बत्तीस भंडारण – क्या है और क्यों ज़रूरी?

जब हम बत्तीस भंडारण, एक ऐसी तकनीक है जो बिजली को रासायनिक रूप में सहेजती है और ज़रूरत पड़ने पर पुनः जारी करती है. Also known as बैटरी स्टोरेज, it helps balance supply‑demand gaps in the power grid.

बत्तीस भंडारण अकेला काम नहीं करता; इसे सौर ऊर्जा, धूप से उत्पन्न बिजली को पहले कैप्चर कर फिर स्टोर करने का प्रमुख स्रोत के साथ जोड़ा जाता है। जब सूरज नहीं चमक रहा, तो बत्तीस भंडारण ऊर्जा की कमी पूरी कर देता है। वहीं स्मार्ट ग्रिड, डिजिटल कंट्रोल सिस्टम जो ऊर्जा प्रवाह को रियल‑टाइम में मॉनिटर और एडेप्ट करता है बत्तीस भंडारण को नियंत्रित करने की दिमागी शक्ति देता है, जिससे ऊर्जा वेस्टेज घटता है और लोड मैनेजमेंट आसान होता है।

मुख्य पहलू और दैनिक उपयोग

बत्तीस भंडारण के प्रमुख लाभ तीन शब्दों में समेटे जा सकते हैं: भरोसा, लचीलापन, और लागत‑बचत। बिजली कटौती वाले क्षेत्रों में बहु‑घंटे धारा सप्लाई बनाए रखने के लिए यह एक भरोसेमंद बैक‑अप बन जाता है। फिर, जब सौर या पवन जैसे नवीकरणीय स्रोत अधूरा रह जाता है, तो बत्तीस भंडारण तुरंत शक्ति देता है, जिससे लचीला सप्लाई चेन बनता है। अंत में, बड़े पावर प्लांट की पीक पावर को स्टोर करके आप पीक चार्जिंग टाइम की महँगी किराया बचा सकते हैं।

इलेक्ट्रिक वाहन (EV) भी बत्तीस भंडारण का एक बड़ा उपयोगकर्ता हैं। इलेक्ट्रिक वाहन, बिजली से चलने वाले कार, स्कूटर या बसें जो रिचार्जेबल बैटरी पर निर्भर करती हैं की रेंज बढ़ाने के लिए हाई‑डेंसिटी बत्तीस भंडारण जरूरी है। तेज़ चार्जिंग और लंबी ड्राइविंग रेंज को मिलाने की तकनीक इधर‑उधर की चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाती है।

ऊर्जा भंडारण तकनीक में निरंतर नवाचार हो रहा है—लिथियम‑आयन, सोडियम‑आयन, फ्लो बैटरी, और सॉलिड‑स्टेट बैटरियां सभी बत्तीस भंडारण के भविष्य के स्वरूप हैं। हर नई तकनीक ऊर्जा डेंसिटी बढ़ाती है, चार्ज/डिसचार्ज लाइफ़ बढ़ाती है और सुरक्षा सुधारती है। इस दायरे में अनुसंधान से जुड़ी कंपनियां और स्टार्ट‑अप रोज़ाना खबरें इंडिया पर अक्सर चर्चा का विषय बनते हैं।

भविष्य में बत्ती‑भंडारण के बिना बड़े‑पैमाने पर नवीकरणीय ऊर्जा अपनाना मुश्किल है। चाहे वह ग्रामीण इलाकों में माइक्रोग्रिड हो या शहरी क्षेत्रों की स्मार्ट ग्रिड, बत्तीस भंडारण ऊर्जा सुरक्षा का मूल स्तंभ है। जब आप हमारे लेखों को पढ़ते हैं, तो आप देखेंगे कि कैसे विभिन्न क्षेत्रों—क्रिड़ा इवेंट्स के लिए मोबाइल पावर, अस्पतालों में UPS सिस्टम, और उद्योगों में पीक‑शेविंग—में बत्तीस भंडारण लागू हो रहा है।

इसे एक सरल उदाहरण से समझें: अगर आपके घर में सोलर पैनल 6 kW की क्षमता रखता है, तो दिन में आपका घर अतिरिक्त 3 kWh ऊर्जा स्टोर कर सकता है। शाम को जब माँग बढ़ती है, वही 3 kWh बत्तीस भंडारण से निकल कर बिल को घटा देता है। यही सिद्धांत बड़े शहरों के ग्रिड में लागू होते हैं, जहाँ लाखों किलowatt‑घंटे की ऊर्जा को बत्तीस भंडारण में समेटा जाता है।

तो आज के लेखों में आप पाएँगे: फॉर्मूला वन की नई आय से लेकर भारत‑पाकिस्तान महिला क्रिकेट की जीत तक, सभी खबरों में बत्तीस भंडारण का सीधा या परोक्ष असर हो सकता है। चाहे वह बड़े इवेंट्स की पावर सप्लाई हो या छोटे घरों की ऊर्जा बचत—बत्तीस भंडारण हर जगह मौजूद है। आगे आने वाले लेखों में हम इन वास्तविक उदाहरणों को और गहराई से देखेंगे, ताकि आप समझ सकें कि इस तकनीक का असर आपके रोज़मर्रा की ज़िंदगी में कैसे पड़ता है।

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