श्री सत्य साई बाबा की जन्म शताब्दी: 140 देशों में मनाई गई भव्य यादगार, 100 रुपये का सिक्का जारी

श्री सत्य साई बाबा की जन्म शताब्दी: 140 देशों में मनाई गई भव्य यादगार, 100 रुपये का सिक्का जारी

जब नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर 2025 को पुट्टपर्थी के श्री सत्य साई हिल व्यू स्टेडियम में माइक उठाया, तो वहां का हवा भी रुक गया। न सिर्फ लाखों भक्त, बल्कि पूरी दुनिया की नजरें इस दिन एक ऐसे व्यक्ति पर टिकी थीं, जिन्होंने कभी कोई मंदिर नहीं बनवाया, लेकिन लाखों दिलों में भगवान का स्थान बना दिया — श्री सत्य साई बाबा। इस दिन उनकी जन्म शताब्दी का उत्सव नहीं, बल्कि एक अद्वितीय इंसानियत का जश्न था। और इस जश्न का पहला संकेत? भारत सरकार ने 100 रुपये का स्मृति सिक्का जारी किया। ये सिक्का कोई साधारण धातु का टुकड़ा नहीं — ये एक विश्वास का प्रतीक है।

एक साथ दुनिया भर में एक आवाज

ये समारोह सिर्फ पुट्टपर्थी तक सीमित नहीं था। 140 से अधिक देशों में, अलग-अलग भाषाओं में, अलग-अलग पोशाक में, लेकिन एक ही भावना से — लाखों लोगों ने एक साथ श्री सत्य साई बाबा की याद में आंखें बंद कीं। न्यूयॉर्क के एक छोटे से घर में एक अमेरिकी महिला ने भजन गाया, जापान के एक बुद्धिजीवी ने उनके उपदेश पढ़े, अफ्रीका के एक गांव में बच्चों ने उनके नाम पर एक छोटी सी अस्पताल बनाने का वचन दिया। ये कोई धार्मिक उत्सव नहीं था। ये एक मानवतावादी आंदोलन था — जहां धर्म की बजाय सेवा का ध्यान था।

22 फीट की प्रतिमा और एक अनोखा विरासत

मुद्देनहल्ली, सत्य साई ग्राम में, फिजी के राष्ट्रपति राटु नाइकामा लालाबालावु की उपस्थिति में विश्व की सबसे बड़ी रोबोटिक संगमरमर प्रतिमा का अनावरण हुआ — 22 फीट ऊंची, श्री सत्य साई बाबा की मूर्ति। ये प्रतिमा किसी मंदिर के लिए नहीं, बल्कि 600-बिस्तर वाले निःशुल्क चिकित्सालय के केंद्र में स्थापित की गई है। एक बाबा जिन्होंने कभी दवा नहीं दी, अब उनकी प्रतिमा उसी जगह खड़ी है जहां लाखों गरीब लोग इलाज के लिए आएंगे। यही उनका असली अवतार है।

126 स्वास्थ्य केंद्र: जब सेवा हो ईश्वर की पूजा

इस शताब्दी समारोह के हिस्से के रूप में, वन वर्ल्ड वन फैमिली मिशन ने 126 साई स्वास्थ्य कल्याण केंद्र लोकार्पित किए। ये केंद्र उन गांवों में बने हैं जहां डॉक्टर तक पहुंचना एक सपना है। एक बाबा जिन्होंने कभी कोई डिग्री नहीं पाई, उनकी विरासत अब एक अस्पताल के रूप में जीवित है। इन केंद्रों का उद्देश्य सिर्फ बीमारी ठीक करना नहीं — बल्कि एक ऐसी समाज की नींव रखना है, जहां कोई भी इलाज के लिए पैसे के लिए नहीं, बल्कि इंसान के लिए लड़े।

राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और एक ऐसा संदेश

राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और एक ऐसा संदेश

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा — "मानव सेवा ही ईश्वर सेवा है।" ये बात सुनकर लगा जैसे वे बाबा के दिल से बोल रही हैं। उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन ने अपने भाषण का अंत "समस्त लोक: सुखिनो भवन्तु!" से किया — एक प्राचीन संस्कृत श्लोक, जो आज भी दुनिया को याद दिलाता है कि खुशी सबके लिए है। और फिर नरेंद्र मोदी ने एक ऐसी बात कही जो आज के विभाजन के युग में जैसे एक जादुई शब्द लगी: "वसुधैव कुटुम्बकम"। बाबा का जीवन इसी का जीवंत उदाहरण था।

संगीत, भजन और एक अनजाना विश्व

60 देशों के 450 संगीतज्ञों ने एक साथ भजन गाए। कोई बांसुरी, कोई वायलिन, कोई ड्रम, कोई सितार — सब एक ही ताल पर। ये कोई रिकॉर्डिंग नहीं थी। ये एक अनुभव था। बिहार के गिद्धौर में भक्तिपूर्ण पंचमंदिर परिसर में कलाकारों ने भजन गाए, हिमाचल के बिलासपुर में पावन पालकी शोभायात्रा ने पूरे शहर को भक्ति से भर दिया। ये सब बाबा के नाम पर नहीं, बल्कि उनके संदेश पर हुआ।

क्या ये सिर्फ एक यादगार है?

