17 सितंबर, 2025 को भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने ऑस्ट्रेलिया को 102 रनों से धूल चटाकर एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की। यह मुकाबला ऑस्ट्रेलिया महिला टीम के भारत दौरे के दूसरे वनडे मैच के रूप में खेला गया, और इस जीत ने 18 साल पुरानी राहत का दरवाजा खोल दिया — भारतीय महिलाओं की घरेलू वनडे में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिछली जीत 2007 में हुई थी। जबकि ऑस्ट्रेलिया इस फॉर्मेट में अब तक की सबसे भारी हार का शिकार बनी, भारत की टीम ने दिखाया कि वो अब सिर्फ टीम नहीं, बल्कि एक भावना बन चुकी हैं।
स्मृति मंधाना की शानदार शतक ने बनाया आधार
भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारतीय महिला क्रिकेट टीम 292/10 का स्कोर बनाया। इसकी नींव स्मृति मंधाना ने रखी — उन्होंने 77 गेंदों में 100 रन (12 चौके, 4 छक्के) बनाकर अपना 12वां वनडे शतक दर्ज किया। शुरुआत बेहद मजबूत रही: ओपनर पूजा रॉवल और मंधाना ने पावरप्ले में 64 रन बिना एक विकेट खोए जोड़े। 7.2 ओवर में 50 रन, 17.1 ओवर में 101/1 — ये सब एक बार जबरदस्त ताकत का संकेत था।
एक दिलचस्प पल आया जब 17.2 ओवर में मंधाना को 62 पर डार्सी ब्राउन ने ड्रॉप कर दिया। उन्होंने उस गलती का बदला बाद में दिया — उन्होंने दो विकेट लिए और अपने बल्ले से 14 रन 13 गेंदों में जोड़े। लेकिन भारत के लिए ये एक छोटी बाधा थी। रिचा घोष को 7 पर अलिसा हीली ने ड्रॉप किया, लेकिन उन्होंने अपनी जगह बनाई। 49.5 ओवर में भारत ने 292 रन बना लिए — और इसके बाद की बात तो बस इतिहास बन गई।
ऑस्ट्रेलिया का ध्वंस: एक बार फिर बर्बरी
ऑस्ट्रेलिया के लिए शुरुआत बेहद खराब रही। पावरप्ले में 10 ओवर में सिर्फ 25 रन और 2 विकेट। ड्रिंक्स ब्रेक तक भी 56/2। एलिसे पेरी (26) और बेथ मूनी (13) का साथ थोड़ा राहत देने लगा, लेकिन जब 100 रन 22.6 ओवर में पूरे हुए, तो ये साफ हो चुका था कि ऑस्ट्रेलिया का अंदाज़ बिल्कुल गलत है।
फिर आया वो टर्निंग पॉइंट — 40.5 ओवर पर, जब राना ने लॉन्ग ऑन पर एक सीधी गेंद को चटकारे से पकड़ लिया। ऑस्ट्रेलिया 164/7 पर थी। और फिर आया वो भयानक गलती: वेयरहैम ने मिडविकेट की ओर फ्लिक किया, किंग ने तीसरा रन लेने की कोशिश की, जबकि वो पहले ही वापस भेजा जा चुका था। राना का रिलीज़ तेज़ था, गौड का कैच बेहतरीन। ऑस्ट्रेलिया का दिल टूट गया।
अंतिम ओवरों में भी ऑस्ट्रेलिया ने एक भी बल्लेबाज़ नहीं बचाया। अंतिम विकेट गिरा तो स्कोर 190 था — ऑस्ट्रेलिया के लिए इतिहास की सबसे बड़ी हार।
रेफरल्स और फील्डिंग: वो छोटी चीजें जिन्होंने बदल दिया गेम
इस मैच में टीम इंडिया के लिए दो बार रेफरल्स सफल रहे। 12.4 ओवर में हरमनप्रीत देओल का LBW अपील सफल हुई, और 42.3 ओवर में ऑस्ट्रेलिया ने रिचा यादव के खिलाफ LBW को चैलेंज करके बचाया। दोनों टीमों के पास दो-दो रिव्यू थे, और भारत ने उन्हें बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया।
फील्डिंग की बात करें तो भारत की टीम ने जो ज़मीन पर बात की, वो बहुत कम टीमें कर पाती हैं। राना का लॉन्ग ऑन कैच, गौड का रन-आउट बचाव, ये सब दिखाता है कि भारतीय महिलाएं अब सिर्फ बल्लेबाजी के लिए नहीं, बल्कि फील्डिंग और टैक्टिकल बुद्धिमत्ता के लिए भी दुनिया की टॉप टीम बन चुकी हैं।
18 साल की राहत: घरेलू वनडे में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत
