जन्माष्टमी 2024: भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर भेजें यह शुभकामनाएं, संदेश और कोट्स

जन्माष्टमी 2024: भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर भेजें यह शुभकामनाएं, संदेश और कोट्स

कृष्ण जन्माष्टमी 2024: कैसे मनाएं भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव

कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है। इसे मनाने का उद्देश्य भगवान के प्रति अपनी आस्था और प्रेम को प्रकट करना है। इस दिन को भव्यता और धूमधाम से मानने के लिए श्रद्धालु कई तरह के धार्मिक कार्यक्रम और अनुष्ठान आयोजित करते हैं।

भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर उत्साह

भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव रात 12 बजे मनाया जाता है, क्योंकि माना जाता है कि उनका जन्म रोहिणी नक्षत्र में मध्यरात्रि हुआ था। इस अवसर पर मंदिरों और घरों में कृष्ण लीलाओं का आयोजन होता है और उनके बचपन के करतबों को प्रदर्शित किया जाता है। भक्तगण विभिन्न प्रकार के भजनों और कीर्तन में प्रतिभाग करते हैं, जिससे वातावरण आध्यात्मिक और उत्साहपूर्ण हो जाता है।

जन्माष्टमी की शुभकामनाएं और संदेश

जन्माष्टमी के अवसर पर अपने प्रियजनों को शुभकामनाएं भेजना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। इस अवसर पर भेजे जाने वाले संदेशों में भगवान कृष्ण के जीवन और उनकी शिक्षाओं पर आधारित कोट्स, प्रेम और स्नेह से भरी शुभकामनाएं, और प्रेरणादायक संदेश शामिल होते हैं। नीचे कुछ संदेश दिए गए हैं जो आप अपनों को भेज सकते हैं:

  • "कृष्ण की कृपा से आपका जीवन खुशियों से भर जाए। जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं।"
  • "भगवान कृष्ण के आशीर्वाद से आपका जीवन प्रेम और शांति से भरपूर हो। जन्माष्टमी मंगलमय हो।"
  • "कृष्ण आपके जीवन से सभी बाधाओं को दूर करें और आपको सफलता प्रदान करें। जन्माष्टमी की ढेर सारी बधाइयाँ।"
  • "श्रीकृष्ण के आशीर्वाद से आपका जीवन सुख, शांति और समृद्धि से भरपूर हो। जन्माष्टमी का पावन पर्व आपके जीवन में नया उत्साह लेकर आए।"

श्री कृष्ण से जुड़ी शिक्षाएं

भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और उनकी शिक्षाएं श्रीमद्भगवद्गीता में संकलित हैं। इसमें वे अर्जुन को जीवन के गूढ़ सिद्धांतों की शिक्षा देते हैं। उनके उपदेश युवाओं और प्रौढ़ों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। यहां भगवान कृष्ण की कुछ मुख्य शिक्षाएं दी गई हैं:

  • मानसिक संतुलन: श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि जीवन में सुख-दुख, लाभ-हानि आदि द्वैतों को समान रूप से स्वीकार करना चाहिए। इससे मन का संतुलन बना रहता है।
  • अपने कर्मों में विश्वास: कृष्ण ने सिखाया है कि हमें अपने कर्मों का पालन करना चाहिए और उसकी परवाह नहीं करनी चाहिए कि हमारे कर्मों का फल क्या होगा।
  • आध्यात्मिक संपत्ति: उन्हें मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य आत्मा की परिपक्वता और आध्यात्मिक उन्नति मानते हुए, भौतिक संपन्नता से अधिक मूल्य देने की शिक्षा दी।

पारंपरिक आयोजन

जन्माष्टमी के दिन भक्तगण व्रत रखते हैं और भगवान कृष्ण के प्रतीक स्वरूप छोटे बच्चों का श्रृंगार करते हैं। इस दिन को दही हांडी का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें ऊंचाई पर टांगी हांडी को तोड़ा जाता है। यह आयोजन मथुरा और महाराष्ट्र में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, जिसमें समूह में लोग हांडी तोड़ने के लिए प्रयासरत होते हैं।

