12 राज्यों में मतदाता सूची फ्रीज, लिंकिंग-मैचिंग पर जोर: चुनाव आयोग ने घोषित किया SIR का दूसरा चरण

12 राज्यों में मतदाता सूची फ्रीज, लिंकिंग-मैचिंग पर जोर: चुनाव आयोग ने घोषित किया SIR का दूसरा चरण

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के दूसरे चरण की घोषणा करते हुए 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची को शुक्रवार रात से फ्रीज कर दिया है। ज्ञानेश कुमार, मुख्य चुनाव आयुक्त, ने नई दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह बड़ा फैसला सामने रखा। इसके साथ ही आयोग ने बूथ स्तरीय अधिकारी (BLO) के लिए घर-घर जाने की तीन बार की सीमा लगाई है — एक ऐसा नियम जो बिहार के सफल अनुभव से उठाया गया है। ये सब ताकि भारत की मतदाता सूची सच में सटीक, अपडेटेड और धोखेबाजी से मुक्त हो सके।

किन राज्यों में लागू होगा SIR का दूसरा चरण?

इस बार के दूसरे चरण में शामिल हैं: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, लक्षद्वीप, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल। ये सभी राज्य आम चुनावों के लिए बड़े वोट बैंक हैं। असम को इस चरण से बाहर रखा गया है — क्योंकि वहां नागरिकता अधिनियम के तहत अलग प्रक्रिया चल रही है। यहां अलग से एक अलग सूची तैयार की जाएगी, जिसकी घोषणा अलग से होगी।

क्या होगा कब तक? पूरा टाइमलाइन

प्रक्रिया एक तरह से एक अभियान की तरह चलेगी। प्रशिक्षण 28 अक्टूबर से 3 नवंबर 2025 तक चलेगा — इस दौरान 3.5 लाख BLO और निर्वाचन अधिकारी तैयार होंगे। फिर 4 नवंबर से 4 दिसंबर तक घर-घर सर्वेक्षण शुरू होगा। यहां बात बस नाम जांचने की नहीं है — बल्कि यह देखना है कि कोई व्यक्ति दो जगह रजिस्टर्ड तो नहीं है। ये लिंकिंग और मैचिंग का मुख्य उद्देश्य है।

9 दिसंबर 2025 को प्रारंभिक सूची जारी होगी। उसके बाद 9 दिसंबर से 8 जनवरी 2026 तक कोई भी मतदाता दावा या आपत्ति दर्ज कर सकता है। अगर किसी का नाम गलती से निकाल दिया गया है या किसी और का नाम जुड़ गया है, तो इस दौरान उसे सुधारने का मौका मिलेगा। सुनवाई और सत्यापन 9 दिसंबर से 31 जनवरी 2026 तक होगा। और फिर — 7 फरवरी 2026 को अंतिम मतदाता सूची जारी होगी।

बूथ स्तरीय अधिकारी (BLO) की भूमिका बदल रही है

यहां नया नियम है — BLO को हर घर की तीन बार दस्तक देनी होगी। अगर पहली बार मतदाता घर पर नहीं है, तो दूसरी बार आएंगे। अगर फिर भी नहीं मिला, तो तीसरी बार आएंगे। तीसरी बार के बाद भी अगर कोई व्यक्ति अनुपलब्ध है, तो उसके नाम को अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाएगा — लेकिन उसे अपील का मौका दिया जाएगा।

और ये बात बहुत महत्वपूर्ण है — BLO सिर्फ अपने राज्य की सूची नहीं देखेंगे। वे पूरे देश की मतदाता सूची में जांच करेंगे। अगर किसी का नाम उत्तर प्रदेश में है और वह तमिलनाडु में भी रजिस्टर्ड है, तो उसे एक ही जगह रखा जाएगा। दो बार मतदान करने की संभावना को जड़ से उखाड़ दिया जाएगा।