2007 के बाद से भारतीय महिला टीम ने कभी घरेलू वनडे में ऑस्ट्रेलिया को हराया नहीं था। उस दौरान ऑस्ट्रेलिया ने न सिर्फ टूर्नामेंट जीते, बल्कि भारत के मन में एक डर भी बना दिया। आज वही डर टूट गया।
एस्पीएनक्रिकइनफो के रिपोर्ट में ये बात साफ लिखी गई: "एक फिटिंग कॉकनॉट पंच, और ये सीरीज अब जीवित है!" ये बात केवल एक जीत नहीं, बल्कि एक नई पीढ़ी के आत्मविश्वास की घोषणा है।
अगला कदम: सीरीज अभी जारी है
इस जीत के बाद भारतीय टीम अब दूसरे मैच के लिए बहुत आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ेगी। ऑस्ट्रेलिया के लिए अब सिर्फ जीतना ही नहीं, बल्कि अपनी आत्मा को बचाना होगा। अगला मैच जल्द ही होने वाला है — और अगर भारत अपनी ताकत बनाए रखे, तो ये सीरीज बहुत जल्दी खत्म हो सकती है।
रेनुका सिंह ने 3 विकेट लिए, जो उनकी बल्लेबाजी के बाद अब गेंदबाजी में भी अपनी जगह बना रही हैं। और अगर आपको लगता है कि ये एक अचानक जीत है, तो आप गलत हैं। ये एक लंबे समय की योजना का नतीजा है — जिसमें युवा खिलाड़ियों को राष्ट्रीय स्तर पर निरंतर अवसर मिले, ट्रेनर्स ने फील्डिंग और रेफरल्स पर जोर दिया, और टीम को अपनी पहचान बनाने का अवसर दिया गया।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस जीत ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम के लिए क्या महत्व रखता है?
यह जीत 18 साल के अवरोध को तोड़ती है — भारतीय महिलाएं 2007 के बाद घरेलू वनडे में ऑस्ट्रेलिया को हराने में असमर्थ रहीं। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया को वनडे क्रिकेट के इतिहास में सबसे भारी हार का शिकार बनाया गया। ये जीत न सिर्फ आत्मविश्वास बढ़ाती है, बल्कि भारत को विश्व की शीर्ष टीम बनने का रास्ता दिखाती है।
स्मृति मंधाना का शतक क्यों इतना खास है?
यह उनका 12वां वनडे शतक है, जो भारतीय महिला क्रिकेट में सबसे अधिक है। इस शतक की खास बात यह है कि वे 77 गेंदों में 100 रन बनाकर बेहद तेज़ रफ्तार से आगे बढ़े। इससे पहले भी उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक बनाए हैं, लेकिन घरेलू मैच में इतनी बड़ी जीत के साथ यह शतक अब तक का सबसे महत्वपूर्ण है।
ऑस्ट्रेलिया की टीम में क्या गलती हुई?
ऑस्ट्रेलिया की टीम ने शुरुआत में बहुत कम रन बनाए, फील्डिंग में दो बड़ी गलतियाँ कीं — पहली तो मंधाना को ड्रॉप करना, दूसरी रन-आउट का गलत फैसला। इसके अलावा, बल्लेबाजी में उनकी टीम का दबाव बर्दाश्त नहीं कर पाई। जब टीम 164/7 पर थी, तो अंतिम विकेट तक बचाने का कोई रणनीति नहीं था।
रेफरल्स के उपयोग ने मैच को कैसे प्रभावित किया?
भारत ने दो रेफरल्स सफलतापूर्वक इस्तेमाल किए — एक में ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज को आउट किया, दूसरे में अपने बल्लेबाज को बचाया। ये निर्णय अक्सर मैच के अंतिम दौर में निर्णायक होते हैं। इस बार भारत ने टेक्नोलॉजी का बेहतर इस्तेमाल किया, जो एक नई बात है — पहले ये टीम अक्सर इस तरह के निर्णयों में लगी रहती थी।
अगले मैच की उम्मीदें क्या हैं?
अगला मैच जल्द ही होने वाला है, और भारतीय टीम अब बहुत आत्मविश्वास के साथ आएगी। ऑस्ट्रेलिया को अब न सिर्फ जीतना होगा, बल्कि अपने खिलाड़ियों के मन में डर को दूर करना होगा। अगर भारत अपनी बल्लेबाजी और फील्डिंग का स्तर बनाए रखे, तो सीरीज जीतना उनके लिए अब सिर्फ एक संभावना नहीं, बल्कि एक निश्चितता बन सकती है।
क्या यह जीत भारतीय महिला क्रिकेट के भविष्य को बदल सकती है?
