भारत सरकार ने मंकीपॉक्स (Mpox) प्रकोप की गंभीरता को देखते हुए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सभी हवाई अड्डों और सीमाई भूमि बंदरगाहों को अलर्ट पर रखा गया है ताकि अंतरराष्ट्रीय यात्रियों में इस वायरस के संभावित लक्षण देखे जा सकें। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिल्ली में स्थित तीन केन्द्र-नियंत्रित अस्पतालों को मंकीपॉक्स रोगियों के आइसोलेशन, प्रबंधन और उपचार के लिए प्रमुख केंद्र के रूप में नामित किया है। ये अस्पताल हैं- राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज।
इसके अलावा, राज्य सरकारों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में इसी प्रकार के अस्पतालों की पहचान करें और उन्हें नामित करें ताकि मंकीपॉक्स के मामलों का सर्वोत्तम उपचार किया जा सके। स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिकारियों को निगरानी प्रयासों को मजबूत करने और मंकीपॉक्स मामलों के त्वरित पहचान के लिए प्रभावी उपाय लागू करने का निर्देश दिया है।
देशभर में 32 प्रयोगशालाएं मंकीपॉक्स परीक्षण के लिए तैयार हैं, और इन्हें जल्दी से जल्दी परीक्षण करने और परिणाम देने के निर्देश दिए गए हैं। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा की अध्यक्षता में राष्ट्रीय तैयारी पर हुई उच्च-स्तरीय बैठक में विशेष रूप से जोर दिया गया कि मंकीपॉक्स मामलों का शीघ्र पता लगाने के लिए निगरानी प्रयासों को और अधिक मजबूत किया जाए।
हालांकि, वर्तमान में भारत में मंकीपॉक्स का कोई मामला नहीं है, फिर भी अधिकारियों का मानना है कि व्यापक प्रसार और सतत संचरण का जोखिम कम है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस महामारी की रोकथाम और उपचार प्रोटोकॉल को व्यापक रूप से प्रसारित करने की आवश्यकता को उजागर किया है और एक जागरूकता अभियान शुरू करने पर जोर दिया है ताकि स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मंकीपॉक्स के लक्षणों को पहचान सकें और समय पर निगरानी प्रणाली को रिपोर्ट कर सकें।
मंकीपॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है जो मुख्य रूप से पशुओं में होती है, लेकिन कभी-कभी यह मनुष्यों में भी फैल सकती है। यह चेचक वायरस से संबंधित है, लेकिन इसकी गंभीरता कम होती है। मंकीपॉक्स का संक्रमण मुख्यतः संक्रमित पशुओं के संपर्क में आने या उनके काटे जाने से होता है।
मंकीपॉक्स के लक्षण आमतौर पर बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकान, और त्वचा पर दाने होते हैं। यह बीमारी आम तौर पर 2-4 सप्ताह तक रहती है और सामान्यतः शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इसे खुद ही लड़ सकती है। हालांकि, कुछ मामलों में, विशेष रूप से कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्तियों में, यह बीमारी गंभीर हो सकती है।
मंकीपॉक्स की रोकथाम
मंकीपॉक्स से बचाव के लिए कुछ सामान्य सावधानियां बरतनी चाहिए। इनमें संक्रमित पशुओं के संपर्क से बचना, अच्छी स्वच्छता बनाए रखना और संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखना शामिल है। अगर किसी में मंकीपॉक्स के लक्षण दिखाई दें, तो उसे तुरंत आइसोलेट करना चाहिए और चिकित्सा सहायता प्राप्त करनी चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति (PHEIC) घोषित किया है। यह बीमारी प्रमुख रूप से अफ्रीकी देशों में फैली हुई है, लेकिन इसके दुनिया भर के कई अन्य देशों में भी मामले सामने आए हैं। 2022 से लेकर अब तक, 116 देशों में 99,176 मामले और 208 मौतें मंकीपॉक्स के कारण हो चुकी हैं।
2023 में मंकीपॉक्स के मामलों में भारी वृद्धि हुई है और इस वर्ष, 15,600 मामले और 537 मौतें पहले ही दर्ज की जा चुकी हैं। भारत में 30 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें आखिरी मामला मार्च 2024 में पाया गया था। यह आंकड़ें दिखाते हैं कि मंकीपॉक्स कितनी तेजी से फैल सकता है और इसे रोकने के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।
सरकार की तैयारी और उपाय
स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स के त्वरित पहचान और नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें शामिल हैं- हवाई अड्डों और भूमि बंदरगाहों पर स्क्रीनिंग प्रक्रिया को मजबूत करना, संक्रमित व्यक्तियों के लिए विशेष अस्पतालों की पहचान करना और उपचार प्रोटोकॉल को अद्यतित करना। इसके अलावा, राज्य सरकारों को भी निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्रों में मंकीपॉक्स मामलों की निगरानी के लिए स्थानीय स्तर पर निगरानी तंत्र को मजबूत करें।
मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए जागरूकता अभियान भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सामान्य जनता को इस बीमारी के लक्षणों और इसकी रोकथाम के उपायों के बारे में जानकारी देने के लिए व्यापक प्रचार अभियान चलाए जा रहे हैं।
स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की भूमिका
स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को मंकीपॉक्स के लक्षणों को जल्दी पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। उन्हें यह भी सिखाया जा रहा है कि अगर किसी मरीज में मंकीपॉक्स के लक्षण पाए जाते हैं, तो उसे कैसे आइसोलेट किया जाए और उचित उपचार प्रदान किया जाए।
मंकीपॉक्स के प्रकोप को रोकने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे न केवल मरीजों का उचित उपचार प्रदान करते हैं, बल्कि इस बीमारी के प्रसार को रोकने में भी मदद करते हैं।
प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की जांच
सीमाई भूमि बंदरगाहों और हवाई अड्डों पर विशेष स्क्रीनिंग प्रक्रिया लागू की गई है ताकि प्रभावित देशों से आने वाले यात्रियों की उचित तरीके से जांच की जा सके। अगर किसी यात्री में मंकीपॉक्स के लक्षण पाए जाते हैं, तो उसे तुरंत आइसोलेट किया जाएगा और चिकित्सा सहायता प्रदान की जाएगी।
इसके अलावा, यात्रियों को भी मंकीपॉक्स के लक्षणों के बारे में जागरूक किया जा रहा है ताकि वे स्वयं जागरूक हों और समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त कर सकें। इन सभी उपायों का उद्देश्य मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकना और जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
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