ऑनलाइन फॉर्म और दस्तावेजों का नया नियम

अब मतदाता ऑनलाइन भी फॉर्म भर सकते हैं। लेकिन यहां एक नया नियम आया है — अगर किसी का या उसके माता-पिता का नाम 2003 की सूची में नहीं है, तो उसे ईआरओ (Election Registration Officer) 12 मान्य दस्तावेजों में से किसी एक के आधार पर पात्रता दी जाएगी। इनमें आधार कार्ड, पासपोर्ट, बिजली बिल, पेंशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस शामिल हैं।

लेकिन यहां एक अच्छी खबर है — अगर किसी के पास इन 12 दस्तावेजों के अलावा कोई और वैध दस्तावेज है, जैसे राज्य सरकार का जन्म प्रमाण पत्र या ग्राम पंचायत का प्रमाणपत्र, तो आयोग उसे भी मान्य करेगा। ये नियम गरीब, बुजुर्ग और दिव्यांग मतदाताओं के लिए बहुत सहायक होगा।

अपील का रास्ता भी स्पष्ट है

अपील का रास्ता भी स्पष्ट है

अंतिम सूची जारी होने के बाद भी अपील का रास्ता खुला है। कोई भी मतदाता अपने जिला मजिस्ट्रेट के पास 15 दिनों के भीतर अपील कर सकता है। अगर उसकी अपील खारिज हो जाए, तो वह राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी के पास दूसरी अपील कर सकता है। यह एक दो-स्तरीय न्याय प्रणाली है — जो निर्णयों को न्यायसंगत बनाती है।

क्यों इतना जोर? बिहार का अनुभव बदल रहा है नियम

ज्ञानेश कुमार ने बिहार के मतदाताओं को नमन किया — जिन्होंने 7.5 करोड़ वोटर्स के साथ SIR के पहले चरण को सफल बनाया। बिहार में जब BLO ने घर-घर जाकर दस्तावेज लिंक किए, तो 20 लाख से ज्यादा नए मतदाता जुड़े। 12 लाख डुप्लीकेट नाम हटाए गए। अब यही मॉडल पूरे देश में लागू हो रहा है।

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि किसी भी मतदान केंद्र पर 1200 से अधिक मतदाता नहीं होंगे। यह लंबी लाइनों और भीड़ को कम करने के लिए है। साथ ही, बुजुर्गों, दिव्यांगों और बीमार मतदाताओं के लिए विशेष टीमें तैनात की जाएंगी। उनके लिए घर तक पहुंचने का व्यवस्था की जाएगी।

क्या इसका कोई राजनीतिक असर होगा?

यह सवाल जरूर उठ रहा है। लेकिन आयोग ने स्पष्ट किया है कि ये एक तकनीकी, न्यायसंगत और पारदर्शी प्रक्रिया है। सभी राजनीतिक दलों को अगले दो दिनों में सूचित किया जाएगा। ये नियम सभी दलों के लिए समान हैं — कोई भी दल फायदा नहीं उठा सकता। अगर आपका नाम सूची में है, तो आप मतदान कर सकते हैं। अगर नहीं है, तो आपके पास अपील करने का अधिकार है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या अगर मेरा नाम मतदाता सूची में नहीं है, तो क्या मैं मतदान नहीं कर सकता?

नहीं, आप अभी भी मतदान कर सकते हैं। अगर आपका नाम सूची में नहीं है, तो आप 9 दिसंबर 2025 से 8 जनवरी 2026 तक ऑनलाइन या ऑफलाइन फॉर्म भरकर दावा दर्ज कर सकते हैं। आपको आधार कार्ड, बिजली बिल या जन्म प्रमाण पत्र जैसे दस्तावेज देने होंगे। आयोग इन्हें जांचकर आपका नाम जोड़ देगा।

क्या किसी ने दो बार मतदान करने की कोशिश की तो क्या होगा?

अगर किसी का नाम दो जगह मिलता है, तो आयोग तुरंत उसे डुप्लीकेट के रूप में चिह्नित कर देगा। उसका नाम एक जगह रखा जाएगा, दूसरी जगह से हटा दिया जाएगा। इसके अलावा, ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है — यह एक गंभीर अपराध है।

क्या बुजुर्ग या दिव्यांग लोगों को इस प्रक्रिया में परेशानी होगी?