विभिन्न चित्र और अलंकरण

इस पर्व के अवसर पर भगवान कृष्ण की मूर्तियों और चित्रों को सुंदरता से सजाया जाता है। मंदिरों में विशेष सजावट होती है और घरों में रंग-बिरंगे फूलों और दीपों से जनमस्थान को सजाया जाता है। इससे पूरा वातावरण दिव्य और पवित्र हो जाता है।

इस तरह से जन्माष्टमी का पर्व हर किसी के लिए विशेष और पावन बनता है। नए कपड़ों में सजे बच्चों से लेकर भक्ति में लीन बड़े-बूढ़े, सब मिल कर भगवान श्रीकृष्ण के जन्म दिवस का आनंद उठाते हैं। यह पर्व हमें जीवन में प्रेम, भक्ति, और आत्मज्ञान के महत्व का संदेश देता है।

Shifa khatun

लेखक के बारे में

Shifa khatun

मैं एक स्वतंत्र पत्रकार हूँ जो भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लिखती हूँ। मुझे लेखन और रिपोर्टिंग में गहरी रुचि है। मेरा उद्देश लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है। मैंने कई प्रमुख समाचार पत्रों और वेबसाइट्स के लिए काम किया है।

टिप्पणि (20)

  1. dinesh singare

    dinesh singare - 28 अगस्त 2024

    ये सब शुभकामनाएं तो बहुत अच्छी हैं पर असली जन्माष्टमी तो वो है जब तुम अपने भीतर के कृष्ण को जगाओ। गीता का अर्थ सिर्फ पढ़ने से नहीं, जीकर समझने से आता है। जब तुम बिना फल की चाहत के कर्म करते हो, तभी तुम असली भक्त बनते हो। और हां, दही हांडी तोड़ने का मजा भी अलग होता है, जब तुम बचपन में उसमें भाग लेते हो।

  2. Priyanjit Ghosh

    Priyanjit Ghosh - 29 अगस्त 2024

    अरे भाई ये सब शुभकामनाएं तो फेसबुक पर शेयर करने के लिए बनाई गई हैं 😅 असली जन्माष्टमी तो वो है जब तुम रात को भूखे रहकर मंदिर जाते हो और भगवान को घूंट भर दही चढ़ाते हो। बाकी सब तो इंस्टाग्राम फिल्टर हैं।

  3. Anuj Tripathi

    Anuj Tripathi - 30 अगस्त 2024

    सुनो भाई ये जन्माष्टमी का मजा तो तब है जब तुम घर पर बैठे हो और दादी तुम्हें बता रही हो कि वो कैसे उनके बचपन में दही हांडी तोड़ने के लिए इंसान बनाती थीं और फिर उनके बाद तुम्हारे पापा ने वो टॉवर बनाया था जिसमें 7 आदमी चढ़े थे और फिर टूट गया और सब बेहोश हो गए 😂 ये असली जन्माष्टमी है ना

  4. Hiru Samanto

    Hiru Samanto - 30 अगस्त 2024

    मैंने बचपन में बिहार में जन्माष्टमी मनाया था और वहां लोग गीता के अध्याय पढ़ते थे और फिर बच्चों को बताते थे कि कृष्ण कैसे बच्चों को भालू बनाकर खेलते थे। आजकल लोग तो बस फोटो खींच रहे हैं और शुभकामनाएं भेज रहे हैं। असली भक्ति तो छोटी बातों में होती है।

  5. Divya Anish

    Divya Anish - 31 अगस्त 2024

    मैंने आज सुबह अपने घर के मंदिर में जन्माष्टमी के लिए एक छोटा सा आयोजन किया। फूलों से बनाया गया श्रीकृष्ण का चित्र, एक छोटी लीला की कहानी, और एक बच्चे के लिए दही हांडी का अनुकरण। यह सब बहुत ही भावुक था। आध्यात्मिकता कभी बड़े उत्सवों में नहीं, बल्कि छोटे छोटे पलों में छिपी होती है।

