पूर्व ब्राजीलियन नर्स की प्रेरणादायक यात्रा: तीरंदाजी से पैरालंपियन बनने का सफर
सित॰ 2 2024 - खेल
जब आप किसी बड़ी कंपनी का नाम सुनते हैं तो अक्सर CEO का नाम पहले आता है। पर असल में एक CEO से क्या उम्मीद रखी जाती है? चलिए आसान शब्दों में समझते हैं कि ये पद किस लिए जरूरी है और इस रोल में कौन‑कौन सी जिम्मेदारी आती है।
सीईओ यानी "Chief Executive Officer" कंपनी का सबसे बड़ा नेता होता है। उनका काम सिर्फ मीटिंग बुलाना या रिपोर्ट पढ़ना नहीं, बल्कि पूरे व्यापार को दिशा देना है। वो रणनीति बनाते हैं, निवेशकों से बात करते हैं, और टीम को मोटीवेट करते हैं ताकि लक्ष्य पूरा हो सके। अक्सर CEO को यह देखना पड़ता है कि कंपनी के हर विभाग – बिक्री, मार्केटिंग, प्रोडक्ट डेवलपमेंट या फाइनेंस – एक साथ कैसे काम कर रहे हैं।
एक और अहम बात ये है कि CEO को जोखिमों का आंकलन करना आता हो। चाहे नई तकनीक अपनानी हो या बड़े निवेश पर विचार करना हो, सीईओ को संभावित नुकसानों व फ़ायदों की गणना करनी पड़ती है। यही कारण है कि CEOs अक्सर अनुभवी होते हैं – उन्होंने कई सालों तक विभिन्न पदों पर काम करके सीख ली होती है कि बिजनेस में क्या चल रहा है और कहाँ सुधार चाहिए।
अगर आप भी CEO बनना चाहते हैं, तो भारत के कुछ बड़े नामों से सीख सकते हैं। उदाहरण के तौर पर सतीश अडानी ने छोटे व्यापार से शुरू करके एक वैश्विक समूह बनाया। उनका मूल मंत्र था – "बड़े सपने देखो, लेकिन छोटे‑छोटे कदमों से आगे बढ़ो"। उन्होंने हमेशा फोकस रखा कि ग्राहक को क्या चाहिए और उसे कैसे बेहतर तरीके से दिया जाए।
दूसरी ओर नितिन बॉल्टा ने रिलींस इंडस्ट्रीज के तहत कई नए प्रोडक्ट लॉन्च किए, जिससे कंपनी की ग्रोथ तेज हुई। उनका तरीका था – "डेटा‑ड्रिवन डिसीजन" यानी हर फैसला आंकड़ों पर आधारित रखें। इससे उनके टीम को भी स्पष्ट दिशा मिली और गलतियों से बचाव हुआ।
इन दोनों कहानियों में दो बातें साफ़ दिखती हैं: 1) ग्राहक को समझना और 2) डेटा के साथ निर्णय लेना। अगर आप इनको अपनाते हैं तो CEO की राह आसान हो सकती है।
आजकल बहुत सी कंपनियां स्टार्ट‑अप से लेकर बड़े कॉरपोरेट तक CEOs को सिर्फ बौद्धिक नहीं, बल्कि भावनात्मक लीडर भी मानती हैं। इसका मतलब है कि टीम के साथ भरोसा बनाना, सही समय पर समर्थन देना और विफलताओं से सीख लेना जरूरी हो गया है।
यदि आप किसी कंपनी में पहले ही काम कर रहे हैं तो छोटे‑छोटे प्रोजेक्ट्स को लीड करके अनुभव जुटा सकते हैं। इससे आपका निर्णय लेने का कौशल सुधरेगा, जो आगे चलकर CEO बनने में मदद करेगा। याद रखें, यह यात्रा एक दिन में नहीं बनती; निरंतर सीखते रहना और बदलते माहौल के साथ खुद को ढालना ही असली चाबी है।
अंत में, CEOs की दुनिया बहुत तेज़ी से बदल रही है – नई टेक्नोलॉजी, ग्रीन एनर्जी या डिजिटल मार्केटिंग जैसे ट्रेंड लगातार उभर रहे हैं। इसलिए हमेशा अपडेटेड रहें और सीखते रहें; तभी आप भी इस रोल को अपना बना सकते हैं।
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