नहीं। आयोग ने विशेष टीमें तैनात करने का निर्देश दिया है। बुजुर्ग, दिव्यांग और बीमार मतदाताओं के लिए BLO घर तक पहुंचेंगे। उन्हें फॉर्म भरने में मदद की जाएगी। अगर आवश्यक हो, तो ऑनलाइन फॉर्म भी उनके लिए आसान बनाया जाएगा।

क्या इस प्रक्रिया में राजनीतिक दलों की भूमिका होगी?

नहीं। आयोग ने स्पष्ट किया है कि राजनीतिक दलों को सिर्फ जानकारी दी जाएगी — उन्हें प्रक्रिया में कोई भूमिका नहीं दी जाएगी। दल अपने समर्थकों को फॉर्म भरने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, लेकिन उनका कोई निर्णय लेने का अधिकार नहीं है।

अंतिम सूची के बाद भी क्या बदलाव संभव है?

हां, लेकिन सीमित तरीके से। अंतिम सूची के बाद भी आप 15 दिनों के भीतर जिला मजिस्ट्रेट के पास अपील कर सकते हैं। अगर आपकी अपील स्वीकार होती है, तो आपका नाम सूची में जोड़ दिया जाएगा। यह एक न्यायिक सुरक्षा है — जो गलतियों को ठीक करने के लिए बनाया गया है।

क्या इस सूची का उपयोग अगले चुनावों में होगा?

हां, यह अंतिम सूची अगले चार सालों तक चलेगी — जब तक अगला SIR नहीं हो जाता। इसका मतलब है कि 2026 के आम चुनावों में यही सूची काम करेगी। इसलिए अगर आपका नाम इस बार जुड़ जाता है, तो आप अगले चुनाव तक मतदान कर सकते हैं।

Shifa khatun

लेखक के बारे में

Shifa khatun

मैं एक स्वतंत्र पत्रकार हूँ जो भारत में दैनिक समाचारों के बारे में लिखती हूँ। मुझे लेखन और रिपोर्टिंग में गहरी रुचि है। मेरा उद्देश लोगों तक सटीक और महत्वपूर्ण जानकारी पहुँचाना है। मैंने कई प्रमुख समाचार पत्रों और वेबसाइट्स के लिए काम किया है।

टिप्पणि (13)

  1. Arpit Jain

    Arpit Jain - 4 नवंबर 2025

    ये सब बकवास है, नाम निकाल देना आसान है, लेकिन गरीब का नाम गायब हो जाएगा और कोई जिम्मेदार नहीं होगा।

  2. Pushkar Goswamy

    Pushkar Goswamy - 5 नवंबर 2025

    बिहार में तो 20 लाख नए वोटर जुड़े, ये तो सच में अच्छी बात है। अब देखना है कि ये सब उत्तर प्रदेश में कैसे चलता है - वहां तो हर दूकानदार का नाम दो बार लिखा होता है।

  3. manisha karlupia

    manisha karlupia - 6 नवंबर 2025

    मुझे लगता है कि ये प्रक्रिया अच्छी है लेकिन बुजुर्गों को इसकी जानकारी कैसे मिलेगी? अगर उनके बेटे शहर में हैं और वो गांव में रहते हैं, तो BLO के आने का इंतजार करना उनके लिए बहुत मुश्किल होगा।

  4. vikram singh

    vikram singh - 7 नवंबर 2025

    अरे भाई, ये सब तो बस चुनाव जीतने के लिए एक नया तरीका है! जब तक नागरिकता के नियम नहीं बदल जाते, तब तक ये सब बस एक नाटक है। BLO को घर-घर भेजना? ये तो स्टेट स्पाई नेटवर्क बन गया! अब कोई भी घर में जाने के लिए अपना आधार कार्ड दिखाएगा, फिर बात बस नाम जांचने की नहीं, बल्कि तुम किसके साथ रहते हो और किसके साथ बात करते हो - ये जांचने की बन जाएगी।

