ईरान के राष्ट्रपति – कौन हैं? उनकी नीतियां और भविष्य

अगर आप इरान की राजनीति का अनुसरण करते हैं तो राष्ट्रपति नाम सुनते ही दिमाग में कई सवाल आते हैं – उनका बैकग्राउंड क्या है, वह किन मुद्दों पर फोकस कर रहे हैं, और भारत‑ईरान संबंधों को कैसे प्रभावित करेंगे? यहाँ हम इन सवालों के जवाब सीधे-सीधे दे रहे हैं, बिना जटिल शब्दजाल के।

वर्तमान राष्ट्रपति हसन रोमानी 2021 में सत्ता में आए। उनका राजनीतिक सफर कंज़रवेटिव पार्टी से शुरू हुआ और वह कई बार संसद में सीट जीत चुके हैं। रोमानि को अक्सर आर्थिक सुधारों और विदेश नीति के संतुलन पर काम करते देखा गया है। उनके कार्यकाल की सबसे बड़ी चुनौती देश की महंगाई, बेरोजगारी और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का सामना करना रहा है।

राष्ट्रपति की प्रमुख नीतियां

रोमानी ने तीन मुख्य क्षेत्रों में बदलाव लाने की कोशिश की – आर्थिक स्थिरीकरण, सामाजिक सुधार और कूटनीतिक संतुलन। पहले, उन्होंने तेल निर्यात के हिस्से को बढ़ाने के साथ-साथ गैर‑तेल सेक्टर में निवेश आकर्षित करने के लिए नई नियमावली पेश की। इससे छोटे उद्योगों को कुछ राहत मिली और विदेशी कंपनियों का ध्यान इरान की ओर फिर से गया।

दूसरा, सामाजिक सुधारों में उन्होंने महिलाओं के अधिकारों पर थोड़ा हल्का रुख दिखाया, जैसे कि नौकरी में समान अवसर देना और शिक्षा के लिए स्कॉलरशिप बढ़ाना। हालांकि इस दिशा में पूरी तरह आगे नहीं बढ़ा है, लेकिन कुछ NGOs ने इसे सकारात्मक संकेत माना।

तीसरा, विदेश नीति में रोमानी ने पड़ोसी देशों और पश्चिमी ब्लॉकों के साथ संवाद जारी रखने की कोशिश की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में ईरान के प्रतिबंधों को कम करने का प्रस्ताव रखा और चीन‑इज़राइल संबंधों के बीच संतुलन बनाने की बात कही। यह कदम इरान की अंतरराष्ट्रीय छवि को सुधारने में मददगार साबित हो रहा है।

भविष्य में क्या उम्मीदें?

आगे देखते हुए कई बातें ध्यान में रखनी होंगी। अगर आर्थिक नीतियां सही दिशा में चलती रहें तो महंगाई की मार कम होगी और लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा। लेकिन इसके लिए घरेलू उत्पादन बढ़ाना, खासकर कृषि और टेक्नोलॉजी सेक्टर में, ज़रूरी है।

सामाजिक बदलावों के मामले में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना और युवाओं के रोजगार के अवसर पैदा करना सरकार की सफलता का मापदंड बनेगा। अगर इन मुद्दों पर ठोस कदम उठाए गए तो इरान के अंदरूनी असंतोष कम होगा।

विदेश नीति में रोमानी को निरंतर संवाद जारी रखना पड़ेगा। अमेरिकी और यूरोपीय देशों के साथ वार्ता, साथ ही चीन-रूस के साथ आर्थिक साझेदारी, दोधारी तलवार जैसा है – सही उपयोग से विकास हो सकता है, लेकिन असंतुलन से नई चुनौतियां पैदा होंगी।

संक्षेप में, ईरान का वर्तमान राष्ट्रपति कई कठिनाइयों को झेल रहा है, पर अगर उनके द्वारा प्रस्तावित आर्थिक सुधार और कूटनीतिक कदम सफल होते हैं तो देश के भविष्य में सकारात्मक परिवर्तन आ सकते हैं। आप भी इस बदलाव को फॉलो कर सकते हैं – नई खबरें, विश्लेषण और विशेषज्ञों की राय यहाँ मिलती रहेंगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. मसूद पज़ेश्कियन को ईरान के राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी

प्रधानमंत्री मोदी ने डॉ. मसूद पज़ेश्कियन को ईरान के राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डॉ. मसूद पज़ेश्कियन को ईरान के राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई दी। मोदी ने भारत और ईरान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और मज़बूत करने के लिए उनके साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई। पज़ेश्कियन की चुनावी जीत ईरानी राजनीति में महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है।

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