कौन हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह और क्यों चर्चा में है उनकी अनुपस्थिति?
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और 82 वर्षीय नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह ने लंबे समय तक कांग्रेस के साथ गुजारने के बाद 2022 में भाजपा का दामन थामा। कांग्रेस पार्टी के दो बार के मुख्यमंत्री रह चुके अमरिंदर ने पिछले साल अपनी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस को भाजपा में मिला दिया था। उन्होंने भाजपा के लिए पंजाब में बड़े नेता के रूप में अपनी स्थिति बनाई। लेकिन 2022 लोकसभा चुनावों में, उनकी तबीयत खराब होने की वजह से उनका प्रचार अभियान से गायब हो जाना चर्चा का विषय बन गया है।
प्रणीति कौर का चुनावी संघर्ष
प्रणीति कौर, अमरिंदर सिंह की पत्नी, इस बार भाजपा की उम्मीदवार के रूप में पटियाला सीट से चुनाव लड़ रही हैं। लेकिन उनके चुनावी अभियान में अमरिंदर की गैरमौजूदगी ने एक खलल डाला है। यहां तक कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पटियाला में रैली करने आए, तब भी अमरिंदर मंच पर नहीं दिखे। प्रणीति ने अपना नामांकन पत्र जमा किया था, तब भी अमरिंदर उपस्थित नहीं थे।
स्वास्थ्य कारण बन रहे अमरिंदर की अनुपस्थिति का कारण
अमरिंदर सिंह के एक करीबी ने खुलासा किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मंगलवार को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने अपने स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों का जिक्र किया था। अमरिंदर को गैस्ट्रोएंटेराइटिस होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत इतनी गंभीर थी कि वह रैली में शामिल होने की स्थिति में नहीं थे। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से प्रणीति के समर्थन में पटियाला में रैली करने की गुजारिश की थी।
पंजाब भाजपा में चिंता का माहौल
अमरिंदर सिंह की गैरमौजूदगी ने पंजाब भाजपा में चिंता का माहौल पैदा कर दिया है। प्रणीति कौर को अपने अभियान के दौरान किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा। सेहरी गांव में प्रचार अभियान के दौरान एक प्रदर्शनकारी किसान की मौत हो जाने पर भी स्थिति और गंभीर बन गई। प्रणीति ने अपने चुनावी अभियान के दौरान अमरिंदर की गैरहाजिरी पर अफसोस जताते हुए कहा कि वह उनके सबसे बड़े समर्थन हैं।
अन्य दलों के साथ चुनौतीपूर्ण मुकाबला
प्रणीति कौर को इस बार कड़ा मुकाबला मिल रहा है क्योंकि मौजूदा आप, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने भी अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। कांग्रेस ने अमरिंदर की गैरमौजूदगी पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जबकि मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अमरिंदर की उम्र की वजह से सहानुभूति व्यक्त की है।
अमरिंदर की अनुपस्थिति का प्रभाव
पंजाब की राजनीति में अमरिंदर सिंह की अनुपस्थिति न केवल भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण सिद्ध हो रही है, बल्कि यह प्रणीति कौर के चुनावी संघर्ष को भी प्रभावित कर रही है। उनके समर्थकों का मानना है कि अमरिंदर की सक्रिय भागीदारी उनके लिए मजबूती का काम कर सकती थी।
क्या होगा आगे?
अब सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अमरिंदर की गैरमौजूदगी का प्रणीति कौर के चुनावी परिणाम पर क्या असर होगा। भाजपा के भीतर भी यह चर्चा है कि अगर अमरिंदर ने रैलियों में हिस्सा लिया होता तो उनकी उपस्थिति से प्रणीति की स्थिति और मजबूत होती। अब देखना यह है कि प्रणीति और भाजपा इस चुनौती से कैसे निपटते हैं और पंजाब की राजनीति में क्या नए समीकरण बनते हैं।
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