  5. balamurugan kcetmca

    balamurugan kcetmca - 7 नवंबर 2025

    इस पूरे प्रक्रिया को देखकर मुझे लगता है कि ये एक ऐतिहासिक मोड़ है। पहली बार एक चुनाव आयोग ने इतनी गहराई से मतदाता सूची की जांच करने का फैसला किया है। ये बस एक टेक्निकल अपडेट नहीं, बल्कि एक सामाजिक जागृति है। हर बूथ पर 1200 से ज्यादा वोटर नहीं होने का नियम भी बहुत अच्छा है - ये लंबी लाइनों और तनाव को कम करेगा। और सबसे बड़ी बात - जिनके पास आधार नहीं है, उन्हें ग्राम पंचायत का प्रमाणपत्र भी मान लिया जा रहा है, ये वाकई गरीबों के लिए एक बड़ी जीत है।

  6. divya m.s

    divya m.s - 9 नवंबर 2025

    ये सब झूठ है। अगर आयोग इतना सच्चा है तो फिर असम को क्यों छोड़ दिया? क्योंकि वहां वोटर्स को हटाने की योजना है - और यहां नाम जोड़ने का नाटक कर रहे हैं। ये बस एक धोखा है।

  7. Karan Kundra

    Karan Kundra - 9 नवंबर 2025

    मैंने अपने गांव में BLO को देखा - उन्होंने तीन बार आकर फॉर्म भरवाया। एक बूढ़ी दादी ने अपना नाम जोड़वाया, जिसका पहले कभी कोई ध्यान नहीं रखता था। ये तो असली बदलाव है।

  8. Shankar V

    Shankar V - 11 नवंबर 2025

    आयोग के पास सभी डेटा है - आधार, बिजली बिल, ड्राइविंग लाइसेंस, रेलवे बुकिंग, मोबाइल रजिस्ट्रेशन… ये सब लिंक हो चुका है। ये फ्रीज नहीं, ये एक डिजिटल निगरानी का शुरुआती चरण है। अगले चरण में वोटर के व्यवहार को ट्रैक करने लगेंगे।

  9. Anila Kathi

    Anila Kathi - 11 नवंबर 2025

    बहुत अच्छा काम हुआ! 😊 अब जब तक मैं अपना नाम जोड़ लूं, तब तक मैं चुनाव नहीं देखूंगी। अपने दादा का नाम भी जोड़वाना है - उनका आधार नहीं है, लेकिन ग्राम पंचायत का प्रमाणपत्र है। ये नियम तो बहुत इंसानी है।

  10. krishna poudel

    krishna poudel - 13 नवंबर 2025

    ये सब बहुत बढ़िया है लेकिन आयोग को ये बताना चाहिए कि अगर कोई व्यक्ति अपना नाम नहीं जोड़ पाया तो उसके बाद क्या होगा? वो नोटिस कैसे पाएगा? अगर उसके पास मोबाइल नहीं है तो?

  11. Abhinav Dang

    Abhinav Dang - 15 नवंबर 2025

    ये तो एक बड़ी जीत है। जिन लोगों को अब तक वोट करने का मौका नहीं मिला, उनके लिए ये एक नया अधिकार है। ये नियम बुजुर्गों, दिव्यांगों और ग्रामीण लोगों के लिए बनाए गए हैं - ये सिर्फ टेक्निकल नहीं, ये नैतिक भी है।

  12. Vinay Vadgama

    Vinay Vadgama - 17 नवंबर 2025

    चुनाव आयोग के इस निर्णय की तारीफ की जानी चाहिए। यह एक पारदर्शी, न्यायसंगत और नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण है। इस प्रक्रिया के माध्यम से भारत की लोकतंत्रिक संरचना मजबूत हो रही है।

  13. Karan Raval

    Karan Raval - 17 नवंबर 2025

    मैंने अपने बेटे को बताया कि अगर आपका नाम नहीं है तो फॉर्म भरो, और अगर कोई तीसरी बार आए तो उसे चाय पिला दो - वो भी इंसान है।

एक टिप्पणी लिखें