  6. md najmuddin

    md najmuddin - 1 सितंबर 2024

    लोग तो बस फोटो डाल रहे हैं, लेकिन कौन सुन रहा है गीता का अर्थ? कृष्ण ने कहा था - कर्म करो, फल की चिंता मत करो। आज का दिन तो बस एक ट्रेंड है। मैं तो आज बस बैठा हूं, एक चाय पी रहा हूं, और अपने दिमाग में एक बच्चे के रूप में कृष्ण की याद कर रहा हूं। 🙏

  7. Ravi Gurung

    Ravi Gurung - 1 सितंबर 2024

    मैंने कभी जन्माष्टमी नहीं मनाया लेकिन इस लेख को पढ़कर लगा जैसे मैंने एक बार दही हांडी तोड़ी हो। कृष्ण की शिक्षाएं तो सच में बहुत गहरी हैं। लेकिन आजकल लोग इन्हें बस शुभकामना के रूप में भेज देते हैं।

  8. SANJAY SARKAR

    SANJAY SARKAR - 3 सितंबर 2024

    क्या कृष्ण के जन्म का समय असल में रात 12 बजे था? ये तो बहुत पुरानी बात है। आजकल तो लोग ये भी नहीं जानते कि रोहिणी नक्षत्र क्या है। मैंने गूगल पर देखा तो बताया गया कि 2024 में ये नक्षत्र रात 11:47 से शुरू होता है। तो फिर रात 12 बजे मनाना क्यों?

  9. Ankit gurawaria

    Ankit gurawaria - 3 सितंबर 2024

    जब मैं बच्चा था तो हमारे घर में जन्माष्टमी का तरीका बहुत अलग था। हम रात को बैठकर गीता के अध्याय पढ़ते थे, फिर दादी बताती थीं कि कृष्ण कैसे माखन चुराते थे और फिर वो चूहे के रूप में उनकी लीलाएं बताती थीं। अब तो लोग बस फोटो खींच रहे हैं और इंस्टाग्राम पर डाल रहे हैं। असली भक्ति तो वो है जब तुम अपने दिल से कुछ करते हो। जब तुम अपने बच्चे को बताते हो कि कृष्ण क्यों अच्छे थे, तब तुम उनकी शिक्षा को जी रहे हो।

  10. AnKur SinGh

    AnKur SinGh - 5 सितंबर 2024

    श्रीमद्भगवद्गीता का अध्ययन आधुनिक जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्रीकृष्ण के उपदेश न केवल आध्यात्मिक जीवन के लिए बल्कि व्यावसायिक नेतृत्व, नैतिक निर्णय और मानसिक स्थिरता के लिए भी अद्वितीय मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। आज के युवा जो विकास के नाम पर भौतिकता में डूब गए हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि सफलता का असली मापदंड आत्मिक शांति है। जन्माष्टमी केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक आंतरिक जागृति का संकेत है।

  11. Sanjay Gupta

    Sanjay Gupta - 6 सितंबर 2024

    इतनी बड़ी बातें कर रहे हो लेकिन आज का भारत क्या है? लोग भगवान के नाम पर ठगी कर रहे हैं। मंदिरों में बच्चों को नौकरी के लिए बेच रहे हैं। जन्माष्टमी का मतलब तो अब सिर्फ फोटो और शुभकामनाएं है। इस देश में कृष्ण की शिक्षाएं तो बस बाजार के लिए बेची जा रही हैं।

  12. Kunal Mishra

    Kunal Mishra - 6 सितंबर 2024

    कृष्ण के जीवन को बच्चों की लीलाओं में सीमित कर देना एक अत्यंत अशिक्षित दृष्टिकोण है। गीता का गहरा दार्शनिक सार तो बस एक विश्वास बन गया है जिसे लोग बिना समझे दोहराते हैं। आज के युग में जो लोग इसे बस एक त्योहार बना रहे हैं, वे वास्तव में आध्यात्मिकता के विरोधी हैं।

