भारत की ग्लोबल स्किल रैंकिंग का अनसुलझा रहस्य
हमारे देश में स्किल सीखने पर काफी जोर है, लेकिन क्या आपने कभी गौर किया कि भारत की ग्लोबल स्किल रैंकिंग आखिर है कितनी? हाल ही में कुछ रिपोर्ट्स और प्लेटफॉर्म्स जैसे Coursera और LinkedIn पर तो दुनिया भर के देशों की नई-नई फेहरिस्तें आई हैं, मगर इनमें कहीं भी भारत की स्थिति खुलकर सामने नहीं आती। उदाहरण के तौर पर, Coursera की '2025 ग्लोबल स्किल्स रिपोर्ट' में सिंगापुर, डेनमार्क, और स्विट्जरलैंड को AI तैयारी में टॉप पर रखा गया है। वहीं LinkedIn की रिपोर्ट भारत में क्रिएटिविटी, प्रॉबलेम-सॉल्विंग और AI लिटरेसी जैसी खूबियों की मांग को सामने लाती है। लेकिन आपको भारत का कोई नंबर या रैंकिंग कहीं नहीं मिलेगी।
अब सवाल उठता है, जो देश IT इंडस्ट्री का गढ़ माना जाता है, वहां स्किल्स की कोई ग्लोबल रैंकिंग क्यों सामने नहीं आती? क्या भारत सच में 87वें नंबर पर है, जैसा कुछ अपुष्ट दावों में सुनने को मिलता है? असलियत यह है कि कोई भी भरोसेमंद और खुले तौर पर मान्य रैंकिंग मौजूद ही नहीं है। हर रिपोर्ट अलग-अलग स्किल्स या सेक्टर्स को टारगेट करती है। भारत की नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) और 'स्किल इंडिया' जैसी सरकारी योजनाओं के चलते डिजिटल लर्निंग और वोकेशनल ट्रेनिंग परफोकस तो ज़रूर है, पर इनका वास्तविक असर ग्लोबल रैंक में जाहिर नहीं हो रहा।
सरकारी योजनाओं का असर और असल चुनौतियां
बीते कुछ सालों में भारत सरकार ने कौशल विकास पर काफी निवेश किया है। स्किल इंडिया मिशन, प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जैसी पहलों से लाखों युवाओं को ट्रेनिंग तो दी गई है, लेकिन इन प्रोग्राम्स का इंटरनेशनल प्रभाव अभी साफ समझ नहीं आता। डेटा साइंस, AI, क्लाउड कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में नए कोर्स और ट्रेनिंग सेंटर खुले हैं। कई प्राइवेट कंपनियों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के कोर्स में भारतियों की काफी भागीदारी है, फिर भी ग्लोबल रैंकिंग जैसी कोई पारदर्शी रिपोर्ट हमारे सामने नहीं है।
दूसरी ओर, ज्यादातर रिपोर्टिंग में सरकार की कोशिशों को पीआर की तरह दिखाया जाता है, लेकिन असल जिंदगी में पढ़ाई खत्म करने के बाद नौकरी पाने या इंटरनेशनल लेवल की स्किल हासिल करने का सफर बेहद मुश्किल बना हुआ है। छोटे शहर या कस्बों के युवाओं के लिए तो विकल्प और भी सीमित हो जाते हैं। वैसे, LinkedIn जैसे प्लेटफॉर्म्स की रिपोर्ट में जिस तरह AI या डिजिटल कौशलों की मांग दिखाई जाती है, उससे पता चलता है कि ट्रेंडिंग स्किल्स पर फोकस तो बढ़ा है, लेकिन देश की असली रैंकिंग छुपी रह जाती है।
- इंटरनेशनल स्किल्स कम्पैरिजन में भारत को ज्यादा हाईलाइट नहीं किया जाता।
- आंकड़ों की कमी के कारण भारत की सही स्थिति सामने नहीं आती।
- सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में स्किल्स पर काम जारी है, पर ग्राउंड इम्पैक्ट को मापने के फैक्ट्स पब्लिक में नहीं हैं।
आप सोच रहे होंगे—ऐसी स्थिति में भारत के युवा क्या करें? असल में, फोकस डिजिटल स्किल्स, AI, और डेटा साइंस जैसी हाई इन-डिमांड स्किल्स की ओर बढ़ना जरूरी है, ताकि कभी भी जब ग्लोबल रैंकिंग्स सामने आएं, तो भारत का नाम टॉप पर नजर आए।
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