रिलायंस जियो का बहुप्रतीक्षित आईपीओ
भारत के प्रमुख उद्योगपति मुकेश अंबानी द्वारा संचालित रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी टेलीकॉम शाखा जियो के महत्वपूर्ण बाजार में कदम रखने की योजना बनाई है। यह बड़ी योजना 2025 में $100 बिलियन से अधिक के मूल्यांकन पर आईपीओ लाने की है। जियो भारत की अग्रणी टेलीकॉम ऑपरेटर है, जिसमें लगभग 479 मिलियन ग्राहक हैं। यह आईपीओ भारत का अब तक का सबसे बड़ा होगा, जिसने हाल ही में हुंडई इंडिया द्वारा बनाए गए $3.3 बिलियन रिकॉर्ड को तोड़ने की कयासबाजी की है। कंपनी ने इस चर्चा की पुष्टि की है कि उसने आईपीओ की योजना को लगभग अंतिम रूप दे दिया है।
रिलायंस रिटेल के लिए उच्च प्रतीक्षा समय
रिलायंस रिटेल का आईपीओ 2025 के बाद ही देखने को मिल सकता है, क्योंकि कंपनी अपने रिटेल व्यवसाय में मौजूद संचालन संबंधी चुनौतियों को पहले सुलझाना चाहती है। रिटेल इकाई ने तेजी से विकास और विविधता का अनुभव किया है, लेकिन इसकी वजह से आय नियंत्रण में असंगतता और कुछ भौतिक स्थानों पर नुकसान जैसे मुद्दे उत्पन्न हुए हैं। भारत के सबसे बड़े ग्रोसरी स्टोर नेटवर्क का संचालन करने वाली इस इकाई के पास करीब 3,000 सुपरमार्केट हैं, और कंपनी इस आधार को मजबूती देने की दिशा में कार्यरत है।
विदेशी निवेशकों का विश्वास
पिछले कुछ सालों में, अंबानी ने केकेआर, जनरल अटलांटिक और अबू धाबी इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी से $25 बिलियन जुटाए हैं, जिससे जियो और रिलायंस रिटेल के मूल्यांकन को $100 बिलियन से ऊपर बढ़ाने में मदद मिली है। जियो प्लेटफ़ॉर्म, जिसमें टेलीकॉम और डिजिटल बिजनेस शामिल हैं, का 33% हिस्सा विदेशी निवेशकों के पास है, जबकि रिलायंस रिटेल ने लगभग 12% हिस्सेदारी बेचकर $7.44 बिलियन जुटाए हैं।
संभावित चुनौतियाँ और योजनाएँ
जियो का आईपीओ वेल्यूएशन करीब $112 बिलियन आंका जा रहा है, हालांकि अभी इसकी कोई निश्चितता नहीं है और आईपीओ प्रक्रिया के लिए कोई बैंकर्स नियुक्त नहीं किए गए हैं। रिलायंस बाजार में एक ही वर्ष में जियो और रिटेल इकाई दोनों को सूचीबद्ध करने के विचार से बच रही है ताकि बाजार ओवरसैचुरेट न हो जाए।
मुकाबले की तैयारी
रिलायंस मस्क के स्टारलिंक इंटरनेट सेवा से मुकाबला करने के लिए तैयार हो रही है, जो जल्द ही भारत में लॉन्च हो रही है। इस दिशा में रिलायंस ने एनविडिया के साथ साझेदारी भी की है। रिटेल साम्राज्य में फैशन, ग्रोसरी और इलेक्ट्रॉनिक स्टोर शामिल हैं, और यह अमेज़न और त्वरित वाणिज्य स्टार्टअप्स के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रही है। हाल ही में रिटेल डिवीजन ने अपने वार्षिक विक्रय में 1.1% की गिरावट दर्शाई है।
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