बिल्कुल। यह जीत न सिर्फ एक मैच जीतने के बारे में नहीं, बल्कि एक नई पीढ़ी के लिए एक नई नियम बनाने के बारे में है। अब लाखों लड़कियाँ यह सोचेंगी कि ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भी जीत संभव है। इस जीत ने टीम को एक नई पहचान दी है — जो सिर्फ बल्लेबाजी नहीं, बल्कि बुद्धिमत्ता, फील्डिंग और दृढ़ता की टीम है।
deepika singh - 18 नवंबर 2025
ये जीत तो सिर्फ मैच नहीं, एक अहसास है! 18 साल का बोझ उतर गया, अब हर लड़की जो क्रिकेट खेलती है, उसके दिल में ये बात बसेगी कि ऑस्ट्रेलिया भी हराया जा सकता है। स्मृति का शतक, राना का कैच, गौड का रन-आउट - सब कुछ बिल्कुल परफेक्ट था। अब तो टीम इंडिया के लिए कोई भी टीम डराने वाली नहीं रह गई। 💪❤️
amar nath - 18 नवंबर 2025
भाई ये वाला मैच तो बिल्कुल सिनेमा जैसा लगा! मैंने तो सिर्फ हाथ घुमाकर देखा, पर जब राना ने लॉन्ग ऑन पर वो कैच पकड़ा तो मेरा चश्मा उड़ गया 😂 ऑस्ट्रेलिया वाले तो बिल्कुल लूटे हुए लग रहे थे। अब तो घर पर भी बच्चे बोलेंगे - ‘मम्मी, मैं भी राना बनूंगा!’
Pragya Jain - 19 नवंबर 2025
इस जीत के बाद कोई और बात नहीं - अब तो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हर मैच जीतना हमारा अधिकार है। जो लोग बोलते हैं कि ये सिर्फ एक मैच है, उन्हें याद दिलाना होगा कि ये जीत हमारे खेल के इतिहास को बदल रही है। अब तो हमारी महिलाएं दुनिया की नंबर 1 टीम हैं - और ये सिर्फ शुरुआत है। जय हिंद! 🇮🇳🔥
Shruthi S - 19 नवंबर 2025
मैं रो पड़ी... जब रिचा घोष ने ड्रॉप होकर भी अपनी जगह बनाई, तो मुझे लगा जैसे मैं भी उस बल्ले के साथ खेल रही हूँ। ये टीम सिर्फ खिलाड़ी नहीं, एक दिल है। धन्यवाद टीम इंडिया 🙏💛
Neha Jayaraj Jayaraj - 21 नवंबर 2025
अरे भाई ये तो बस बहुत हुआ 😭😭😭 राना का कैच? गौड का रन-आउट? स्मृति का शतक? ये तो ओलंपिक गोल्ड के बराबर है! अब तो ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ हर मैच के बाद एक बैनर लगाना चाहिए - ‘जीत गए हमने, अब तुम घर जाओ!’ 🤯🎉 #टीमइंडिया #महिलाएंशक्ति
Disha Thakkar - 23 नवंबर 2025
ये सब बहुत नाटकीय है... एक वनडे जीत को इतना बड़ा बनाना तो बस राष्ट्रीय भावनाओं का फैक्टर है। ऑस्ट्रेलिया तो हर साल 5-6 बार विश्व कप जीतती है, और हम एक घरेलू मैच के लिए इतना उत्साहित? थोड़ा अंदाज़ बदलो ना।
Abhilash Tiwari - 24 नवंबर 2025
देखो ये टीम बस बल्ले से नहीं, दिमाग से खेल रही है। रेफरल्स का इस्तेमाल, फील्डिंग की तेजी, बल्लेबाजी का तरीका - सब कुछ बहुत सोच-समझकर किया गया। अब तो ये टीम दुनिया की सबसे स्मार्ट टीम बन गई है। मैं तो अब हर दिन उनके मैच देखूंगा।
Anmol Madan - 25 नवंबर 2025
अरे भाई ये जीत तो बहुत बढ़िया हुई! लेकिन अगले मैच में क्या तुम लोग बिना बिना राना के बिना बात कर रहे हो? 😅 उसके बिना तो ये मैच अधूरा लगता है। उसके लिए एक टी-शर्ट बनवाओ जिस पर लिखा हो - ‘राना ने बचाया हमारा गौरव!’
Shweta Agrawal - 25 नवंबर 2025
सबको बहुत बधाई और शुक्रिया... ये टीम ने सिर्फ जीत नहीं बल्कि एक नई ऊर्जा दी है। मैंने अपनी बहन को बताया और वो रो पड़ी। अब हम घर पर भी बल्ला घुमाने लगे हैं 😊
raman yadav - 26 नवंबर 2025
ये जीत किसी भी खिलाड़ी की नहीं, भारत के इतिहास की है। ये बस एक मैच नहीं, ये एक नई युग की शुरुआत है। जब तक इंसान अपने आप को बाध्य नहीं मानेगा, तब तक कोई भी टीम उसे हरा नहीं सकती। ऑस्ट्रेलिया की टीम तो बस एक विश्वास का बेड़ा थी - और हमने उसे तोड़ दिया। अब दुनिया जान गई कि भारतीय महिलाएं न सिर्फ खेलती हैं, बल्कि इतिहास बनाती हैं। ये जीत किसी के नाम नहीं, ये तो हर उस लड़की के नाम है जो आज सुबह गेंद फेंकने के लिए उठी। जय भारत!