  13. Ron DeRegules

    Ron DeRegules - 6 सितंबर 2024

    मैंने देखा है जब बच्चे दही हांडी तोड़ने के लिए लाइन में खड़े होते हैं और फिर उनके बाद बड़े लोग उन्हें धक्का देते हैं। ये तो भगवान की लीला नहीं बल्कि बच्चों की लड़ाई है। और फिर लोग शुभकामनाएं भेजते हैं। असली जन्माष्टमी तो वो है जब तुम अपने अहंकार को तोड़ दो।

  14. Manasi Tamboli

    Manasi Tamboli - 7 सितंबर 2024

    मैंने इस लेख को पढ़कर रो दिया। कृष्ण की शिक्षाएं तो इतनी सुंदर हैं... लेकिन मैंने आज तक कभी अपने दिल को नहीं छुआ। मैं तो बस इतना जी रही हूं कि दूसरे मुझे देखें। क्या कृष्ण भी इतने दुखी थे? क्या वो भी अपने भीतर की खालीपन को छुपाते थे?

  15. Ashish Shrestha

    Ashish Shrestha - 8 सितंबर 2024

    इस लेख में सब कुछ बहुत बड़ा बताया गया है। लेकिन क्या आपने कभी जाना कि जन्माष्टमी के दिन भारत में 2000 से अधिक मंदिरों में आर्थिक ठगी होती है? लोग भगवान के नाम पर बैंक खोल रहे हैं। ये तो धर्म नहीं, व्यापार है।

  16. Mallikarjun Choukimath

    Mallikarjun Choukimath - 8 सितंबर 2024

    कृष्ण के जीवन का विश्लेषण करने के लिए आधुनिक मनोविज्ञान के आधार पर जानकारी की आवश्यकता है। उनके आचरण को देखकर यह कहा जा सकता है कि वे एक अत्यंत विशिष्ट व्यक्तित्व थे जिन्होंने आत्म-प्रतिष्ठा के लिए सामाजिक नियमों को चुनौती दी। यह उनकी शिक्षाओं का वास्तविक अर्थ है।

  17. Sitara Nair

    Sitara Nair - 8 सितंबर 2024

    मैंने आज अपने बच्चे को बताया कि कृष्ण कैसे बच्चों के साथ खेलते थे और फिर उन्होंने एक छोटा सा दही हांडी बनाया और हम दोनों ने उसे तोड़ा 😊 और फिर उन्होंने मुझे एक चिट्ठी लिखी - "मम्मी, कृष्ण भगवान तुम्हें बहुत प्यार करते हैं"... और मैं रो पड़ी। 🥹

  18. Abhishek Abhishek

    Abhishek Abhishek - 9 सितंबर 2024

    क्या आपने कभी सोचा कि कृष्ण को भगवान बनाने का फायदा किसे हुआ? ये सब लोग उन्हें भगवान बनाकर अपनी भौतिकता को छुपा रहे हैं। अगर कृष्ण आज आएं तो वो बस इंस्टाग्राम पर फोटो डाल रहे होंगे।

  19. Avinash Shukla

    Avinash Shukla - 9 सितंबर 2024

    मैं तो बस एक छोटी सी बात कहना चाहता हूं। जब मैं बच्चा था, तो मेरी माँ रात को बैठकर गीता का एक अध्याय पढ़ती थीं। मैं उनके पास बैठकर सो जाता था। उनकी आवाज़ में एक शांति थी। आज वो नहीं हैं। लेकिन आज जब मैं भी गीता पढ़ता हूं, तो उनकी आवाज़ सुनाई देती है। 🌙

  20. Harsh Bhatt

    Harsh Bhatt - 9 सितंबर 2024

    इतनी बातें कर रहे हो लेकिन जन्माष्टमी के दिन किसने बताया कि कृष्ण का जन्म वास्तव में कैसे हुआ? ये सब लोग बस एक आख्यान को फैला रहे हैं। अगर तुम वास्तविक ज्ञान चाहते हो, तो तुम्हें वेदों का अध्ययन करना चाहिए। नहीं तो तुम बस एक भक्ति के नाम पर भ्रम में हो।

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