्त सुख देने के लिए अपना ध्यान दिया था। इसलिए इसे "कामिका" कहा जाता है – जिसका मतलब है इच्छाएँ पूरी करने वाला भगवान. कई पुरानी ग्रंथों में लिखा है कि जो लोग इस एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें जीवन में शांति और समृद्धि मिलती है.
व्रत रखने के लिये सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पवित्र वस्तु (जैसे कुमकुम) से हाथ‑पैर धुलें। फिर हल्का नाश्ता जैसे फल, नारियल पानी या शक्कर का हलवा खा सकते हैं – लेकिन तले‑भुने भोजन नहीं. दिन भर जल को त्यागकर केवल शुद्ध पानी पिएँ और शाम के समय 12 बजे से पहले द्विपदी व्रत समाप्त करें.
पूजा में सबसे पहले कामिका की मूर्ति या फोटो सामने रखें, फिर गंधक (अगरबत्ती) जलाईं। तीन बार "ॐ नमो विष्णुयै" का जाप करें और शुद्ध दूध, गुड़, घी से अभिषेक दें. यदि आपके पास कच्चे नारियल हो तो उसे भी रख सकते हैं; यह कामिकेश्वर को प्रसन्न करता है.
पूजा के बाद भजन‑कीर्तन या धार्मिक कथा सुनना लाभकारी रहता है। कई लोग इस दिन विशेष रूप से "कामिका एकादशी स्तोत्र" पढ़ते हैं, जिससे मन में शांति आती है और ऊर्जा बढ़ती है. आप अपने घर के छोटे मंदिर में ही यह सब आसानी से कर सकते हैं.
सारांश में, कामिका एकादशी सिर्फ उपवास नहीं बल्कि आत्म‑शुद्धि का एक अवसर है। इसे सरल नियमों के साथ अपनाएँ, नियमित रूप से पूजा करें और जीवन में सकारात्मक बदलाव महसूस करेंगे. अब जब आप इस एकादशी की महत्ता समझ गए हैं, तो अपने परिवार को भी शामिल कर इस पवित्र दिन को यादगार बनाइए.
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