क्या ये सिर्फ एक यादगार है?

शायद नहीं। जब एक व्यक्ति की शताब्दी मनाई जाए, तो वह अक्सर इतिहास में दफन हो जाता है। लेकिन श्री सत्य साई बाबा की शताब्दी इसलिए अलग है क्योंकि उनकी याद बस नहीं रही — बल्कि बढ़ गई। एक अस्पताल, एक स्वास्थ्य केंद्र, एक सिक्का, एक प्रतिमा — ये सब उनकी शिक्षाओं के अनुवाद हैं। वे अब भी बोल रहे हैं। बस उनकी आवाज़ अब एक डॉक्टर के निर्णय में, एक गरीब के लिए दी गई दवा में, एक बच्चे के मुस्कान में है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

श्री सत्य साई बाबा की जन्म शताब्दी क्यों इतनी बड़ी है?

श्री सत्य साई बाबा की जन्म शताब्दी केवल एक व्यक्ति की जन्मदिन की याद नहीं, बल्कि उनके संदेश के विश्वव्यापी प्रभाव का जश्न है। उन्होंने कभी कोई संस्थान नहीं बनवाया, लेकिन उनके नाम पर 126 स्वास्थ्य केंद्र, एक 600-बिस्तर वाला अस्पताल और 140 देशों में करोड़ों भक्तों का जागरण हुआ। ये उनकी शिक्षाओं की वास्तविक विरासत है — जो अब इंसानियत के नाम पर जीवित है।

100 रुपये का सिक्का क्यों जारी किया गया?

100 रुपये का स्मृति सिक्का भारत सरकार का एक ऐतिहासिक निर्णय है, जिससे श्री सत्य साई बाबा के संदेश को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिया जाना चाहता है। यह सिक्का उनके जीवन के आधारभूत सिद्धांत — सेवा, सत्य और सामाजिक समानता — को चिह्नित करता है। यह कोई आम सिक्का नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है।

वन वर्ल्ड वन फैमिली मिशन क्या है?

वन वर्ल्ड वन फैमिली मिशन, सद्गुरु श्री मधुसूदन साई के नेतृत्व में, श्री सत्य साई बाबा के विचारों को विश्वव्यापी स्तर पर प्रसारित करने के लिए बनाया गया है। इस मिशन के तहत 126 स्वास्थ्य केंद्र, 600-बिस्तर वाला अस्पताल और विश्व सांस्कृतिक महोत्सव आयोजित किए गए। इसका उद्देश्य धर्म, भाषा और सीमाओं के पार मानवता की एकता को बढ़ावा देना है।

22 फीट की संगमरमर प्रतिमा का क्या विशेष महत्व है?

यह विश्व की सबसे बड़ी रोबोटिक संगमरमर प्रतिमा है, जिसे फिजी के राष्ट्रपति राटु नाइकामा लालाबालावु की उपस्थिति में अनावरित किया गया। यह प्रतिमा किसी पूजा स्थल के लिए नहीं, बल्कि एक निःशुल्क अस्पताल के केंद्र में स्थापित की गई है। यह एक ऐसा संकेत है कि बाबा की शिक्षाएं अब दवाओं और इलाज के रूप में जीवित हैं — जहां सेवा ही सबसे बड़ी पूजा है।

क्या ये समारोह केवल भारतीयों के लिए है?

नहीं। यह समारोह 140 देशों में मनाया गया, जहां अफ्रीका, यूरोप, एशिया और अमेरिका के लोगों ने भाग लिया। यह एक धार्मिक घटना नहीं, बल्कि एक मानवतावादी आंदोलन है। बाबा का संदेश — "सभी से प्रेम करो, सभी की सेवा करो" — किसी एक धर्म या देश का नहीं, बल्कि पूरी मानवता का है।

भविष्य में इस शताब्दी का क्या प्रभाव होगा?

इस शताब्दी का सबसे बड़ा प्रभाव यह होगा कि श्री सत्य साई बाबा की शिक्षाएं अब शिक्षा पाठ्यक्रम, स्वास्थ्य नीतियों और सामाजिक कार्यक्रमों में शामिल होंगी। उनका संदेश अब एक आध्यात्मिक विचार नहीं, बल्कि एक सामाजिक आदर्श बन गया है। अगली पीढ़ी न सिर्फ उनकी कहानियां सुनेगी, बल्कि उनके नाम पर बने अस्पतालों और केंद्रों के माध्यम से उनकी शिक्षा को जीएगी।

Shifa khatun

लेखक के बारे में

Shifa khatun

मैं एक स्वतंत्र पत्रकार हूँ जो भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लिखती हूँ। मुझे लेखन और रिपोर्टिंग में गहरी रुचि है। मेरा उद्देश लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है। मैंने कई प्रमुख समाचार पत्रों और वेबसाइट्स के लिए काम किया है।