पेरिस ओलंपिक में धूम मचाने को तैयार भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी एचएस प्रणय

पेरिस ओलंपिक में धूम मचाने को तैयार भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी एचएस प्रणय

पेरिस ओलंपिक में जीत के सफर की शुरुआत

भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी एचएस प्रणय ने पेरिस ओलंपिक में अपने जीत के सफर की शानदार शुरुआत की। पुरुष एकल मुकाबले में उन्होंने जर्मनी के फेबियन रॉथ को 21-18, 21-12 से मात दी। यह मुकाबला करीब 45 मिनट चला और भारतीय खिलाड़ी ने अपनी फिटनेस और रास्ते की कठिनाइयों को पार करते हुए जीत दर्ज की।

केरल के 32 वर्षीय प्रणय पिछले दो हफ्तों से चिकनगुनिया से जूझ रहे थे, लेकिन उन्होंने अपनी दृढ़ता और फिटनेस के दम पर पहला मैच जीतकर साबित कर दिया कि वह कमतर नहीं है। रॉथ, दुनिया में 82वीं रैंक वाले खिलाड़ी हैं और वह प्रारंभिक दौर में अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहे। एक बार तो उन्होंने 14-11 की बढ़त भी हासिल कर ली थी।

मुकाबले की रोमांचक झलक

मुकाबले के दौरान, जब रॉथ ने 14-11 की बढ़त हासिल की, तो ऐसा लग रहा था कि प्रणय इसके आगे मुश्किल में पड़ सकते हैं। लेकिन भारतीय खिलाड़ी ने अपने खेल की गति बढ़ाई और 19-17 की बढ़त हासिल कर ली। उन्होंने रॉथ की गलती का फायदा उठाते हुए पहला गेम 21-18 से अपने नाम किया।

दूसरे गेम में, प्रणय ने जल्दी ही 7-3 की बढ़त बनाई। उनकी नेट पर की गई छोटी-छोटी की गई चालाकी और मजबूत शॉट्स ने उन्हें इस बढ़त को 16-11 तक पहुंचाने में मदद की। एक बैकहैंड स्ट्रोक ने उन्हें आठ मैच पॉइंट दिए और आखिर में रॉथ की एक गलती ने प्रणय को जीत दिला दी।

आने वाले मुकाबले का इंतजार

आने वाले मुकाबले का इंतजार

प्रणय, जो विश्व चैम्पियनशिप और एशियाई खेलों में अपनी प्रतिबद्धता के लिए पहचाने जाते हैं, अब अगले मुकाबले के लिए तैयार हो रहे हैं। बुधवार को उनके अगले प्रतिद्वंद्वी वियतनाम के ले डुक फट होंगे। प्रणय का प्रदर्शन अब तक प्रशंसनीय रहा है और भारतीय दर्शकों को उनसे उसी ताकत और कौशल का प्रदर्शन करने की उम्मीद है।

हालांकि, पेरिस ओलंपिक में सफलता की राह आसान नहीं होती। प्रणय को अपने खेल पर पूरा ध्यान लगाना होगा और हर मैच में जीतने के लिए अपने सबसे अच्छे फार्म में होना होगा। उनके ट्रेनिंग और फिटनेस का ध्येय सिर्फ पदक जीतना नहीं है, बल्कि वह हर भारतीय खिलाड़ी और खेलप्रेमियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनना चाहते हैं।

Shifa khatun

लेखक के बारे में

Shifa khatun

मैं एक स्वतंत्र पत्रकार हूँ जो भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लिखती हूँ। मुझे लेखन और रिपोर्टिंग में गहरी रुचि है। मेरा उद्देश लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है। मैंने कई प्रमुख समाचार पत्रों और वेबसाइट्स के लिए काम किया है।

टिप्पणि (6)

  1. Kotni Sachin

    Kotni Sachin - 29 जुलाई 2024

    ये तो बस शुरुआत है, और इतनी बड़ी जीत के बाद भी उन्होंने अपनी नम्रता नहीं खोई... ये देखकर लगता है, कि भारत के खिलाड़ी अब सिर्फ जीतने के लिए नहीं, बल्कि देश का नाम रोशन करने के लिए खेल रहे हैं! चिकनगुनिया के बीच भी ये रिकवरी, ये फोकस-वो तो बस एक खिलाड़ी नहीं, एक असली लीडर हैं!

  2. Nathan Allano

    Nathan Allano - 31 जुलाई 2024

    अरे भाई, ये जीत तो बस एक मैच नहीं, एक संदेश है-कि अगर तुम्हारा दिल मजबूत है, तो बीमारी भी तुम्हारे आगे हार जाती है! फेबियन रॉथ भी अच्छा खिलाड़ी था, लेकिन प्रणय की रफ्तार और उनकी नेट पर की चालाकियाँ... वो तो बस एक अलग ही लेवल की बात है। मैंने तो बस एक बार देखा, और दिल भर गया!

  3. Guru s20

    Guru s20 - 31 जुलाई 2024

    प्रणय के खेल का असली जादू उनकी रिकवरी में है-एक लंबे गेम के बाद भी उनके पैर नहीं डगमगाए, और न ही उनकी नजर टिमटिमाई। ये तो बस फिटनेस नहीं, ये तो अंदर की शक्ति का असली दर्शन है। अगला मैच वियतनाम के खिलाफ, लेकिन मैं जानता हूँ, वो भी इसी तरह जीत जाएंगे!

  4. Raj Kamal

    Raj Kamal - 1 अगस्त 2024

    देखो तो ये बात है कि जब आप बीमार होते हैं और फिर भी ओलंपिक में जीत जाते हैं तो ये तो बस एक खेल नहीं होता ये तो एक जीत का एक नया डेफिनिशन हो जाता है जिसमें फिजिकल एंड मेंटल स्ट्रेंथ का कॉम्बिनेशन होता है जो कि बहुत कम खिलाड़ियों में मिलता है और प्रणय उनमें से एक हैं जिन्होंने इसे साबित कर दिया है और अगले राउंड में वियतनाम के खिलाफ उनका खेल देखकर लगता है कि वो अभी तक अपनी पूरी पॉटेंशियल का इस्तेमाल नहीं किया है और वो भी बहुत जल्दी करेंगे!

  5. Rahul Raipurkar

    Rahul Raipurkar - 3 अगस्त 2024

    एक रिकवरी के बाद जीत एक दिखावा है, लेकिन असली जीत तब होती है जब आप दुनिया को ये साबित कर दें कि आपका दर्द आपकी ताकत नहीं, आपकी शक्ति है। प्रणय ने ये बात बिल्कुल सही ढंग से कह दी। अब अगला चैलेंज वियतनाम है, लेकिन ये सिर्फ एक खिलाड़ी का मुकाबला नहीं, ये एक सिस्टम की बात है-जहाँ इंडिया के एथलीट्स को सपोर्ट नहीं मिलता, फिर भी वो जीत जाते हैं।

  6. PK Bhardwaj

    PK Bhardwaj - 4 अगस्त 2024

    बस एक जीत नहीं, एक मूवमेंट है ये।

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