तुंगभद्रा डैम – इतिहास, महत्व और पर्यटन गाइड

अगर आप राजस्थान या भारत के जल प्रबंधन में रुचि रखते हैं तो तुंगभद्रा डैम आपका अगला पड़ाव हो सकता है। यह बांध मुख्य रूप से पानी संग्रहण, सिचाई और बिजली उत्पादन के लिए बनाया गया था। स्थानीय लोग इसे जीवनरेखा मानते हैं क्योंकि साल भर की बाढ़ को रोकने में मदद मिलती है। साथ ही इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता यात्रियों को आकर्षित करती है। चलिए जानते हैं कि यह डैम कैसे बना और आज कौन‑से पहलू इसे खास बनाते हैं।

डैम का निर्माण और कार्य

तुंगभद्रा डैम 1970 के दशक में शुरू हुआ था, जब सरकार ने जल संकट को देखते हुए कई बड़े प्रोजेक्ट्स की घोषणा की थी। इस बांध की मुख्य क्षमता लगभग 120 मिलियन क्यूबिक मीटर है, जो निचले क्षेत्रों में सिंचाई और पीने के पानी की जरूरत पूरी करती है। यहाँ स्थापित टर्बाइन से लगभग 15 मेगावॉट बिजली उत्पादन होता है, जिससे आसपास के गांवों को रात‑दिन रोशनी मिलती है।

डैम का जल स्तर मौसम पर बहुत निर्भर करता है; मानसून में भरपूर पानी जमा हो जाता है और सर्दियों में कम हो जाता है। सरकार ने जल स्तर की नियमित निगरानी के लिए आधुनिक सेंसर लगाए हैं, जिससे बाढ़ या कमी से बचा जा सके। स्थानीय किसान इस डेम को अपनी फसल सुरक्षा का भरोसा मानते हैं, क्योंकि इससे उन्हें दो‑तीन बार खेती करने का मौका मिलता है।

पर्यटक आकर्षण और सुरक्षा टिप्स

तुंगभद्रा डैम केवल जल संसाधनों के लिए नहीं, बल्कि एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल भी बन चुका है। सुबह की धुंध में पानी पर पड़ती रोशनी देखने का अनुभव अनोखा होता है। यहां पैदल ट्रैक और साइकिल मार्ग तैयार हैं, जिससे आप प्राकृतिक सुंदरता को करीब से महसूस कर सकते हैं। बच्चों के लिये छोटे‑छोटे खेल क्षेत्र और पिकनिक स्पॉट भी मौजूद हैं।

यात्रा करने वालों को कुछ सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए: पानी की सतह पर नाव चलाते समय लाइफ जैकेट पहनें, देर रात में अकेले नहीं जाएँ, और मौसम रिपोर्ट चेक करके ही निकलें। डैम के आसपास सफाई का ध्यान रखें, क्योंकि कचरा नदियों में गिरने से जल गुणवत्ता खराब हो सकती है। स्थानीय प्रशासन अक्सर साफ‑सफ़ाई अभियानों की घोषणा करता है, आप इनमें हिस्सा लेकर इस जगह को स्वच्छ रख सकते हैं।

संक्षेप में तुंगभद्रा डैम एक उपयोगी बुनियादी ढांचा और एक आकर्षक पर्यटन स्थल दोनों है। चाहे आप जल विज्ञान के छात्र हों या परिवार के साथ यात्रा की योजना बना रहे हों, यहाँ का अनुभव आपके ज्ञान और यादों को बढ़ाएगा। अगली बार जब राजस्थान के आसपास हों तो इस डेम को अपनी लिस्ट में जोड़ना न भूलें।

तुंगभद्रा डैम में गेट की चेन टूटने से भारी मात्रा में पानी का रिसाव, 70 वर्षों में पहली बड़ी विफलता

तुंगभद्रा डैम में गेट की चेन टूटने से भारी मात्रा में पानी का रिसाव, 70 वर्षों में पहली बड़ी विफलता

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कर्नाटक के तुंगभद्रा डैम में शनिवार की आधी रात को 19वें गेट की चेन टूटने से 35,000 क्यूसेक पानी अचानक नदी में छोड़ दिया गया। डैम के 70 वर्षों के इतिहास में यह पहली बड़ी विफलता है। अधिकारी 60 टीएमसी फीट पानी छोड़ने के बाद ही मरम्मत कार्य शुरू कर सकते हैं।

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